दिल्ली हिंसा: दंगाईयों ने घर जला दिया, फिर शादी टूट गई, लेकिन फिर किसी और से अस्पताल में हुई शादी
By अनुराग आनंद | Updated: March 7, 2020 15:22 IST2020-03-07T15:20:23+5:302020-03-07T15:22:49+5:30
जब रुख़सार के घरवाले ने इस बात की सूचना उत्तर प्रदेश में जिस लड़के से शादी होने वाली थी, उसके घरवालों को दी तो उसने शादी करने से साफ इनकार कर दिया था।

दिल्ली हिंसा पीड़ित की अस्पताल में हुई शादी (सांकेतिक फोटो)
दिल्ली हिंसा में कुल 56 लोगों की मौत की पुष्टि हुई है। इसके अलावा, करीब 250 लोगों को घायल अवस्था में अस्पताल में भर्ती किए गए। हिंसा के दौरान लगातार तीन दिन तक दिल्ली जलती रही, इसमें कईयों के घर जल गए जबकि कईयों के परिजन मारे गए। इसी बीच मुस्तफाबाद में इस हिंसा के दौरान 26 फ़रवरी को रुख़सार की शादी होने वाली थी। लेकिन, तभी दंगाईयों ने उसके घर को जला दिया। स
बीबीसी की रिपोर्ट के मुताबिक, जब रुख़सार के घरवाले ने इस बात की सूचना उत्तर प्रदेश में जिस लड़के से शादी होने वाली थी, उसके घरवालों को दी तो उसने शादी करने से साफ इनकार कर दिया। इसके बाद किसी तरह पड़ोसी व पुलिस की मदद से बचकर पीड़ित परिवार अल हिंद अस्पताल पहुंचा। गुरुवार को इसी अस्पताल में फिरोज नाम के लड़के से रुख़सार की शादी हुई।
फिरोज रुख़सार की पहली पसंद नहीं हैऔर ना ही फिरोज से उसकी शादी तय हुई थी। लेकिन, हिंसा के दौरान सबकुछ इतना तेजी से बदला कि उसने रुख़सार की जिंदगी को तबाह कर दिया।
बता दें कि दिल्ली हिंसा के वक्त दंगाई दूसरे संप्रदाय के लोगों के घर को जला रहा था तो कोई दुकान लूट रहा था। इस भयावह घटना को नॉर्थ इस्ट में रहने वाले जिस लोगों ने भी देखा वह इस दहशत से निकल नहीं पा रहे हैं। हिंसा के दौरान जो अमानवीयता देखने को मिली वह पीड़ित लोगों के अंदर अब भी एक डर के रूप में बैठी हुई है।
इसी हिंसा की खौफनाक तस्वीर का प्रतीक बन चुके मोहम्मद जुबैर जिस्मानी जख्मों से धीरे-धीरे उबर रहे हैं, पर उनके मन का घाव भरने में शायद लंबा वक्त लगे। जुबैर 24 फरवरी को घर लौट रहे थे कि उन्हें दंगाई भीड़ ने अपनी चपेट में ले लिया। उन्हें बुरी तरह पीटा गया। जुबैर कहते हैं कि उन्हें पीटने वाले न हिंदू हो सकते, न मुसलमान। वो तो बस दरिंदे थे।
जुबैर ने कई मीडिया संस्थानों के साथ आपबीती साझा की है। द गार्जियन और बीबीसी से बातचीत में भी उन्होंने उस खौफनाक दिन को याद किया। उन्होंने बताया- शाही ईदगाह सदर बाजार में आयोजित इजतिमा में दुआ के बाद घर लौट रहे थे। घर में सबको खुशी थी कि वो हर साल की तरह इस बार भी परिवार के लिए कुछ लेकर आएंगे। भाई-बहनों और अपने बच्चों के लिए मैंने दिल्ली ईदगाह से हलवा-पराठा खरीदा।
हमें पता चला है कि आगे (भजनपुरा के आसपास) हालात ठीक नहीं हैं। दो समुदायों के बीच लड़ाई हो रही है, जिसके चलते सार्वजनिक वाहन से रास्ते में ही उतरना पड़ा।
जुबैर बताते हैं कि उस दिन भजनपुरा रोड (मजार के पास) के दोनों तरफ भीड़ एक-दूसरे पर पत्थर फेंक रही थी। हालात खराब और पथराव होता देख मैंने पीछे लौटने की कोशिश की मगर भीड़ ने देख लिया।
वहां मौजूद सब किसी शिकार की तरह मुझपर झपट पड़े। किसी ने सिर पर रॉड मारी। सिर से खून बहने लगा, फिर भी एक के बाद एक रॉड पड़ती रहीं। बुरी तरह कराहते हुए मैं घुटनों के बल नीचे बैठता चला गया। इस सब के साथ जुबैर ने यह भी कहा कि मुझे मारने वाले न तो हिंदू थे और न ही मुसलमान, वह केवल दंगाई थे।