दिल्ली ने गलत फॉर्मूले का इस्तेमाल कर ऑक्सीजन के लिए बढ़ा-चढ़ाकर दावे किए : समिति

By भाषा | Updated: June 25, 2021 19:23 IST2021-06-25T19:23:46+5:302021-06-25T19:23:46+5:30

Delhi made exaggerated claims for oxygen using wrong formula: Committee | दिल्ली ने गलत फॉर्मूले का इस्तेमाल कर ऑक्सीजन के लिए बढ़ा-चढ़ाकर दावे किए : समिति

दिल्ली ने गलत फॉर्मूले का इस्तेमाल कर ऑक्सीजन के लिए बढ़ा-चढ़ाकर दावे किए : समिति

नयी दिल्ली, 25 जून कोविड-19 महामारी की दूसरी लहर के दौरान राष्ट्रीय राजधानी के अस्पतालों में ऑक्सीजन की खपत की ऑडिट के लिए उच्चतम न्यायालय द्वारा गठित एक उप-समूह ने कहा कि दिल्ली सरकार ने ऑक्सीजन की खपत ‘‘बढ़ा-चढ़ाकर’’ बतायी और 1140 मीट्रिक टन ऑक्सीजन का दावा किया, जो 289 मीट्रिक टन की आवश्यकता से चार गुना अधिक थी।

एम्स के निदेशक रणदीप गुलेरिया की अध्यक्षता वाली पांच सदस्यीय समिति ने कहा कि दिल्ली सरकार ने ‘‘गलत फॉर्मूले’’ का इस्तेमाल करते हुए 30 अप्रैल को 700 मीट्रिक टन मेडिकल ग्रेड ऑक्सीजन के आवंटन के लिए दावा किया।

शीर्ष न्यायालय ने दिल्ली के स्वास्थ्य बुनियादी ढांचे और ऑक्सीजन के आवंटन की ऑडिट करने के लिए छह मई को एक उप-समूह गठित किया था और कहा था कि इसमें अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स), नयी दिल्ली के निदेशक रणदीप गुलेरिया, मैक्स हेल्थकेयर के संदीप बुद्धिराजा तथा कम से कम संयुक्त सचिव स्तर के दो आईएएस अधिकारी होंगे। न्यायालय ने कहा था कि इन दो आईएएस अधिकारियों में एक केंद्र से और एक राज्य से होंगे।

समिति ने अपनी रिपोर्ट में कहा कि दिल्ली में चार मॉडल अस्पतालों-- सिंघल अस्पताल, अरुणा आसफ अली अस्पताल, ईएसआईसी मॉडल अस्पताल और लाइफरे अस्पताल-- ने बहुत कम बिस्तरों के लिए बहुत ज्यादा ऑक्सीजन खपत का दावा किया और ये दावे साफ तौर पर ‘‘गलत’’ लगते हैं।

शीर्ष न्यायालय को अपनी अंतरिम रिपोर्ट सौंपने वाली समिति ने कहा कि उप-समूह की बैठकों के दौरान उसे प्रोफार्मा से मिले आंकड़ों में ‘‘घोर विसंगतियां’’ मिलीं। तेईस पृष्ठों की अंतरिम रिपोर्ट में कहा गया है, ‘‘भारत सरकार के भारतीय उद्योग एवं आंतरिक व्यापार संवर्धन विभाग के अतिरिक्त सचिव ने उस पर नाखुशी जतायी जिस तरीके से दिल्ली सरकार ने आंकड़ों की तुलना की क्योंकि इसमें कई गलतियां हैं जिनका जिक्र किया गया है। अब भी यह स्पष्ट नहीं है कि दिल्ली सरकार ने उच्चतम न्यायालय में 700 मीट्रिक टन का आवंटन करने की मांग किस आधार पर की।’’

उप समूह ने कहा कि आईसीयू बिस्तर और गैर आईसीयू बिस्तरों की संख्या में विसंगति पाई गई है।

राष्ट्रीय कार्य बल की 163 पृष्ठों की इस अंतरिम रिपोर्ट में कहा गया है, ‘‘ऐसा लगता है कि सरकार ने गलत फॉर्मूले का इस्तेमाल किया और 30 अप्रैल को बढ़ा-चढ़ाकर दावे किए।’’ यह भी देखा गया कि कुछ अस्पताल किलो लीटर और मीट्रिक टन के बीच भेद नहीं कर सके और 700 मीट्रिक टन का दावा करते हुए भी इसकी जांच नहीं की गई।

रिपोर्ट में कहा गया है, ‘‘विस्तारपूर्वक चर्चा के बाद उप-समूह इस नतीजे पर पहुंचा कि राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र दिल्ली की ऑक्सीजन की मौजूदा आवश्यकता 290 से 400 मीट्रिक टन है। इसके अनुसार ऐसी सिफारिश की जाती है कि दिल्ली को 300 मीट्रिक टन का कोटा दिया जाए।’’

इसमें यह भी कहा गया है कि दिल्ली में ऑक्सीजन टैंकर ऑक्सीजन नहीं खाली कर सके और विभिन्न अस्पतालों में ऑक्सीजन टैंक भरे होने के चलते वे पड़े रह गये।

रिपोर्ट में कहा गया है, ‘‘मेसर्स गोयल गैसेज से यह शिकायत मिली थी कि लोक नायक जयप्रकाश अस्पताल में खड़े टैंकरों से कई घंटों तक ऑक्सीजन नहीं निकाला जा सका, जिससे आपूर्ति श्रृंखला टूट गई। इसी तरह के उदाहरण एम्स, नयी दिल्ली में भी देखने को मिले।

रिपोर्ट में कहा गया है, ‘‘विस्तृत चर्चा के बाद उप समूह इस निष्कर्ष पर पहुंचा है कि दिल्ली में इस वक्त ऑक्सीजन की मांग 290-400 मीट्रिक टन है।

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Web Title: Delhi made exaggerated claims for oxygen using wrong formula: Committee

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