दिल्ली की अदालत ने आपराधिक गिरोह के सदस्य को जमानत देने से किया इनकार
By भाषा | Updated: July 2, 2021 17:44 IST2021-07-02T17:44:22+5:302021-07-02T17:44:22+5:30

दिल्ली की अदालत ने आपराधिक गिरोह के सदस्य को जमानत देने से किया इनकार
नयी दिल्ली, दो जुलाई दिल्ली की एक अदालत ने शुक्रवार को संगठित आपराधिक गिरोह के एक कथित सदस्य को जमानत देने से इनकार करते हुए कहा कि जमानत देने से अपराधिक न्याय प्रणाली में समाज ने जो भरोसा जताया है, उस पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ सकता है।
मोहम्मद उमर और उसके भाइयों के खिलाफ दिल्ली के सीलमपुर थाने में महाराष्ट्र संगठित अपराध नियंत्रण कानून (मकोका) की विभिन्न धाराओं के तहत 2013 में एक मामला दर्ज किया गया था। अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश विनोद यादव ने कहा कि उनके खिलाफ आरोपों की प्रकृति अत्यंत गंभीर है और अगर जमानत मंजूर की जाती है तो वह संरक्षित गवाहों को धमकी दे सकता है, सबूतों से छेड़छाड़ कर सकता है और अन्य अपराध में उसके संलिप्त होने का खतरा है।
न्यायाधीश ने कहा, ‘‘प्रथम दृष्टया यह स्पष्ट है कि याचिकाकर्ता संगठित आपराधिक गिरोह का एक महत्वपूर्ण सदस्य रहा है। उसके खिलाफ दाखिल आरोपपत्र में खुलासा हुआ है कि उसे अन्य छह मामलों में गिरफ्तार किया गया है। अदालत ने कहा कि ऐसी गंभीर प्रकृति के मामले और आरोपों की गंभीरता को देखते हुए नियमित जमानत देने से न केवल मामले की प्रगति पर बल्कि अपराधिक न्याय प्रणाली में समाज के भरोसे पर भी प्रतिकूल प्रभाव पड़ सकता है। आरोपी को राहत देने से इनकार करते हुए अदालत ने अभियोजन पक्ष के इस दावे पर भरोसा किया कि उमर ने संगठित अपराध गिरोह बनाने की साजिश रची, उसकी सहायता की और उसका संचालन किया।
अदालत ने कहा कि मामले में आठ गवाहों से पूछताछ होना बाकी है। न्यायाधीश ने उमर के वकील की उस दलील पर भी आपत्ति जताई कि उनका मुवक्किल जमानत पाने का हकदार है क्योंकि वह लगभग सात साल से न्यायिक हिरासत में है। अदालत ने कहा कि लंबे समय तक हिरासत में रखना किसी ऐसे गंभीर अपराध के आरोपी को जमानत देने का आधार नहीं हो सकता है जिसके दूरगामी सामाजिक प्रभाव हो सकते हैं।
विशेष लोक अभियोजक अतुल श्रीवास्तव ने अदालत को बताया कि उमर, अपने भाइयों और परिवार के सदस्यों के साथ आर्थिक लाभ हासिल करने के लिए गैरकानूनी गतिविधियों में लिप्त था। उमर के वकील रितेश बाहरी ने अदालत को बताया कि ऐसा कोई सबूत नहीं है जिससे यह साबित हो सके कि वह एक संगठित अपराध गिरोह का सदस्य था। वकील ने दलील दी कि समाज से उसका अच्छा जुड़ाव है और उसने डेयरी के कारोबार से संपत्ति अर्जित की है।
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