दिल्ली विश्वविद्यालय: कुलपति ऑफिस के बाहर शिक्षकों का हड़ताल जारी, MHRD शाम 4 बजे बुलाई बैठक
By लोकमत न्यूज़ डेस्क | Updated: December 5, 2019 13:52 IST2019-12-05T13:37:40+5:302019-12-05T13:52:45+5:30
दिल्ली विश्वविद्यालय प्राचार्य संघ ने 29 नवंबर को आयोजित अपनी बैठक में तदर्थ शिक्षकों की नियुक्ति और उनके वेतन संवितरण को टालने वाले फैसले के विरोध में हड़ताल का निर्णय लिया था।

दिल्ली विश्वविद्यालय: कुलपति ऑफिस के बाहर शिक्षकों का हड़ताल जारी, MHRD शाम 4 बजे बुलाई बैठक
दिल्ली विश्वविद्यालय के शिक्षकों का अतिथि शिक्षकों की स्थायी पदों पर नियुक्ति के संबंध में जारी परिपत्र के विरोध में कुलपति कार्यालय के बाहर गुरुवार को भी हड़ताल जारी है। दिल्ली विश्वविद्यालय शिक्षक संघ (DUTA) आज से अनिश्चितकालीन हड़ताल शुरू कर रहा है। दरअसल, डुटा ने यूनिवर्सिटी के 4500 से अधिक एड हॉक शिक्षकों की नियुक्ति को टालने वाले विश्वविद्यालय प्रशासन के फैसले के खिलाफ अनिश्चितकालीन हड़ताल का आह्वान किया है।
बता दें कि दिल्ली विश्वविद्यालय प्राचार्य संघ ने 29 नवंबर को आयोजित अपनी बैठक में तदर्थ शिक्षकों की नियुक्ति और उनके वेतन संवितरण को टालने वाले फैसले के विरोध में हड़ताल का निर्णय लिया था।
Delhi University Teachers' Association (DUTA) continue their protest outside DU Vice-Chancellor's office demanding rollback of August 28 circular which stops the appointment of ad-hoc teachers. pic.twitter.com/GFFGBmZkp5
— ANI (@ANI) December 5, 2019
विश्वविद्यालय प्रशासन ने यह निर्णय 28 अगस्त को जारी अपने परिपत्र के आधार पर किया है जिसमें कहा गया था कि वर्तमान शैक्षणिक सत्र में निकलने वाले रिक्त पदों पर केवल अतिथि शिक्षकों की नियुक्ति की जा सकती है।
दिल्ली विश्वविद्यालय में पिछले कई वर्षों से 4,500 से अधिक एड हॉक के तौर पर शिक्षक काम कर रहे हैं। शिक्षक संघ ने यहां जारी एक बयान में कहा कि यह पूरी तरह से अस्वीकार्य है। 28 अगस्त के परिपत्र का हवाला देते हुए कुलपति पदों पर तदर्थ शिक्षकों की पूर्णकालिक नियुक्ति से इनकार कर रहे हैं। इस हड़ताल से जारी परीक्षाओं पर बड़ा प्रभाव पड़ सकता है।
पहले दिन हड़ताल में डुटा ने सभी शिक्षकों से परीक्षा की ड्यूटी से अलग रहने का आह्वान किया। इससे पहले डुटा ने मंगलवार को यूजीसी और मानव संसाधन मंत्रालय से भी पत्र लिखकर इस मामले में तत्काल हस्तक्षेप करने की गुजारिश की थी। डुटा ने इस विवाद को सुलझाने के लिए वाइस-चांसलर की ओर से कोई भी ठोस कदम नहीं उठाए जाने को लेकर भी आलोचना की थी।