दिल्ली में धरने पर बैठे तेलंगाना के CM ने PM मोदी को दिया 24 घंटे का समय, कहा- किसानों के पास सरकार गिराने की ताकत है
By भाषा | Published: April 11, 2022 02:36 PM2022-04-11T14:36:52+5:302022-04-11T14:48:30+5:30
तेलंगाना के मुख्यमंत्री के. चंद्रशेखर राव ने कहा कि मैं मोदी जी और पीयूष गोयल जी से हाथ जोड़कर विनती करता हूं कि धान की खरीद पर राज्य की मांग का 24 घंटे में जवाब दें। इसके बाद, हम फैसला करेंगे।
नई दिल्ली: केंद्र सरकार की धान खरीद नीति के खिलाफ प्रदर्शन तेज करते हुए तेलंगाना के मुख्यमंत्री के. चंद्रशेखर राव ने राज्य से धान खरीद को लेकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व वाली सरकार को जवाब देने से लिए 24 घंटे का समय दिया। राव ने केंद्र सरकार के जवाब नहीं देने पर देशभर में विरोध करने की धमकी दी।
राव ने यहां तेलंगाना भवन में तेलंगाना राष्ट्र समिति (टीआरएस) के नेताओं के साथ धरना दिया और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को सचेत करने के अंदाज में कहा, ‘‘हमारे किसानों की भावनाओं के साथ मत खेलिए, उनके पास सरकार गिराने की ताकत है।’’
उन्होंने कहा कि किसान भिखारी नहीं हैं और उनके पास अपनी पैदावार के लिए न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) मांगने का अधिकार है।
राव ने कहा, ‘‘मैं मोदी जी और (उपभोक्ता मामले, खाद्य और सार्वजनिक वितरण मंत्री पीयूष) गोयल जी से हाथ जोड़कर विनती करता हूं कि धान की खरीद पर राज्य की मांग का 24 घंटे में जवाब दें। इसके बाद, हम फैसला करेंगे।’’
#WATCH | Is growing paddy Telangana farmers' fault?...I warn PM Modi that you can't mess with farmers. Indian history is a testament that wherever farmers cried, govt loses power.Nobody is permanent...When in power,don't treat farmers unfairly: Telangana CM KCR at dharna, Delhi pic.twitter.com/uqCzSdG3Bl
— ANI (@ANI) April 11, 2022
उन्होंने कहा कि यदि केंद्र जवाब नहीं देता है, तो देशभर में प्रदर्शन और तेज किए जाएंगे।
भारतीय किसान यूनियन के नेता राकेश टिकैत ने भी यहां एक दिवसीय धरने में मुख्यमंत्री के साथ एकजुटता व्यक्त की।
यह 2014 में तेलंगाना में सत्ता में आने के बाद से टीआरएस की दिल्ली में पहली विरोध रैली है। पार्टी के सांसद, विधायक और सभी कैबिनेट मंत्री धरने पर बैठे।
तेलंगाना सरकार केंद्र से मांग कर रही है कि वह मौजूदा रबी मौसम राज्य से उसना (सेला) चावल खरीदे, लेकिन केंद्र का कहना है कि कि वह केवल कच्चा चावल ही खरीद सकता है और वह उसना चावल नहीं खरीद सकता, क्योंकि इसका भारत में बड़े पैमाने पर खाने के लिए इस्तेमाल नहीं किया जाता है।