नई दिल्ली: पूर्वोत्तर दिल्ली दंगों के दो साल बाद भी हिंसा की जांच के लिए दर्ज किए गए 758 मामले लंबित हैं। 50 प्रतिशत एफआईआर में जांच अभी भी लंबित है और कम से कम 25 प्रतिशत मामलों में ही मुकदमा शुरू हुआ है जहां पुलिस ने आरोपी के खिलाफ आरोपपत्र दायर किया है।
बीते 27 जनवरी को दिल्ली हाईकोर्ट को सौंपे गए आंकड़ों में पुलिस ने कहा था कि 367 मामलों में चार्जशीट दाखिल की गई है और 384 मामलों में जांच लंबित है।
जहां तीन मामलों को रद्द करने की अर्जी दी गई, वहीं पिछले साल हाईकोर्ट ने चार एफआईआर रद्द कर दी थी। पुलिस ने कहा कि चार्जशीट दायर किए जाने वाले 367 में से कम से कम 235 मामलों में पूरक जांच लंबित है। अक्टूबर 2021 से जनवरी 2022 के बीच पुलिस ने सिर्फ छह मामलों में चार्जशीट दाखिल की थी।
पूर्वोत्तर दिल्ली पुलिस द्वारा कुल 758 में से 695 की जांच की जा रही है। 62 मामले अपराध शाखा को स्थानांतरित कर दिए गए और उनकी जांच के लिए तीन एसआईटी का गठन किया गया है।
मुख्य मामले में दंगों के पीछे बड़ी साजिश का आरोप लगाते हुए, कई छात्र कार्यकर्ताओं के खिलाफ चार्जशीट दायर की गई है, लेकिन स्पेशल सेल के अनुसार, इसमें भी पूरक जांच लंबित है।