दिल्ली प्रदूषण नियंत्रण समिति यमुना नदी में 'माइक्रोप्लास्टिक प्रदूषण' पर शोध करेगी
By भाषा | Updated: December 19, 2021 19:24 IST2021-12-19T19:24:14+5:302021-12-19T19:24:14+5:30

दिल्ली प्रदूषण नियंत्रण समिति यमुना नदी में 'माइक्रोप्लास्टिक प्रदूषण' पर शोध करेगी
नयी दिल्ली, 19 दिसंबर राष्ट्रीय राजधानी में किसी सरकारी निकाय द्वारा अपनी तरह के पहले शोध के तहत दिल्ली प्रदूषण नियंत्रण समिति (डीपीसीसी) मिट्टी, सब्जियों और अन्य खाद्य पदार्थों के अलावा यमुना नदी में ''माइक्रोप्लास्टिक'' के सांद्रण, वितरण और संघटन का पता लगाने के लिए शोध करेगी।
अधिकारियों के मुताबिक, प्रदूषण नियंत्रण निकाय इस बात की भी पड़ताल करेगा कि क्या यमुना नदी के डूब क्षेत्र की मिट्टी कृषि के लिए उपयुक्त है?
अमेरिका की राष्ट्रीय समुद्री और वायुमंडलीय संचालन और यूरोप रसायन एजेंसी के अनुसार, माइक्रोप्लास्टिक पांच मिलीमीटर से कम के प्लास्टिक के टुकड़े होते हैं जोकि सौंदर्य प्रसाधन, कपड़े और औद्योगिक प्रक्रियाओं सहित विभिन्न स्रोतों से प्राकृतिक पारिस्थितिक तंत्र में आते हैं। पूर्व में किए गए के शोध से पता चला है कि माइक्रोप्लास्टिक में किटाणु होते हैं जोकि मानव और प्राकृतिक तंत्र के लिए रोगजनक होते हैं।
डीपीसीसी के मुताबिक, पल्ला से ओखला के 48 किलोमीटर की परिधि में फैले यमुना के डूब क्षेत्र को शोध के लिए 16-16 किलोमीटर के तीन हिस्सों में बांटा जाएगा, जिसमें पल्ला से वजीराबाद, वजीराबाद से निजामुद्दीन पुल और निजामुद्दीन पुल से ओखला शामिल है।
डीपीसीसी के एक अधिकारी ने कहा कि संसद में एक सांसद द्वारा गंगा नदी में माइक्रोप्लास्टिक के बारे में सवाल पूछे जाने के बाद यमुना नदी में माइक्रोप्लास्टिक की मौजूदगी के बारे में शोध का विचार सामने आया है।
पर्यावरण संबंधी अनुसंधान करने वाली ''टॉक्सिक्स लिंक'' की रिपोर्ट का हवाला देते हुए अधिकारी ने कहा, '' यह दुखद है कि हमने अब तक राष्ट्रीय राजधानी में इस तरह का शोध नहीं किया है।''
गंगा नदी को लेकर ''टॉक्सिक्स लिंक'' की रिपोर्ट में सभी नमूनों में माइक्रोप्लास्टिक की मौजूदगी सामने आयी थी, जिसने चिंता बढ़ा दी है।
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