Delhi Government School: 10 साल में 2032 शिक्षक पद खाली, दिल्ली के सरकारी स्कूलों में शिक्षा व्यवस्था में क्रांतिकारी परिवर्तन के बड़े-बड़े दावों के बीच आरटीआई में खुलासा, पढ़िए रिपोर्ट

By लोकमत न्यूज़ डेस्क | Updated: May 11, 2024 13:40 IST2024-05-11T13:39:35+5:302024-05-11T13:40:22+5:30

Delhi Government School: आरटीआई से यह बात सामने आयी है कि पिछले दस साल में विभिन्न कारणों से 5747 स्थायी शिक्षकों ने अपने पदों से इस्तीफा दिया लेकिन उनके एवज में केवल 3715 पदों पर ही शिक्षकों को भर्ती किया गया।

Delhi Government School 2032 teacher posts vacant in 10 years revealed RTI amid tall claims revolutionary change education system read report | Delhi Government School: 10 साल में 2032 शिक्षक पद खाली, दिल्ली के सरकारी स्कूलों में शिक्षा व्यवस्था में क्रांतिकारी परिवर्तन के बड़े-बड़े दावों के बीच आरटीआई में खुलासा, पढ़िए रिपोर्ट

file photo

Highlightsसेवानिवृत्ति, इस्तीफे, निधन, शैक्षणिक रूप से सेवानिवृत्ति और स्कूल से निकाले जाने जैसे विभिन्न कारणों के चलते रिक्त हुए थे।निदेशालय से मिली जानकारी के मुताबिक, 2014 में कुल 448 शिक्षकों ने सरकारी विद्यालयों को छोड़ा। 2022 में 667 शिक्षकों ने और 2023 में 950 शिक्षकों ने सरकारी विद्यालयों को छोड़ा।

Delhi Government School: दिल्ली के सरकारी स्कूलों में शिक्षा व्यवस्था में क्रांतिकारी परिवर्तन के सरकार के बड़े-बड़े दावों के बीच एक आरटीआई से खुलासा हुआ है कि शिक्षकों के दो हजार से अधिक पद पिछले दस साल से खाली पड़े हुए हैं । इतना ही नहीं, पिछले दस सालों में पहली से पांचवीं कक्षा में पढ़ने वाले दिव्यांग बच्चों के लिए एक भी स्थायी शिक्षक नियुक्त नहीं किया गया। आरटीआई से यह बात सामने आयी है कि पिछले दस साल में विभिन्न कारणों से 5747 स्थायी शिक्षकों ने अपने पदों से इस्तीफा दिया लेकिन उनके एवज में केवल 3715 पदों पर ही शिक्षकों को भर्ती किया गया।

स्थायी शिक्षकों के ये पद सेवानिवृत्ति, इस्तीफे, निधन, शैक्षणिक रूप से सेवानिवृत्ति और स्कूल से निकाले जाने जैसे विभिन्न कारणों के चलते रिक्त हुए थे। दिल्ली शिक्षा निदेशालय ने सूचना के अधिकार (आरटीआई) अधिनियम के तहत पीटीआई . भाषा के संवाददाता द्वारा दायर आवेदन के जवाब में यह जानकारी मुहैया कराई है।

निदेशालय से मिली जानकारी के मुताबिक, 2014 में कुल 448 शिक्षकों ने सरकारी विद्यालयों को छोड़ा। वहीं 2015 में 411 शिक्षकों ने, 2016 में 458 शिक्षकों ने, 2017 में 526 शिक्षकों ने, 2018 में 515 शिक्षकों ने, 2019 में 519 शिक्षकों ने, 2020 में 583 शिक्षकों ने, 2021 में 670 शिक्षकों ने, 2022 में 667 शिक्षकों ने और 2023 में 950 शिक्षकों ने सरकारी विद्यालयों को छोड़ा।

