पत्नी व्यभिचार में रह रही थी, विवाह के दौरान पति के प्रति वफादार नहीं थी, कोर्ट ने कहा-गुजारा भत्ता पाने की हकदार नहीं

By लोकमत न्यूज़ डेस्क | Updated: September 5, 2025 21:03 IST2025-09-05T21:02:02+5:302025-09-05T21:03:03+5:30

अदालत ने 20 अगस्त के आदेश में कहा कि दूसरी अदालत ने मई में दम्पति को इस आधार पर तलाक दे दिया था कि पत्नी व्यभिचार में रह रही थी, तथा वह विवाह के दौरान पति के प्रति वफादार नहीं थी।

delhi court said not entitled get alimony wife living in adultery not loyal husband during marriage | पत्नी व्यभिचार में रह रही थी, विवाह के दौरान पति के प्रति वफादार नहीं थी, कोर्ट ने कहा-गुजारा भत्ता पाने की हकदार नहीं

सांकेतिक फोटो

Highlights पूर्ववर्ती अदालत ने डीएनए परीक्षण रिपोर्ट पर भरोसा किया था।बच्चे की जैविक मां है, लेकिन पति उसका जैविक पिता नहीं था।सास की हत्या का आरोप लगाया गया और उस पर मुकदमा चलाया गया।

नई दिल्लीः दिल्ली की एक अदालत ने एक तलाकशुदा महिला की वित्तीय सहायता की मांग वाली याचिका को खारिज करते हुए कहा कि व्यभिचार में रह रही पत्नी अपने पति से किसी भी तरह का गुजारा भत्ता पाने की हकदार नहीं है। परिवार अदालत की न्यायाधीश नमृता अग्रवाल महिला की याचिका पर सुनवाई कर रही थीं, जिसमें कहा गया था कि अलग रह रहा पति कानूनी और नैतिक रूप से भरण-पोषण देने के लिए बाध्य है, लेकिन वह जानबूझकर इसकी अनदेखी कर रहा है। अदालत ने 20 अगस्त के आदेश में कहा कि दूसरी अदालत ने मई में दम्पति को इस आधार पर तलाक दे दिया था कि पत्नी व्यभिचार में रह रही थी, तथा वह विवाह के दौरान पति के प्रति वफादार नहीं थी। इसने कहा कि पूर्ववर्ती अदालत ने डीएनए परीक्षण रिपोर्ट पर भरोसा किया था।

जिससे पता चला कि भले ही महिला उनके एक बच्चे की जैविक मां है, लेकिन पति उसका जैविक पिता नहीं था। अदालत ने कहा, "डीएनए परीक्षण रिपोर्ट और फैसले को याचिकाकर्ता द्वारा अब तक चुनौती नहीं दी गई है, जिसका अर्थ है कि वह व्यभिचार में रहने की बात स्वीकार करती है।" इसने कहा कि पत्नी पर अपनी सास की हत्या का आरोप लगाया गया और उस पर मुकदमा चलाया गया।

वह लगभग चार साल तक जेल में रही, लेकिन बाद में उसे बरी कर दिया गया और उसके बरी किए जाने के आदेश को दिल्ली उच्च न्यायालय में चुनौती दी गई है। अदालत ने कहा, "इस प्रकार, पक्षों की गवाही के साथ-साथ पूर्ववर्ती अदालत द्वारा पारित निर्णय के आधार पर, यह स्थापित होता है कि प्रतिवादी (पत्नी) व्यभिचार में रह रही है, और दंड प्रक्रिया संहिता (सीआरपीसी) की धारा 125 (4) के अनुसार, यदि कोई पत्नी व्यभिचार में रह रही है, तो वह अपने पति से किसी भी तरह के भरण-पोषण की हकदार नहीं है।"

इसमें कहा गया है कि वैसे भी, पत्नी किसी अन्य व्यक्ति के साथ रह रही है, उसके पास विभिन्न संपत्तियां हैं, जिनसे वह पर्याप्त आय अर्जित कर रही है तथा उसपर अपने बच्चों के भरण-पोषण की कोई जिम्मेदारी नहीं है, क्योंकि पति ही उनके खर्चों को उठा रहा है।

 

Web Title: delhi court said not entitled get alimony wife living in adultery not loyal husband during marriage

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