दिल्ली हाईकोर्ट ने योगगुरु रामदेव को 'कोरोनिल' के संबंध में फटकार लगाते हुए कहा, "जनता को गुमराह न करें, जो आधिकारिक न हो"

By आशीष कुमार पाण्डेय | Published: August 17, 2022 09:32 PM2022-08-17T21:32:03+5:302022-08-17T21:39:31+5:30

दिल्ली हाईकोर्ट ने योगगुरु रामदेव द्वारा कथित रूप से कोविड-19 के लिए पतंजलि योग संस्थान द्वारा जारी की गई कोरोनिल दवा के संबंध में गलत सूचना फैलाने के मामले दायर की गई याचिका पर सुनवाई करते हुए कड़ी टिप्पणी की है।

Delhi High Court reprimands yoga guru Ramdev in relation to Coronil, says, "Don't mislead the public, which is not official" | दिल्ली हाईकोर्ट ने योगगुरु रामदेव को 'कोरोनिल' के संबंध में फटकार लगाते हुए कहा, "जनता को गुमराह न करें, जो आधिकारिक न हो"

फाइल फोटो

Highlightsदिल्ली हाईकोर्ट ने रामदेव द्वारा कोरोनिल को कोरोना की दवा बताने वाले बयान को भ्रामक बताया कोर्ट ने कहा आयुर्वेद में उनके योगदान का स्वागत है लेकिन एलोपैथी को लेकर वो गुमराह नहीं करेंरामदेव पर आरोप है कि वो कोरोनिल से कोरोना के मरीजों को ठीक होने का भ्रामक दावा कर रहे हैं

दिल्ली: योगगुरु बाबा रामदेव पर कठोर टिप्पणी करते हुए दिल्ली हाईकोर्ट ने बुधवार को कहा कि उनका अनुयायी होने स्वागत योग्य है लेकिन वो एलोपैथी के खिलाफ किसी को गुमराह नहीं कर सकते हैं। हाईकोर्ट ने रामदेव द्वारा आयुर्वेद को एलोपैथी के बनिस्पत बेहतर बताने वाला "आधिकारिक" बयान जनता को गुमराह करने वाला बताया और कहा कि उन्हें ऐसा नहीं करना चाहिए।

दिल्ली हाईकोर्ट में जस्टिस अनूप जयराम भंभानी ने एलोपैथी डॉक्टरों के संघों द्वारा योगगुरु के खिलाफ कथित रूप से कोविड-19 के लिए पतंजलि के कोरोनिल दवा के संबंध में गलत सूचना फैलाने के संबंध में दर्ज किये गये मुकदमे की सुनवाई करते हुए कहा कि स्वामी रामदेव की चिंता आयुर्वेद की प्रतिष्ठा को बचाने के लिए थी, जो भारत की प्राचीन चिकित्सा प्रणाली है।

जस्टिस अनूप जयराम भंभानी ने कहा, "शुरुआत से मेरी चिंता केवल एक ही है। आपके अनुयायियों की भारी संख्या के लिए आपका स्वागत करते हैं। आपकी बातों का लोग विश्वास करते हैं। इसलिए कृपया जनता को ऐसी बातें कहकर गुमराह न करें, जो आधिकारिक न हो।"

मालूम हो कि कई एलोपैथी डॉक्टरों के संघों ने पिछले साल दिल्ली हाईकोर्ट में योगगुरु रामदेव पर आरोप लगाया कि रामदेव कोरोना महामारी को लेकर बड़े पैमाने पर जनता को गुमराह करने का काम कर रहे हैं और चिकित्सा के तथ्यों को गलत तरीके से पेश कर रहे हैं।

डॉक्टरों  का आरोप है कि स्वामी रामदेव जनता के बीच यह कह रहे हैं कि एलोपैथी के कारण कोरोना संक्रमित कई लोगों की मौत हो गई है और वो झूठा दावा कर रहे हैं उनकी बनाई कोरोनिल के पास कोरोना को खत्म करने की क्षमता है।

एलोपैथी डॉक्टरों के संघों की ओर से कोर्ट में पेश वरिष्ठ वकील अखिल सिब्बल ने कहा कि रामदेव ने अभी हाल ही में भी सार्वजनिक विज्ञापन के माध्यम से कोरोनिल को कोरोना के इलाज में प्रभावी बताया और साथ ही कोरोना वायरस के खिलाफ टीकों को क्षमता पर भी सवाल खड़ा किया था।