इस प्रकार पिछले दस सालों में शिक्षकों के 5747 पद रिक्त हुए। लेकिन इनके एवज में 2014 में नौ स्थायी शिक्षकों की, 2015 में आठ स्थायी शिक्षकों की, 2016 में 27 स्थायी शिक्षकों की, 2017 में 668 स्थायी शिक्षकों की, 2018 में 207 स्थायी शिक्षकों की, 2019 में 1576 स्थायी शिक्षकों की, 2020 में 127 स्थायी शिक्षकों की, 2021 में 42 स्थायी शिक्षकों की, 2022 में 931 स्थायी शिक्षकों की और 2023 में 120 शिक्षकों की भर्ती स्थाई रूप से हुई। इसके बावजूद 2032 पद अभी भी रिक्त हैं।

आरटीआई के अनुसार, दिल्ली के सरकारी स्कूलों में फिलहाल 12 फरवरी 2024 तक कुल 15,021 अतिथि शिक्षक काम कर रहे हैं। ‘ऑल इंडिया पेरेंट्स एसोसिएशन’ के अध्यक्ष एवं दिल्ली उच्च न्यायालय के वरिष्ठ अधिवक्ता अशोक अग्रवाल ने ‘पीटीआई-भाषा’ को बताया, ''दिल्ली उच्च न्यायालय ने वर्ष 2001 में एक आदेश में कहा था कि शैक्षणिक वर्ष की शुरुआत में विद्यालयों में शिक्षकों की रिक्ति शून्य होनी चाहिए लेकिन 23 वर्ष बीतने के बाद आज भी हजारों की संख्या में स्थायी शिक्षकों के पद खाली पड़े हैं या उन पर अतिथि शिक्षक काम कर रहे हैं।''

अग्रवाल ने दावा किया कि सरकारी विद्यालयों में 15 से 20 फीसदी स्थायी शिक्षक मातृत्व अवकाश, अध्ययन अवकाश, चिकित्सा अवकाश आदि के चलते किसी न किसी कारण से छुट्टी पर रहते हैं और ऐसे में जरूरत है की अलग से शिक्षकों का एक वर्ग तैयार रखा जाए ताकि बच्चों की पढ़ाई प्रभावित न हो।

अधिवक्ता अग्रवाल ने कहा कि स्थायी शिक्षकों की नियुक्ति एक बेहद गंभीर विषय है और कम से कम सरकार को 10 फीसदी शिक्षक अलग से भर्ती करने चाहिए। उत्तर पूर्वी दिल्ली के एक सरकारी स्कूल में पढ़ाने वाले स्थाई शिक्षक ने नाम न छापने की शर्त पर बताया कि कुछ वक्त पहले तक उनके स्कूल का 10वीं और 12वीं का रिजल्ट जो सौ फ़ीसदी हुआ करता था, आज वह घटकर 47 प्रतिशत रह गया है जिसकी वजह शिक्षकों की भारी कमी है। दिव्यांग बच्चों के लिए विशेष शिक्षकों के मामले में भी हालात ठीक नहीं हैं।

आरटीआई से मिली जानकारी से पता चलता है कि पहली से पांचवीं कक्षा में पढ़ने वाले दिव्यांग बच्चों के लिए पिछले 10 वर्षों में 415 अतिथि शिक्षकों की नियुक्ति की गई लेकिन हैरानी की बात यह है कि कोई भी स्थायी शिक्षक नियुक्त नहीं किया गया।

आरटीआई से प्राप्त जानकारी के मुताबिक, दिल्ली के सरकारी विद्यालयों में दसवीं से 12वीं कक्षा में पढ़ने वाले दिव्यांग बच्चों के लिए 'स्पेशल एजुकेशन टीचर' (एसईटी) की कुल संख्या 291 है, जिसमें 277 स्थायी और 14 अतिथि शिक्षक हैं। निदेशालय ने बताया कि छठी से 10वीं कक्षा तक के दिव्यांग विद्यार्थियों के लिए 1712 शिक्षक मौजूद हैं, जिनमें से 937 अतिथि शिक्षक और 775 स्थायी शिक्षक शामिल हैं। 

Web Title: Delhi Government School 2032 teacher posts vacant in 10 years revealed RTI amid tall claims revolutionary change education system read report

भारत से जुड़ीहिंदी खबरोंऔर देश दुनिया खबरोंके लिए यहाँ क्लिक करे.यूट्यूब चैनल यहाँ इब करें और देखें हमारा एक्सक्लूसिव वीडियो कंटेंट. सोशल से जुड़ने के लिए हमारा Facebook Pageलाइक करे