दिल्ली हिंसा: डाक्टरों और दर्द से कराहते घायलों के बीच हुआ रुख्सार का अनोखा निकाह

By भाषा | Published: March 5, 2020 08:13 PM2020-03-05T20:13:23+5:302020-03-05T20:13:23+5:30

दिल्ली दंगे की आंच में जलने लगी और यह आग शिवपुरी स्थित उनके घर तक भी पहुंची और धूमधाम से बेटी की शादी करने का उनका सपना टूट गया। परवीन की बेटी रुख्सार की शादी तीन मार्च को होने वाली थी लेकिन दंगे के बाद लड़के के परिवार ने निकाह से इनकार कर दिया था।

Delhi Violence: Rukhsar's unique marriage between doctors and injured groans | दिल्ली हिंसा: डाक्टरों और दर्द से कराहते घायलों के बीच हुआ रुख्सार का अनोखा निकाह

प्रतीकात्मक तस्वीर

Highlightsउत्तर-पूर्वी दिल्ली के दंगों में घायल लोगों का इलाज चल रहा है। एक तरफ दंगों की आग और दूसरी तरफ बेटी के रिश्ते का टूट जाना - परिवार दोहरी मार झेल रहा था।

मुस्तफाबाद के अल हिंद अस्पताल की पहली मंजिल पर उत्तर-पूर्वी दिल्ली के दंगों में घायल लोगों का इलाज चल रहा है। पूरे माहौल में दर्द और सिसकियां गूंज रही हैं । ऐसे आलम में जहां मुस्कुराने की वजह तक ढूंढना मुमकिन न हो, वहां रुख्सार नई जिंदगी शुरू करने की हिम्मत जुटा रही है, वह दुल्हन बनी है और आज ही उसकी विदाई है।

दुल्हन को चारों तरफ से घेरे लोग सामान की एक सूची तैयार कर रहे हैं। ये सारा सामान दुल्हन को निकाह के तोहफे के रूप में दिया जाएगा। सूची में दुल्हन के लिए 11 जोड़ी कपड़े, श्रृंगार का सामान, एक दीवार घड़ी और अलमारी समेत कई चीजें लिखी हैं। इसी बीच कोई आकर पूछता है कि लड़के के लिए दो जोड़ी कपड़े काफी रहेंगे ? इस पर वहां बैठी महिलाएं कहती हैं कि नहीं, कुछ और भी जोड़ दो। सांप्रदायिक हिंसा में बुरी तरह झुलस चुके उत्तर पूर्वी दिल्ली के बहुत से लोग अल हिंद अस्पताल में शरण लिए हुए हैं। ऐसे ही परिवारों में से एक है समा परवीन का परिवार।

परवीन महीनों से अपनी बेटी की निकाह की तैयारी में व्यस्त थीं और लगभग पूरी तैयारी कर चुकी थीं लेकिन इस बीच दिल्ली दंगे की आंच में जलने लगी और यह आग शिवपुरी स्थित उनके घर तक भी पहुंची और धूमधाम से बेटी की शादी करने का उनका सपना टूट गया। परवीन की बेटी रुख्सार की शादी तीन मार्च को होने वाली थी लेकिन दंगे के बाद लड़के के परिवार ने निकाह से इनकार कर दिया था। एक तरफ दंगों की आग और दूसरी तरफ बेटी के रिश्ते का टूट जाना - परिवार दोहरी मार झेल रहा था। परवीन कहती हैं कि एक मां के लिए बेटी की शादी इस तरह से टूटते देखना बहुत बुरा है लेकिन इन सारी बुरी चीजों के बीच एक अच्छी बात ये हुई कि रिश्तेदारी में ही एक लड़का मिल गया और उसका परिवार शादी को तैयार हो गया।

