दिल्लीः तत्कालीन एक्साइज कमिश्नर आरव गोपीकृष्ण समेत 11 अधिकारी सस्पेंड, उपराज्यपाल का बड़ा एक्शन
By सतीश कुमार सिंह | Published: August 6, 2022 02:16 PM2022-08-06T14:16:47+5:302022-08-06T14:35:56+5:30
दिल्ली के उपराज्यपाल वी के सक्सेना ने आबकारी नीति 2021-22 के कार्यान्वयन में नियमों के कथित उल्लंघन और प्रक्रियागत खामियों की सीबीआई जांच की सिफारिश की है, जिसके तहत शहर के 32 जोन में शराब की खुदरा बिक्री के लिए निजी कंपनियों को लाइसेंस जारी किए गए थे।
नई दिल्लीः दिल्ली के उपराज्यपाल वी के सक्सेना ने बड़ा एक्शन लिया है। उपराज्यपाल ने आबकारी नीति लागू करने में चूक को लेकर राष्ट्रीय राजधानी के पूर्व आबकारी आयुक्त आरव गोपीकृष्ण और उप आबकारी आयुक्त आनंद कुमार तिवारी सहित 11 अधिकारियों को निलंबित कर दिया है। सूत्रों ने शनिवार को यह जानकारी दी।
उपराज्यपाल सक्सेना ने आबकारी नीति 2021-22 के कार्यान्वयन में नियमों के कथित उल्लंघन और प्रक्रियागत खामियों की सीबीआई जांच की सिफारिश की है, जिसके तहत शहर के 32 जोन में शराब की खुदरा बिक्री के लिए निजी कंपनियों को लाइसेंस जारी किए गए थे।
LG suspends 11 officials, including ex-Delhi excise commissioner Arav Gopi Krishna, over lapses in implementing excise policy: Sources
— Press Trust of India (@PTI_News) August 6, 2022
उपराज्यपाल कार्यालय के सूत्रों के मुताबिक, दिल्ली सरकार के आबकारी विभाग के दानिक्स कैडर के तीन तदर्थ अधिकारियों और छह अधिकारियों को भी निलंबित कर दिया गया है। सूत्रों के अनुसार, उपराज्यपाल ने आबकारी नीति के कार्यान्वयन में ‘संबंधित अधिकारियों की ओर से की गई कथित गंभीर चूक’ को देखते हुए यह निर्णय लिया है, जिसमें ‘निविदा को अंतिम रूप देने में अनियमितताएं और चुनिंदा विक्रेताओं को पोस्ट-टेंडर लाभ प्रदान करना’ शामिल है।
उपराज्यपाल सक्सेना ने सतर्कता निदेशालय (डीओवी) की ओर से दायर एक जांच रिपोर्ट के आधार पर यह कार्रवाई की है। गौरतलब है कि उपराज्यपाल ने आबकारी नीति 2021-22 के कार्यान्वयन में नियमों के कथित उल्लंघन और प्रक्रियात्मक खामियों की केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआई) से जांच कराने की सिफारिश पहले ही कर दी है।
दरअसल, 17 नवंबर 2021 को लागू की गई नयी आबकारी नीति के तहत 32 क्षेत्रों में विभाजित शहर की 849 शराब की दुकानों के लिए निजी फर्मों को खुदरा लाइसेंस जारी किए गए थे। मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल के नेतृत्व वाली आम आदमी पार्टी (आप) सरकार ने अब इस नीति को वापस ले लिया है।
दिल्ली के उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया ने शनिवार को पूर्व उपराज्यपाल अनिल बैजल पर अनधिकृत क्षेत्रों में शराब की दुकानें खोलने के मामले में अपना रुख बदलने का आरोप लगाया। उन्होंने दावा किया कि इसके कारण उनकी सरकार को करोड़ों रुपये के राजस्व का नुकसान हुआ।
सिसोदिया ने कहा कि उन्होंने इस मामले से जुड़ी जानकारी केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआई) को भेज दी है और दिया कि मामले की तफ्तीश होनी चाहिए। बैजल ने इस मामले में तत्काल कोई प्रतिक्रिया नहीं दी है। सिसोदिया ने कहा, ‘‘नयी आबकारी नीति के तहत अनधिकृत क्षेत्रों समेत पूरी दिल्ली में 849 दुकानें खोली जानी थीं। तत्कालीन उपराज्यपाल ने इस प्रस्ताव का विरोध नहीं किया और इसे मंजूरी दे दी।’’
उन्होंने आरोप लगाया कि नीति लागू होने से दो दिन पहले पिछले साल 15 नवंबर को तत्कालीन उपराज्यपाल ने अपना रुख बदल लिया और शर्त लगा दी कि अनधिकृत क्षेत्रों में शराब की दुकानें खोलने के लिए दिल्ली विकास प्राधिकरण (डीडीए) और दिल्ली नगर निगम (एमसीडी) से अनुमति लेनी होगी।
Delhi Excise Policy row | Delhi Deputy CM Manish Sisodia writes to CBI, seeking an investigation into former Lieutenant Governor Anil Baijal's change of stance on the opening of liquor shops in unauthorised areas.
— ANI (@ANI) August 6, 2022
(File photos) pic.twitter.com/ZHNza4EhhC
आम आदमी पार्टी (आप) के नेता ने कहा, ‘‘तत्कालीन उपराज्यपाल के रुख में बदलाव के कारण अनधिकृत क्षेत्रों में दुकानें नहीं खोली जा सकीं, जिससे सरकार को करोड़ों रुपये के राजस्व का नुकसान हुआ। दूसरी ओर, जो दुकानें खोली गई थीं, उन्होंने काफी कमाई की।’’
मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल के नेतृत्व वाली सरकार ने जब नयी आबकारी नीति तैयार की थी, उस समय बैजल दिल्ली के उपराज्यपाल थे। इस नीति को 17 नवंबर 2021 को लागू किया गया था। सरकार ने अब यह नीति वापस ले ली है और वह एक सितंबर से अपने उपक्रमों के माध्यम से पुरानी आबकारी व्यवस्था के तहत शराब की दुकानें संचालित करने की तैयारी कर रही है।
सिसोदिया ने कहा कि इस बात की जांच की जानी चाहिए कि बैजल ने अपना रुख क्यों बदला, जिससे कुछ लोगों को लाभ हुआ और सरकार को वित्तीय नुकसान हुआ। उन्होंने कहा कि इस बात की भी जांच होनी चाहिए कि पूर्व राज्यपाल ने क्या किसी दबाव में यह फैसला किया और क्या भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) का इससे कोई संबंध है।
(इनपुट एजेंसी)