नाबालिग लड़की के साथ अन्याय हुआ और कष्ट झेलना पड़ा, दिल्ली उच्च न्यायालय ने कहा- रेप केस कलंक अपराधी पर लगे, पीड़िता पर नहीं

By लोकमत न्यूज़ डेस्क | Updated: August 30, 2025 19:35 IST2025-08-30T19:34:07+5:302025-08-30T19:35:14+5:30

न्यायमूर्ति कठपालिया ने कहा, ‘‘याचिकाकर्ता के वकील की दलील है कि वर्तमान कार्यवाही को रद्द करना अभियोक्ता के हित में होगा, अन्यथा उसे कलंक का सामना करना पड़ेगा। मैं इस दलील को घृणित मानता हूं।’’

Delhi High Court said stigma rape case fall culprit not victim Minor girl wronged suffer | नाबालिग लड़की के साथ अन्याय हुआ और कष्ट झेलना पड़ा, दिल्ली उच्च न्यायालय ने कहा- रेप केस कलंक अपराधी पर लगे, पीड़िता पर नहीं

सांकेतिक फोटो

Highlightsकलंक गलत कृत्य की शिकार पीड़िता पर नहीं, बल्कि गलत काम करने वाले अपराधी पर लगना चाहिए।कलंक बलात्कार जैसी भयावह पीड़ा झेलने वाली लड़की पर नहीं, बल्कि अपराधी पर लगाना होगा। दिल्ली उच्च न्यायालय विधिक सेवा समिति के पास 10,000 रुपये जमा कराने का निर्देश दिया।

नई दिल्लीः दिल्ली उच्च न्यायालय ने बलात्कार के आरोपी एक व्यक्ति की इस दलील को ‘‘घृणित’’ करार दिया कि उसके खिलाफ दुष्कर्म का मुकदमा रद्द करना नाबालिग पीड़िता के हित में होगा, जिसे अन्यथा ‘‘कलंक’’ का सामना करना पड़ेगा। न्यायमूर्ति गिरीश कठपालिया ने 29 अगस्त को पारित फैसले में कहा कि कलंक गलत कृत्य की शिकार पीड़िता पर नहीं, बल्कि गलत काम करने वाले पर लगना चाहिए। इसी के साथ उन्होंने आरोपी की याचिका खारिज करते हुए उस पर 10,000 रुपये का जुर्माना लगा दिया। न्यायमूर्ति कठपालिया ने कहा, ‘‘याचिकाकर्ता के वकील की दलील है कि वर्तमान कार्यवाही को रद्द करना अभियोक्ता के हित में होगा, अन्यथा उसे कलंक का सामना करना पड़ेगा। मैं इस दलील को घृणित मानता हूं।’’

उन्होंने कहा, ‘‘कलंक गलत कृत्य की शिकार पीड़िता पर नहीं, बल्कि गलत काम करने वाले अपराधी पर लगना चाहिए। समाज की मानसिकता में आमूल-चूल बदलाव लाना होगा। कलंक बलात्कार जैसी भयावह पीड़ा झेलने वाली लड़की पर नहीं, बल्कि अपराधी पर लगाना होगा।’’

उच्च न्यायालय ने आरोपी के खिलाफ बलात्कार की कार्यवाही रद्द करने से इनकार करते हुए उसे दिल्ली उच्च न्यायालय विधिक सेवा समिति के पास 10,000 रुपये जमा कराने का निर्देश दिया। अदालत ने आरोपी के वकील की इस दलील को खारिज कर दिया कि पीड़िता के माता-पिता ने उसके साथ मामला ‘‘सुलझा’’ लिया है।

इसने कहा, ‘‘यह दलील भी पूरी तरह से बेबुनियाद है, क्योंकि याचिकाकर्ता (आरोपी) के कथित कृत्य के कारण नाबालिग लड़की के साथ अन्याय हुआ है और उसे कष्ट झेलना पड़ा है, न कि उसके माता-पिता को।’’ न्यायमूर्ति कठपालिया ने कहा, ‘‘केवल अभियोजन पक्ष ही आरोपी को माफ कर सकता है, वह भी कुछ विशिष्ट परिस्थितियों में। जैसा कि ऊपर जिक्र किया गया है।

अभियोजन पक्ष अब भी नाबालिग लड़की है।’’ साल 2024 में दर्ज प्राथमिकी के मुताबिक, आरोपी ने लड़की का अश्लील वीडियो बनाकर उसे शारीरिक संबंध बनाने के लिए मजबूर किया। मामले में उस पर यौन अपराधों से बच्चों का संरक्षण (पॉक्सो) अधिनियम और भारतीय न्याय संहिता (बीएनएस) के प्रावधानों के तहत आरोप लगाए गए हैं।

Web Title: Delhi High Court said stigma rape case fall culprit not victim Minor girl wronged suffer

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