सुषमा स्वराजः मानवीय भावना से ओतप्रोत, संकट में फंसे भारतीयों की हमेशा मदद की
By भाषा | Published: August 13, 2019 05:00 PM2019-08-13T17:00:39+5:302019-08-13T17:00:39+5:30
‘‘वह एक सक्षम प्रशासक और मानवीय भाव से युक्त सर्वस्पर्शी व्यक्तित्व थीं जिन्होंने देश से बाहर परेशानी में फंसे भारतीयों की मदद कर उनका दिल जीतने का काम किया। इन्हीं गुणों के लिये उन्हें 2017 में अमेरिकी दैनिक ‘वाल स्ट्रीट जर्नल’ द्वारा भारत की सबसे स्नेह की जाने वाली राजनीतिक घोषित किया था।’’
केंद्रीय मंत्रिमंडल ने मंगलवार को पूर्व केंद्रीय मंत्री सुषमा स्वराज के निधन पर शोक प्रकट किया और उन्हें मानवीय भावना से ओतप्रोत ऐसा सर्वस्पर्शी व्यक्तित्व बताया जिसने देश से बाहर संकट में पड़े भारतीयों की मदद करके सभी के दिलों को जीतने का काम किया।
सुषमा स्वराज (67 वर्ष) का छह अगस्त को दिल का दौरा पड़ने के कारण एम्स में निधन हो गया था कैबिनेट की आज सुबह बैठक में एक प्रस्ताव को अंगीकार किया गया जिसमें कहा गया है कि सुषमा स्वराज को हमेशा उनके अभूतपूर्व भाषण कौशल और करूणमयी सोच के लिये याद किया जाएगा।
Delhi: Condolence meet for late former Union Minister & BJP leader Sushma Swaraj being held at Jawaharlal Nehru Stadium. Home Minister Amit Shah present at the meet. pic.twitter.com/zhU6mHlEVx
— ANI (@ANI) August 13, 2019
इसमें कहा गया है, ‘‘वह एक सक्षम प्रशासक और मानवीय भाव से युक्त सर्वस्पर्शी व्यक्तित्व थीं जिन्होंने देश से बाहर परेशानी में फंसे भारतीयों की मदद कर उनका दिल जीतने का काम किया। इन्हीं गुणों के लिये उन्हें 2017 में अमेरिकी दैनिक ‘वाल स्ट्रीट जर्नल’ द्वारा भारत की सबसे स्नेह की जाने वाली राजनीतिक घोषित किया था।’’
केंद्रीय मंत्रिमंडल ने विभिन्न दायित्वों में राष्ट्र की सेवा के लिये सुषमा स्वराज की ‘आन रिकार्ड’ सराहना की। प्रस्ताव में कहा गया है, ‘‘उनके निधन से देश ने एक उत्कृष्ट नेता एवं असाधारण सांसद को खो दिया।’’ इसमें कहा गया है कि भाजपा की वरिष्ठ नेता सुषमा स्वराज काफी युवावस्था में सार्वजनिक जीवन में आईं और 1977 में 25 वर्ष की आयु में हरियाणा विधानसभा का चुनाव जीता और राज्य के मंत्रिमंडल में कैबिनेट मंत्री बनीं।
वह 1990 में राज्यसभा के लिये चुनी गई थीं और 1996 में 11वीं लोकसभा के लिये चुनी गईं । वह सूचना एवं प्रसारण मंत्री बनीं । अक्टूबर 1998 में वह दिल्ली की पहली महिला मुख्यमंत्री बनीं। साल 2009 में वह 15वीं लोकसभा में विपक्ष की नेता बनीं। साल 2014 में 16वीं लोकसभा में चुने जाने के बाद उन्होंने मई 2019 तक विदेश मंत्री का दायित्व संभाला।