Delhi Violence: मुझे मारने वाले न तो हिंदू थे और न ही मुसलमान, वह केवल दंगाई थे: हिंसा में पीड़ित जुबैर
By अनुराग आनंद | Updated: March 2, 2020 15:35 IST2020-03-02T15:35:21+5:302020-03-02T15:35:21+5:30
मोहम्मद जुबैर जिस्मानी जख्मों से धीरे-धीरे उबर रहे हैं, पर उनके मन का घाव भरने में शायद लंबा वक्त लगे। जुबैर 24 फरवरी को घर लौट रहे थे कि उन्हें दंगाई भीड़ ने अपनी चपेट में ले लिया।

दिल्ली हिंसा (फाइल फोटो)
दिल्ली हिंसा के दौरान 47 लोगों की मौत हो गई जबकि करीब 250 लोग घायल हो गए। हिंसा के वक्त दंगाई दूसरे संप्रदाय के लोगों के घर को जला रहा था तो कोई दुकान लूट रहा था। इस भयावह घटना को नॉर्थ इस्ट में रहने वाले जिस लोगों ने भी देखा वह इस दहशत से निकल नहीं पा रहे हैं। हिंसा के दौरान जो अमानवीयता देखने को मिली वह पीड़ित लोगों के अंदर अब भी एक डर के रूप में बैठी हुई है।
इसी हिंसा की खौफनाक तस्वीर का प्रतीक बन चुके मोहम्मद जुबैर जिस्मानी जख्मों से धीरे-धीरे उबर रहे हैं, पर उनके मन का घाव भरने में शायद लंबा वक्त लगे। जुबैर 24 फरवरी को घर लौट रहे थे कि उन्हें दंगाई भीड़ ने अपनी चपेट में ले लिया। उन्हें बुरी तरह पीटा गया। जुबैर कहते हैं कि उन्हें पीटने वाले न हिंदू हो सकते, न मुसलमान। वो तो बस दरिंदे थे।
जुबैर ने कई मीडिया संस्थानों के साथ आपबीती साझा की है। द गार्जियन और बीबीसी से बातचीत में भी उन्होंने उस खौफनाक दिन को याद किया। उन्होंने बताया- शाही ईदगाह सदर बाजार में आयोजित इजतिमा में दुआ के बाद घर लौट रहे थे। घर में सबको खुशी थी कि वो हर साल की तरह इस बार भी परिवार के लिए कुछ लेकर आएंगे। भाई-बहनों और अपने बच्चों के लिए मैंने दिल्ली ईदगाह से हलवा-पराठा खरीदा।
हमें पता चला है कि आगे (भजनपुरा के आसपास) हालात ठीक नहीं हैं। दो समुदायों के बीच लड़ाई हो रही है, जिसके चलते सार्वजनिक वाहन से रास्ते में ही उतरना पड़ा।
जुबैर बताते हैं कि उस दिन भजनपुरा रोड (मजार के पास) के दोनों तरफ भीड़ एक-दूसरे पर पत्थर फेंक रही थी। हालात खराब और पथराव होता देख मैंने पीछे लौटने की कोशिश की मगर भीड़ ने देख लिया।
वहां मौजूद सब किसी शिकार की तरह मुझपर झपट पड़े। किसी ने सिर पर रॉड मारी। सिर से खून बहने लगा, फिर भी एक के बाद एक रॉड पड़ती रहीं। बुरी तरह कराहते हुए मैं घुटनों के बल नीचे बैठता चला गया। इस सब के साथ जुबैर ने यह भी कहा कि मुझे मारने वाले न तो हिंदू थे और न ही मुसलमान, वह केवल दंगाई थे।
ये है दिल्ली हिंसा का अपडेट-
दिल्ली हिंसा में मरने वालों का आंकड़ा बढ़कर 47 हुआ हो गया है। इसमें 38 मौतें गुरु तेग बहादुर अस्पताल में, 3 लोक नायक अस्पताल में, 1 जग प्रवेश चंद्र अस्पताल में और 5 लोगों की मौत राम मनोहर लोहिया अस्पताल में हुई है।
उत्तर-पूर्वी दिल्ली के जाफराबाद, मौजपुर, बाबरपुर, चांद बाग, शिव विहार, भजनपुरा, यमुना विहार और मुस्तफाबाद इलाके में हुई हिंसा में कम से कम 47 लोगों की मौत हुई है और करीब 200 लोग घायल हुए हैं। हिंसा में संपत्ति का भारी नुकसान हुआ है। हिंसक भीड़ ने घरों, दुकानों, वाहनों और पेट्रोल पम्प में आग लगा दी थी और स्थानीय लोगों और पुलिस कर्मियों पर पथराव किया था।
इस बीच संसद में दिल्ली हिंसा को लेकर जमकर हंगामा हो रहा है। विपक्ष देश के गृह मंत्री अमित शाह से इस्तीफे की मांग कर रहा है। उत्तर पूर्वी दिल्ली के हिंसा प्रभावित इलाकों में 92 प्रतिशत से ज्यादा विद्यार्थियों ने सोमवार को अपनी बोर्ड परीक्षाएं दीं। केंद्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड (सीबीएसई) ने कहा कि 12वीं कक्षा के छात्रों का भौतिक विज्ञान का और 10वीं कक्षा के विद्यार्थियों का संगीत का पेपर था।