परवीन अपनी बेटी को सजते हुए देख रही हैं और भावुक हो जाती हैं , ‘‘ 24 फरवरी को भीड़ गली में घुस आई और हम जान बचाकर भागे। कई बार पुलिस को भी फोन किया लेकिन कोई नहीं आया। कभी इस पड़ोसी के यहां तो कभी उस पड़ोसी के यहां। दो रातें ऐसी ही कटीं और फिर बुधवार (26 फरवरी) को सुबह पुलिस आई और हमें वहां से निकाला। इसके बाद से हम परिवार के साथ अल हिंद अस्पताल में ही हैं।’’ रुख्सार की विदाई की तैयारियों के बीच ही परवीन को अच्छी खबर मिली है। उनका घर सुरक्षित है । वह कहती हैं,‘‘ खुद को थोड़ा संभाल लें तब देखेंगे कि हमारी जिंदगी कहां पहुंची है।’’ सुहाग जोड़ा पहने और हाथों में मेंहदी रचाए रुख्सार बीच-बीच में मुस्कुराती है।

निकाह को लेकर उसने शर्माते हुए बस इतना कहा कि जो होता है, सब अच्छे के लिए होता है। मौलवी ने तीन मार्च को रुख्सार का निकाह फिरोज के साथ अस्पताल में ही पढ़वाया। चारों और फैले मायूसी के माहौल में भी अस्पताल में रह रहे लोग अपने दुख दर्द को भुलाकर दुल्हन की विदाई की तैयारियों में जुटे हैं । ऐसे माहौल में अचानक निकाह को लेकर फिरोज कहते हैं, ‘‘ निकाह ऐसे होगा, यह कौन जानता था? मेरे सामने जब यह रिश्ता आया तो मैं थोड़ा परेशान हुआ, लेकिन मुझे ऐसा लग रहा था कि जो होगा अच्छा होगा और मैंने हां कर दी।’’ फिरोज का परिवार उत्तरी दिल्ली के कृष्णानगर में रहता है और फर्नीचर का कारोबार करता है।

खुद फिरोज एक निजी कंपनी में काम करते हैं । फिरोज के भाई मोहम्मद उमर कहते हैं, ‘‘ बेटी हर परिवार की इज्जत होती है। निकाह के कार्ड बंट चुके थे, सारी तैयारी हो चुकी थी अगर ऐसे में निकाह नहीं होता तो कैसा लगता ! पहले से ही दंगे की तकलीफ और इसके बाद यह। इसलिए निकाह हो गया और अच्छा हुआ।’’ लेकिन इन दंगों का शिकार हुईं फरजाना, परवीन की तरह खुशकिस्मत नहीं है। खजूरी इलाके में रहने वाली फरजाना ने सिलाई के काम से पाई-पाई जोड़कर अपनी बेटियों को शादी में देने के लिए सामान इकट्ठा किया था, लेकिन इस हिंसा व आगजनी के दौरान उनका घर भी आग के लपेटे में आ गया, जिसमें सबकुछ जलकर खाक हो गया।

फरजाना की दो बेटियों की शादी एक मार्च को होनी थी। फरजाना ने भाषा को बताया, ‘‘मैं और मेरी बच्चियां सिलाई करती थीं। मैं बहुत सालों से अपनी बेटियों को शादी में देने के लिए सामान जोड़ रही थी। मेरी बेटियों का रिश्ता हो गया था शादी एक मार्च को होनी तय थी। मगर माहौल खराब होने की वजह से शादी की तारीख आगे बढ़ा दी थी। वह कहती हैं,‘‘ मैं शादी का सारा सामान ला चुकी थी...जेवर भी ले आई थी। दंगाइयों ने 24-25 फरवरी को सबकुछ लूट लिया और लूटने के बाद घर को आग लगा दी, जिसमें दो फ्रीज, दो वॉशिंग मशीन, अल्मारियां और कपड़े जलकर खाक हो गए। मेरी सारी दौलत खत्म हो गई है।’’

Web Title: Delhi Violence: Rukhsar's unique marriage between doctors and injured groans

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