उद्धव ठाकरे को दिल्ली हाईकोर्ट से झटका, निर्वाचन आयोग की कार्यवाही पर रोक लगाने की मांग वाली याचिका खारिज, जानें
By सतीश कुमार सिंह | Published: November 15, 2022 05:34 PM2022-11-15T17:34:42+5:302022-11-15T17:38:41+5:30
दिल्ली उच्च न्यायालय ने शिवसेना पार्टी के नाम और चुनाव चिह्न के इस्तेमाल पर रोक लगाने के निर्वाचन आयोग के अंतरिम आदेश के खिलाफ दायर महाराष्ट्र के पूर्व मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे की याचिका मंगलवार को खारिज कर दी।
नई दिल्लीः महाराष्ट्र के पूर्व मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे को बड़ा झटका लगा है। दिल्ली उच्च न्यायालय ने शिवसेना पार्टी के नाम और चुनाव चिह्न के इस्तेमाल पर रोक लगाने के निर्वाचन आयोग के अंतरिम आदेश के खिलाफ दायर उद्धव ठाकरे की याचिका खारिज की। न्यायालय ने निर्वाचन आयोग से कहा कि वह शिवसेना के दो धड़ों के बीच जारी विवाद पर जल्द से जल्द फैसला करे।
न्यायमूर्ति संजीव नरूला ने कहा कि यह शिवसेना के दोनों गुटों और आम लोगों के हित में होगा कि शिवसेना के धनुष और तीर के चुनाव चिन्ह और नाम के इस्तेमाल पर आयोग की कार्यवाही जल्द ही समाप्त हो। उच्च न्यायालय ने आयोग से इस मुद्दे पर जल्द से जल्द फैसला करने को कहा।
Delhi HC dismisses Uddhav Thackeray's plea against EC's interim order freezing Shiv Sena party name, election symbol
— Press Trust of India (@PTI_News) November 15, 2022
अदालत ने कहा, “ मौजूदा याचिका को खारिज किया जाता है।” इस साल के शुरु में महाराष्ट्र के वर्तमान मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे ने ठाकरे के खिलाफ विद्रोह का झंडा बुलंद किया था और उनपर कांग्रेस और राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (राकांपा) के साथ "अप्राकृतिक गठबंधन" करने का आरोप लगाया था।
शिवसेना के 55 में से 40 से ज्यादा विधायक शिंदे के साथ चले गए थे जिसके बाद ठाकरे को मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा देना पड़ा था। इसके बाद शिंदे गुट ने पार्टी के नाम और चुनाव चिन्ह पर दावा करते हुए कहा कि वही असली शिवसेना है।
Delhi HC asks EC to adjudicate the dispute between two Shiv Sena factions as expeditiously as possible
— Press Trust of India (@PTI_News) November 15, 2022
आयोग ने आठ अक्टूबर को अपने अंतरिम आदेश में ठाकरे और शिंदे की अगुवाई वाले शिवसेना के दोनों गुटों को मुंबई की अंधेरी सीट के उपचुनाव के दौरान पार्टी का नाम और चुनाव चिन्ह इस्तेमाल करने से रोक दिया था। ठाकरे ने पिछले महीने उच्च न्यायालय का रुख कर आयोग के इस आदेश को रद्द करने की गुजारिश की थी।
याचिका में आरोप लगाया गया है कि आयोग ने मौखिक सुनवाई के अनुरोध के ठाकरे के आवेदन के बावजूद सुनवाई का अवसर दिए बिना आदेश पारित करने में अनुचित जल्दबाजी दिखाई। ठाकरे ने अपनी याचिका में दावा किया है कि पार्टी का चुनाव चिन्ह उसकी पहचान है, जिसका इस्तेमाल शिवसेना की स्थापना के बाद से किया गया है। 1966 में उनके पिता बाल ठाकरे ने पार्टी की स्थापना की थी।