वकील सिब्बल ने कहा कि भारत सरकार की ओर से कोरोनिल को दिये गये लाइसेंस में कहीं भी इस बात का उल्लेख नहीं है कि कोरोनिल से कोरोना का उपचार हो सकता है। स्वास्थ्य मंत्रालय कोरोनिल के बारे में स्पष्ट तरीके से कहता है कि कोरोनिल केवल प्रतिरक्षा बूस्टर है और इसमें आयुर्वेदिक तत्व हैं।

जस्टिस भंभानी ने वकील अखिल सिब्बल की दलीलों के सुनने के बाद कहा, "अदालत इस बात से बेहद चिंतित है कि अफवाह से जनता का नुकसान होगा और आयुर्वेद का नाम लेकर एलोपैथी के खिलाफ जनता को गुमराह किया जा रहा है।"

अदालत ने कहा, "कोर्ट की चिंता चिकित्सा प्रणाली के रूप में आयुर्वेद की प्रतिष्ठा को बचाने की भी है क्योंकि यह हमारी अपनी प्राचीन चिकित्सा प्रणाली है। लेकिन इसका उद्देश्य किसी को भी एलोपैथी के खिलाफ गुमराह नहीं करना चाहिए।"

जस्टिस भंभानी ने कोर्ट रूम में मौजूद स्वामी रामदेव के वकील से पूछा कि क्या वह मामले का फैसला आने तक कोरोनिल के संबंध में कोई बयान नहीं देना चाहते हैं। जिसके जवाब में रामदेव की ओर से पेश वरिष्ठ वकील पीवी कपूर ने कहा कि वर्तमान मुकदमेबाजी दुराग्रह से प्रेरित है और संबंधित वेबसाइट पर कोरोनिल के संबंध में कोरोना के उपचार या कोरोनिल से स्वस्थ्य होने के संदर्भों को हटाने की प्रक्रिया पहले ही शुरू की जा चुकी है।

इसके साथ ही स्वामी रामदेव के वकील ने कोर्ट में संभावित सार्वजनिक बयान का नया मसौदा भी सौंपा, जिसमें कहा गया है कि कोरोनिल कोरोना के इलाज के लिए नहीं बल्कि एक सहायक उपाय है और चिकित्सा के दोनों क्षेत्रों में यह साथ-साथ चल सकता है।

रामदेव के वकील पीवी कपूर के इस कथन पर आपत्ति जताते हुए एलोपैथी डॉक्टरों के संघों के वकील सिब्बल ने कहा कि उनके द्वारा दिया गया स्पष्टीकरण अभी भी भ्रामक है, जो स्पष्ट नहीं कर रही है कि कोरोनिल कोरोना की दवा नहीं है, बल्कि बयान में यह कहा जा रहा है कि यह कोरोना के हल्के मामलों में सहायक की तरह उपयोग में लाई जा सकती है।

रामदेव की कोरोनिल के खिलाफ ऋषिकेश, पटना और भुवनेश्वर में अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान के तीन रेजिडेंट डॉक्टर्स एसोसिएशन के साथ चंडीगढ़ की पोस्ट ग्रेजुएट इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल एजुकेशन एंड रिसर्च, पंजाब के रेजिडेंट डॉक्टरों का संघ, रेजिडेंट डॉक्टर्स एसोसिएशन, लाला लाजपत राय मेमोरियल मेडिकल कॉलेज, मेरठ और तेलंगाना जूनियर डॉक्टर्स एसोसिएशन, हैदराबाद की ओर से पिछले साल रामदेव, पंतजलि योग संस्थान और अन्य के खिलाफ हाईकोर्ट में विभिन्न याचिकाएं दायर की गई थीं।

डॉक्टरों के विभिन्न संघों ने याचिका के माध्यम से कोर्ट से कहा था योगगुरु रामदेव एक अत्यधिक प्रभावशाली व्यक्ति हैं और वो न केवल एलोपैथिक उपचार पद्धति बल्कि कोरोना और उसके खिलाफ इस्तेमाल किये जा रहे टीके के संबंध में आम जनता के मन में संदेह पैदा कर रहे हैं।

इसके साथ ही याचिका में यह आरोप भी लगाया गया था कि रामदेव कोरोनिल को बेचने के लिए गलत सूचना अभियान और विज्ञापन चला रहे हैं और उनके जरिये कोरोनिल को कोरोना के खिलाफ वैकल्पिक उपचार होने का दावा करता है। कोर्ट ने इस मामले में की सुनवाई के लिए 23 अगस्त की तारीख दी है। (समाचार एजेंसी पीटीआई के इनपुट के साथ)

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