33 सप्ताह की गर्भवती महिला को गर्भपात की अनुमति, उच्च न्यायालय ने कहा-मां का फैसला अहम, सोच-समझ कर काम किया होगा...
By लोकमत न्यूज़ डेस्क | Published: December 6, 2022 02:12 PM2022-12-06T14:12:46+5:302022-12-06T14:13:30+5:30
Delhi HC On Abortion: न्यायमूर्ति प्रतिभा एम. सिंह ने कहा कि एक गर्भवती महिला का गर्भपात कराने संबंधी अधिकार दुनिया भर में बहस का विषय बन रहा है, भारत अपने कानून में एक महिला की पसंद को मान्यता देता है।
नई दिल्लीः दिल्ली उच्च न्यायालय ने 26 वर्षीय एक महिला को गर्भपात कराने की मंगलवार को अनुमति देते हुए कहा कि गर्भपात के मामलों में ‘‘अंतिम फैसला’’ जन्म देने संबंधी महिला की पसंद और अजन्मे बच्चे के गरिमापूर्ण जीवन की संभावना को ध्यान में रखकर किया जाना चाहिए।
महिला ने भ्रूण में मस्तिष्क संबंधी कुछ असामान्यताएं होने के कारण गर्भ को 33वें सप्ताह में गिराने की अनुमति मांगी थी। न्यायमूर्ति प्रतिभा एम. सिंह ने कहा कि एक गर्भवती महिला का गर्भपात कराने संबंधी अधिकार दुनिया भर में बहस का विषय बन रहा है, भारत अपने कानून में एक महिला की पसंद को मान्यता देता है।
वर्तमान मामले में याचिकाकर्ता ने भ्रूण में मस्तिष्क संबंधी विकार का पता चलने के बाद गर्भपात कराने की अनुमति मांगी है। न्यायाधीश ने महिला को चिकित्सकीय तरीके से तत्काल गर्भपात कराने की अनुमति देते हुए कहा कि दुर्भाग्य से चिकित्सकीय बोर्ड ने दिव्यांगता के स्तर या जन्म के बाद भ्रूण के जीवन की गुणवत्ता पर कोई स्पष्ट राय नहीं दी और कहा कि ‘‘ ऐसी अनिश्चितता के कारण गर्भपात कराने की मांग करने वाली महिला के पक्ष में फैसला किया जाना चाहिए।’’
Delhi HC allows plea seeking termination of 33 weeks pregnancy in view of uncertainty of life's quality
— ANI Digital (@ani_digital) December 6, 2022
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अदालत ने कहा, ‘‘ अंतत: अदालत इस नतीजे पर पहुंची है कि ऐसे मामलों में अंतिम फैसला जन्म देने संबंधी महिला की पसंद और अजन्मे बच्चे के गरिमापूर्ण जीवन की संभावना को ध्यान में रखकर किया जाना चाहिए। यह अदालत इस मामले में चिकित्सकीय तरीके से गर्भपात की अनुमति देती है।’’
अदालत ने कहा, ‘‘ गर्भवती महिला का गर्भपात कराने संबंधी अधिकार दुनिया भर में बहस का विषय बना रहा है। यह अधिकार महिला को यह फैसला करने का हक देता है कि वह बच्चे को जन्म देना चाहती है या नहीं। भारत एक ऐसा देश है जो कानून के तहत महिला की इस पसंद को मान्यता देता है।’’
अदालत ने महिला को एलएनजेपी, जीटीबी या अन्य किसी अपनी पसंद के चिकित्सकीय केंद्र में कानून के तहत गर्भपात कराने की अनुमति देते हुए कहा, ‘‘मां ने यह फैसला तार्किक तरीके से किया है।’’ महिला ने पिछले सप्ताह अदालत का रुख किया था। उससे पहले जीटीबी अस्पताल ने इस आधार पर गर्भपात करने से इनकार कर दिया था कि इसमें न्यायिक हस्तक्षेप की जरूरत है, क्योंकि (गर्भपात के लिए) याचिकाकर्ता का गर्भ मान्य सीमा यानी 24 सप्ताह से अधिक का है।