दिल्ली की वायु गुणवत्ता फिर पहुंची ‘गंभीर’ श्रेणी में, प्रदूषण को लेकर रणनीति पर की चर्चा

By भाषा | Updated: November 16, 2021 22:01 IST2021-11-16T22:01:51+5:302021-11-16T22:01:51+5:30

Delhi's air quality again in 'severe' category, discussion on pollution strategy | दिल्ली की वायु गुणवत्ता फिर पहुंची ‘गंभीर’ श्रेणी में, प्रदूषण को लेकर रणनीति पर की चर्चा

दिल्ली की वायु गुणवत्ता फिर पहुंची ‘गंभीर’ श्रेणी में, प्रदूषण को लेकर रणनीति पर की चर्चा

नयी दिल्ली, 16 नवंबर दिल्ली में मंगलवार को वायु गुणवत्ता और खराब होकर ‘गंभीर’ श्रेणी में चली गई और दिल्ली सरकार ने उत्तरी राज्यों के साथ बैठक के दौरान प्रदूषण संकट से निपटने के लिए दिल्ली तथा राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र (एनसीआर) में ‘वर्क फ्रॉम होम’ नीति लागू करने और कुछ उद्योगों को बंद करने जैसे कदम उठाने के सुझाव दिए।

उच्चतम न्यायालय ने सोमवार को वायु गुणवत्ता प्रबंधन आयोग को संयुक्त बैठक करने का निर्देश दिया था। मंगलवार को पंजाब, राजस्थान, हरियाणा और उत्तर प्रदेश राज्यों ने इस बैठक में हिस्सा लिया। शीर्ष अदालत बुधवार को मामले की सुनवाई करेगी।

दिल्ली की वायु गुणवत्ता एक बार फिर से ’गंभीर’ श्रेणी में चली गई है और 24 घंटे का औसत वायु गुणवत्ता सूचकांक (एक्यूआई) 403 दर्ज किया गया। यह मंगलवार सुबह तक ‘बहुत खराब’ श्रेणी में था और 396 दर्ज किया गया था।

शाम चार बजे गाज़ियाबाद में एक्यूआई 356, ग्रेटर नोएडा में 361, गुरुग्राम में 369 और नोएडा में 397 दर्ज किया गया। यह ‘बहुत खराब’ श्रेणी में आता है।

पृथ्वी विज्ञान मंत्राय के वायु गुणवत्ता निगरानी ‘सफर’ के मुताबिक, एक्यूआई बुधवार को भी ‘गंभीर’ श्रेणी में ही रहेगा।

उसने कहा कि हवा की गति बहुत कम रहने की संभावना है जिससे एक्यूआई कल ‘गंभीर’ श्रेणी में रहेगा और इसके बाद 18 नवंबर तक ‘गंभीर’ या ‘बहुत खराब’ श्रेणी के बीच रहेगा।

उसने बताया कि अगले दो दिनों तक दिल्ली में पराली जलाने से जुड़े प्रदूषकों की आने की संभावना नहीं है, क्योंकि हवा की दिशा विपरीत है।

पराली जलाने की संख्या कम होकर 1820 रह गई है जबकि दिल्ली के पीएम2.5 में इसकी हिस्सेदारी मंगलवार को आठ फीसदी थी।

दिल्ली की हवा की गुणवत्ता में रविवार को थोड़ा सा सुधार देखा गया था और एक्यूआई ‘बहुत खराब’ श्रेणी में दर्ज किया गया था।

एक्यूआई को शून्य और 50 के बीच 'अच्छा', 51 और 100 के बीच 'संतोषजनक', 101 और 200 के बीच 'मध्यम', 201 और 300 के बीच 'खराब', 301 और 400 के बीच 'बहुत खराब' और 401 और 500 के बीच 'गंभीर' श्रेणी में माना जाता है।

शहर के प्रदूषण संकट से निपटने के लिए दिल्ली सरकार ने सोमवार से विद्यालयों को एक सप्ताह के लिए बंद करने, निर्माण गतिविधियों पर प्रतिबंध लगाने और सरकारी कर्मचारियों के लिए घरों से ही काम करने की नीति सहित कई आपातकालीन उपायों की घोषणा की थी।

शीर्ष अदालत के निर्देश के बाद, पंजाब, हरियाणा, उत्तर प्रदेश, राजस्थान और दिल्ली के अधिकारियों ने मंगलवार को एक बैठक की जिसमें प्रदूषण की रोकथाम के तरीकों पर चर्चा की गई।

दिल्ली के पर्यावरण मंत्री गोपाल ने राय ने एक ब्रीफिंग में कहा, “इस बैठक में दिल्ली की जनता की ओर से हमने प्रस्ताव रखा कि वर्क फ्रॉम होम लागू किया जाए, दिल्ली-एनसीआर क्षेत्र में सभी निर्माण कार्य और उद्योग बंद रखे जाएं।”

