नई दिल्लीः दिल्ली उच्च न्यायालय ने कहा कि लापरवाही पूर्वक वाहन चलाने का मतलब अनिवार्य रूप से केवल अत्यधिक गति से नहीं है, बल्कि इसमें वाहन चलाते समय उचित सावधानी नहीं बरतना भी शामिल है खासकर खड़े या चलते वाहन को ओवरटेक करते समय।
अदालत ने यह टिप्पणी उस मोटरसाइकिल सवार के परिवार की याचिका पर की जिसकी सड़क के बीच में बिना किसी संकेतक या लाइट इंडीकेटर के खड़ी डीटीसी बस से टक्कर के बाद 22 जुलाई, 2012 को मौत हो गई थी। मोटर दुर्घटना दावा न्यायाधिकरण ने परिवार को 17 लाख रुपये से अधिक की राशि देने का आदेश दिया था।
लेकिन मृतक द्वारा अंशदायी लापरवाही के लिए 20 प्रतिशत की कटौती का भी आदेश दिया था। दावेदारों को बीमा कंपनी द्वारा भुगतान किए जाने तक याचिका दायर करने की तारीख से 7.5 प्रतिशत प्रति वर्ष की दर से ब्याज देने का भी आदेश दिया । लेकिन परिवार ने अधिक मुआवजे की मांग को लेकर उच्च न्यायालय का दरवाजा खटखटाया था।
न्यायमूर्ति गौरंग कांत ने अपने हालिया आदेश में कहा कि प्रत्यक्षदर्शियों के बयान के आधार पर इसमें कोई संदेह नहीं है कि गैर जिम्मेदाराना तरीके से डीटीसी बस को सड़क के बीचोबीच खड़ी करने से यह दुर्घटना हुई, लेकिन यदि मोटरसाइकिल सवार पीड़ित ने खड़े वाहन को ओवरटेक करते समये उचित सावधानी बरती होती तो इस दुर्घटना को टाला जा सकता था। जान गंवाने वाले 54 वर्षीय व्यक्ति की सालाना कमाई और अन्य प्रासंगिक तथ्यों के आधार पर अदालत ने मुआवजे की राशि बढ़ाकर 42 लाख रुपये से अधिक कर दिया है।