नयी दिल्ली, 10 सितंबर दिल्ली उच्च न्यायालय ने एक याचिका पर सुनवाई करते हुए गूगल, यूट्यूब और दिल्ली पुलिस को एक विवाहित महिला की आपत्तिजनक तस्वीरों और वीडियो वाले लिंक तथा साइट को इंटरनेट से हटाने के कदम उठाने का निर्देश दिया।
न्यायमूर्ति सुब्रमण्यम प्रसाद ने मामले पर सुनवाई की अगली तारीख 16 सितंबर तय करते हुए गूगल, यूट्यूब, केंद्र और दिल्ली पुलिस के साइबर प्रकोष्ठ से तस्वीरें एवं वीडियो हटाने की मांग करने वाली महिला की याचिका पर जवाब देने का निर्देश दिया है।
उच्च न्यायालय ने यह अंतरिम आदेश एक महिला की याचिका पर दिया है जिसमें उसने छद्म नामों से चल रही अश्लील वेबसाइट पर रोक लगाने का केंद्र को निर्देश देने की मांग की है। याचिका में कहा गया कि गूगल को यह निर्देश दिया जाए कि वह उसकी वेबसाइट पर महिला से जुड़ी किसी भी तरह की नग्नता वाली, यौन सामग्री वाली तथा छेड़छाड़ की गई तस्वीरों पर रोक लगाए।
अदालत ने कहा, ‘‘गूगल एलएलसी, यू ट्यूब, केंद्र तथा दिल्ली पुलिस के साइबर प्रकोष्ठ से यह उम्मीद की जाती है कि सुनवाई की अगली तारीख से पहले, याचिकाकर्ता की आपत्तिजनक तस्वीरों और वीडियो वाली साइट और लिंक को इंटरनेट से हटाने के लिए वे आवश्यक कदम उठाएंगे।’’
केंद्र सरकार के स्थायी अधिवक्ता अनुराग अहलुवालिया ने हलफनामा दायर करने के लिए कुछ समय की मांग करते हुए अदालत को आश्वासन दिलाया कि आपत्तिजनक सामग्री को हटाने के लिए कदम उठाए जाएंगे।
गूगल एलएलसी और यूट्यूब की ओर से पेश अधिवक्ता ममता झा ने कहा कि यूट्यूब से संबंधित सभी यूआरएल हटा दिए गए हैं और दस चैनल पर पहले ही रोक लगाई जा चुकी है।
अदालत ने दिल्ली पुलिस को उसके साइबर प्रकोष्ठ के माध्यम से इस मामले में एक पक्षकार बना दिया है।
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