दिल्ली चुनाव: एग्जिट पोल ने AAP की जीत पर लगाई मुहर पर BJP को है एग्जैक्ट पोल्स का इंतजार
By लोकमत समाचार ब्यूरो | Updated: February 10, 2020 08:45 IST2020-02-10T08:34:04+5:302020-02-10T08:45:45+5:30
20 सालों का वनवास खत्म करने खुद शाह ने लगाया जोर दिल्ली की सत्ता से 20 सालों का वनवास खत्म करने के लिए खुद अमित शाह और केंद्रीय नेतृत्व ने एड़ी चोटी का जोर लगाया था। 21 जनवरी को नामांकन के बाद से 6 फरवरी तक अमति शाह ने 42 नुक्कड़ सभाएं करके भाजपा के पक्ष में माहौल बनाया। शाह ने हर रोज 200 किलोमीटर की यात्रा की और हर रोज 2 से 4 सभाओं को संबोधित किया।

भाजपा ने इस बार बड़ी जनसभाओं को सीमित करते हुए सीधे संवाद के लिए नुक्कड़ सभाओं को ज्यादा तरजीह दी।
दिल्ली विधानसभा चुनाव के लिए हुए मतदान के बाद भले ही ज्यादातर पूर्वानुमान आम आदमी पार्टी की सरकार बनने की ओर इशारा कर रहे हैं लेकिन भाजपा को अभी भी बड़ी उम्मीदें हैं। दिल्ली में भाजपा के चुनाव की कमान संभाल रहे केंद्रीय मंत्री प्रकाश जावड़ेकर ने सभी पूर्वानुमानों को नकारते हुए कहा कि एग्जिट पोल्स गलत हो सकते हैं।
जावड़ेकर ने कहा कि भाजपा वास्तविक नतीजों ( एग्जैक्ट पोल्स ) का इंतजार करेगी। उन्होंने दावा किया कि दिल्ली में भाजपा ही जीतेगी और एग्जिट पोल्स और अंतिम नतीजों में बड़ा अंतर होगा। केंद्रीय मंत्री ने लोकसभा चुनाव के नतीजों के हवाले से कहा कि उस समय भी एग्जिट पोल्स गलत साबित हुए थे।
मतदान के बाद शनिवार देर रात भाजपा प्रदेश कार्यालय में देर रात तक मंथन हुआ। गृह मंत्री अमित शाह और भाजपा अध्यक्ष जे।पी। नड्डा ने राष्ट्रीय संगठन महामंत्री बी एल। संतोष, चुनाव प्रभारी प्रकाश जावडे़कर समेत दिल्ली के सभी सातों सांसदों तथा पार्टी के अन्य महत्वपूर्ण नेताओं के साथ चुनाव की समीक्षा की। बैठक और दिल्ली चुनाव के बारे में मीडिया से बात करते हुए जावड़ेकर ने कहा कि हमने जमीनी सच्चाई देखी है और अच्छी प्रतिक्रि या मिली है। हम 11 फरवरी के नतीजों के बाद सरकार जरूर बनाएंगे।
20 सालों का वनवास खत्म करने खुद शाह ने लगाया जोर दिल्ली की सत्ता से 20 सालों का वनवास खत्म करने के लिए खुद अमित शाह और केंद्रीय नेतृत्व ने एड़ी चोटी का जोर लगाया था। 21 जनवरी को नामांकन के बाद से 6 फरवरी तक अमति शाह ने 42 नुक्कड़ सभाएं करके भाजपा के पक्ष में माहौल बनाया। शाह ने हर रोज 200 किलोमीटर की यात्रा की और हर रोज 2 से 4 सभाओं को संबोधित किया।
पार्टी ने राज्यों के मुख्यमंत्रियों, सांसदों और बड़े नेताओं ने भी चुनाव प्रचार में लगाया। उन्हें संबंधित राज्यों से ताल्लुक रखने वाले मतदाताओं के बीच पार्टी के प्रचार के लिए भेजा गया। भाजपा ने इस बार बड़ी जनसभाओं को सीमित करते हुए सीधे संवाद के लिए नुक्कड़ सभाओं को ज्यादा तरजीह दी। दिल्ली की सभी 70 विधानसभाओं में ऐसे लगभग 10,000 संवाद कार्यक्र म रखे गए।