उन्होंने कहा, “अन्य राज्यों ने भी अपने प्रस्ताव प्रस्तुत किए, हम फिलहाल बैठक के मिनटों का इंतजार कर रहे हैं। आयोग का फैसला मिलने के बाद हम आगे कार्यवाही करेंगे।”

उन्होंने उम्मीद जताई कि बैठक के बाद प्रदूषण के स्तर को कम करने के लिए एक संयुक्त कार्य योजना तैयार की जाएगी।

राय ने केंद्रीय पर्यावरण मंत्री से दिल्ली के प्रदूषण में पराली जलाने की हिस्सेदारी को लेकर बने संशय को दूर करने को कहा ताकि इसे प्रभावी तरीके से नियंत्रित किया जा सके।

राय ने कहा, ‘‘केंद्र ने उच्चतम न्यायालय में हलफनामा दाखिल कर कहा था कि राष्ट्रीय राजधानी के प्रदूषण में पराली जलाने की हिस्सेदारी चार प्रतिशत है। इसी हलफनामे में केंद्र ने उल्लेख किया कि विशेषज्ञों के साथ हुई एक बैठक में कहा गया कि प्रदूषण स्तर में इसका योगदान 35 से 40 प्रतिशत है। मैं केंद्रीय पर्यावरण मंत्री से स्पष्टीकरण का अनुरोध करता हूं। एक ही हलफनामे में दो तथ्य हैं। कौन सा सही है ?’’

उन्होंने कहा कि इस मुद्दे पर स्पष्टीकरण जरूरी है ताकि प्रदूषण से निपटने के लिए सही रणनीति बनाई जा सके।

उन्होंने कहा, ‘‘चार प्रतिशत वाले आंकड़े के आधार पर बनी रणनीति के अलग परिणाम आएंगे और 40 प्रतिशत के आंकड़े को देखते हुए बनाई रणनीति के विभिन्न परिणाम आएंगे।’’

मंत्री ने यह भी कहा कि सफर के आंकड़े एक अलग तस्वीर पेश करते हैं।

उन्होंने सफर के आंकड़ों के हवाले से कहा, ‘‘वायु प्रदूषण में 4 नवंबर को पराली जलने का योगदान 25 प्रतिशत, 5 नवंबर को 36 प्रतिशत, 6 नवंबर को 41 प्रतिशत, 7 नवंबर को 48 प्रतिशत, 8 नवंबर को 30 प्रतिशत, 9 व 10 नवंबर को 27 प्रतिशत और 11 नवंबर को 26 प्रतिशत था। यह 12 नवंबर को 35 प्रतिशत, 13 नवंबर को 31 प्रतिशत और 14 नवंबर को 12 प्रतिशत रहा।’’

राय ने कहा, ‘‘इन आंकड़ों को देखें तो औसत 31 प्रतिशत आता है। यह भी केंद्र सरकार का ही आंकड़ा है और जो आंकड़ा अदालत के अंदर सौंपा गया है वह भी केंद्र सरकार का है।

उन्होंने कहा कि केंद्रीय पर्यावरण मंत्री से अनुरोध करते हैं कि आंकड़ों पर स्थिति स्पष्ट करें ताकि सही रणनीति बनाई जा सके।

दिल्ली सरकार ने उच्चतम न्यायालय को सूचित किया है कि वह वायु प्रदूषण को नियंत्रित करने के लिए पूर्ण लॉकडाउन जैसे कदम उठाने के लिए तैयार है।

व्यापारियों के निकाय ‘चैंबर ऑफ ट्रेड एंड इंडस्ट्री’ (सीटीआई) के अध्यक्ष बृजेश गोयल ने मंगलवार को कहा कि लॉकडाउन, प्रदूषण की समस्या का समाधान नहीं है और इससे न केवल अर्थव्यवस्था को बहुत नुकसान होगा, बल्कि इस शादी ब्याह के मौसम में लोगों के रोजगार पर भी असर पड़ेगा।

राय ने 'रेड लाइट ऑन, गाड़ी ऑफ' अभियान के दूसरा चरण की भी घोषणा की जो 19 नवंबर से तीन दिसंबर तक चलाया जाएगा।

इस बीच दिल्ली में न्यूनतम तापमान 10 डिग्री सेल्सियस रिकॉर्ड किया गया है जो सामान्य से चार डिग्री कम है जबकि अधिकतम पारा 27 डिग्री सेल्सियस दर्ज किया गया है जो सामान्य से एक डिग्री कम है।

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Web Title: Delhi's air quality again in 'severe' category, discussion on pollution strategy

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