दिल्ली प्रदूषण: पंजाब, हरियाणा ने पराली जलाने से रोकने के लिए कार्य योजना पेश की
By भाषा | Updated: August 17, 2020 05:35 IST2020-08-17T05:35:29+5:302020-08-17T05:35:29+5:30
केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के मुताबिक पिछले साल नवंबर में दिल्ली में वायु प्रदूषण में पराली के धुआं का योगदान 44 प्रतिशत था । पंजाब सरकार ने पर्यावरण प्रदूषण (रोकथाम और नियंत्रण) प्राधिकरण (ईपीसीए) को बताया है कि वह जैव ईंधन आधारित बिजली संयंत्रों में पराली का इस्तेमाल कर रही है।

प्रतीकात्मक तस्वीर
नई दिल्लीः पंजाब और हरियाणा की सरकारों ने पराली जलाने पर नियंत्रण के लिए अपनी कार्य योजना पर्यावरण प्रदूषण (रोकथाम और नियंत्रण) प्राधिकरण (ईपीसीए) को सौंप दिया है। दिल्ली में वायु प्रदूषण के लिए पराली जलाने से निकलने वाला धुआं भी बड़ा कारक होता है। राज्यों ने पराली के प्रबंधन के लिए अत्याधुनिक उपकरण खरीदने में असमर्थ किसानों को किराए पर कृषि मशीनें देने के लिये और कस्टम हायरिंग सेंटर (सीएचसी) की स्थापना का प्रस्ताव दिया है। यहां पर मौजूद मशीनों में पराली को दबाकर गांठ में बदल दिया जाता है।
केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के मुताबिक पिछले साल नवंबर में दिल्ली में वायु प्रदूषण में पराली के धुआं का योगदान 44 प्रतिशत था । पंजाब सरकार ने पर्यावरण प्रदूषण (रोकथाम और नियंत्रण) प्राधिकरण (ईपीसीए) को बताया है कि वह जैव ईंधन आधारित बिजली संयंत्रों में पराली का इस्तेमाल कर रही है और विभिन्न जैव-सीएनजी परियोजनाओं पर काम चल रहा है । राज्य ने अब 25 मेगावाट का सौर-जैव ईंधन परियोजना शुरू करने का प्रस्ताव दिया है ।
पंजाब 7378 सीएचसी की स्थापना कर चुका है। लक्ष्य को पूरा करने के लिए इस साल 5200 और सीएचसी स्थापित किए जाएंगे। प्रत्येक गांव में एक सीएचसी खोलने का लक्ष्य है । ईपीसीए के मुताबिक प्रशासन इस साल गांठ बनाने वाली 220 मशीनें मुहैया कराएगा । किसान इन गांठों को निकटवर्ती फैक्टरियों, मुख्य रूप से जैव ईंधन वाले संयंत्रों में 120 रुपये प्रति क्विंटल के हिसाब से बेच सकते हैं ।
राज्य ने अब तक 50,185 मशीनें सीएचसी और लोगों को मुहैया कराए हैं। राज्य ने पराली के प्रबंधन के वास्ते किराए पर मशीनें मुहैया कराने के लिए एक मोबाइल ऐप की भी शुरूआत की है। वर्ष 2019 में पंजाब सरकार ने अत्याधुनिक मशीनों में इस्तेमाल डीजल पर लागत के रुप में किसानों को 28.51 करोड़ रुपये की रियायत दी थी।
इस साल राज्य सरकार ने यह कहते हुए केंद्र से मदद मांगी है कि वह ‘‘अपने बलबूते भुगतान नहीं कर पाएगी।’’ पिछले साल पंजाब में दो करोड़ टन पराली हुआ था। किसानों ने इसमें से 98 लाख टन पराली को जला दिया । राज्य के इस साल के प्रदर्शन में इन आंकड़ों का मानक के तौर पर इस्तेमाल होगा ।
हरियाणा सरकार ने ईपीसीए को बताया है कि जैव-सीएनजी और जैव इथेनॉल परियोजना और जैव ईंधन संयंत्रों की प्रगति पर गौर करने के लिए एक कमेटी का गठन किया गया है । राज्य ने 2879 सीएचसी स्थापित किए हैं और इस साल अक्टूबर तक 2,000 और केंद्र बनाए जाएंगे। किसानों को किराए पर मशीन मुहैया कराने के लिए एक ऐप का भी प्रचार किया जा रहा है। हरियाणा ने 24,705 मशीनें लगायी हैं। इनमें से 8777 मशीनें लोगों की हैं और बाकी सीएचसी की हैं ।
सब्जियों की खेती को बढ़ावा देने के लिए राज्य में ‘‘भवांतर भरपाई योजना’’ शुरू की गयी । पिछले साल हरियाणा में 70 लाख टन पराली पैदा हुआ, जिसमें से 12.3 लाख टन पराली को जला दिया गया। पंजाब और हरियाणा में पराली जलाने पर रोक के बावजूद आर्थिक दिक्कतों के कारण किसान इसे जला देते हैं। मशीनें बहुत महंगी होने के कारण भी किसान इसे खरीद नहीं पाते हैं ।