दिल्ली: 17 फ़रवरी को होगी बोफोर्स केस पर सुनवाई, CBI का दावा- मिले हैं नए तथ्य, जाँच जरूरी
By लोकमत समाचार हिंदी ब्यूरो | Published: February 3, 2018 11:46 AM2018-02-03T11:46:45+5:302018-02-03T12:02:00+5:30
स्वीडेन की हथियार कंपनी बोफोर्स से 1986 में हुए तोप खरीद सौदे में 64 करोड़ रुपये घूस देने के आरोप लगे थे।
दिल्ली की तीस हजारी अदालत में 17 फ़रवरी को बोफोर्स घोटाले पर केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआई) का पक्ष सुनेगी। सीबीआई ने अदालत से कहा है कि बोफोर्स घोटाले से जुड़े नए तथ्य सामने आये हैं जिनकी रोशनी में घोटाले की नए सिरे से जाँच की जरूरत है। सीबीआई ने 31 मई, 2005 को दिए गए उस फैसले के खिलाफ अपील की है जिसमें उसने यूरोप में रह रहे उद्योगपति हिन्दुजा बंधुओं और बोफोर्स कंपनी के खिलाफ सारे आरोप निरस्त कर दिये थे।
यह मामला इसलिए महत्वपूर्ण हो गया है क्योंकि अटॉर्नी जनरल ने हाल ही में सीबीआई को सलाह देते हुए कहा था कि वह हाई कोर्ट के इस 12 साल पुराने फैसले को चुनौती न दें। बावजूद इसके सीबीआई ने सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया है। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक सीबीआई ने हाईकोर्ट के फैसले को चुनौती देने के लिये कुछ महत्वपूर्ण दस्तावेज और साक्ष्य उनके सामने रखे हैं जिसके बाद विधि अधिकारी अपील दायर करने के पक्ष में हो गए हैं।
24 मार्च 1986 को भारत सरकार और स्वीडन की हथियार कंपनी बोफोर्स के बीच 410 155-एमएम हॉविट्ज़र फील्ड गन्स (तोप) 28.5 करोड़ डॉलर का समझौता हुआ था। 16 अप्रैल 1987 को स्वीडिश रेडियो ने एक रिपोर्ट प्रकाशित की जिसमें दावा किया गया है कि बोफोर्स ने इस सौदे के लिए भारतीय राजनेताओं और अधिकारियों को करीब 64 करोड़ रुपये घूस दिया गया था।
उस वक्त आरोप लगे थे कि हथियार कंपनी की तरफ से बिचौलिये के रूप में काम करने वाले इतालवी कारोबारी ऑक्टिवियो क्वात्रोची ने भारतीय अधिकारियों और नेताओं को घूस देकर ये सौदा किया था। क्वात्रोची को तत्कालीन प्रधानमंत्री राजीव गांधी के परिवार का करीबी होने का आरोप लगा था। गांधी परिवार हमेशा ही बोफोर्स घोटाले और क्वात्रोची से किसी तरह जुड़े होने के आरोपों से इनकार करता रहा है।