मुंबई, 19 नवंबर उच्चतम न्यायालय द्वारा नियुक्त कृषि समिति के सदस्य अनिल घनवट ने तीन कृषि कानूनों को निरस्त करने के केंद्र सरकार के फैसले को शुक्रवार को पीछे की ओर ले जाने वाला कदम बताया।
घनवट ने ‘पीटीआई-भाषा’ से कहा, ‘‘यह प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा उठाया गया सबसे प्रतिगामी कदम है, क्योंकि उन्होंने किसानों की बेहतरी के बजाय राजनीति को चुना। हमारी समिति ने तीन कृषि कानूनों पर कई सुधार और समाधान सौंपे, लेकिन गतिरोध को सुलझाने के लिए इसका इस्तेमाल करने के बजाय मोदी और भाजपा (भारतीय जनता पार्टी) ने कदम पीछे खींच लिए। वे सिर्फ चुनाव जीतना चाहते हैं और कुछ नहीं।’’
गुरु नानक जयंती के मौके पर शुक्रवार सुबह देश को संबोधित करते हुए प्रधानमंत्री ने कहा कि तीन कृषि कानून किसानों के फायदे के लिए थे, लेकिन ‘‘हम सर्वश्रेष्ठ प्रयासों के बावजूद किसानों के एक वर्ग को राजी नहीं कर पाए।’’
शेतकारी संगठन के अध्यक्ष घनवट ने कहा, ‘‘उच्चतम न्यायालय में हमारी सिफारिशें सौंपने के बावजूद अब ऐसा लगता है कि सरकार ने इसे पढ़ा तक नहीं। कृषि कानूनों को निरस्त करने का फैसला पूरी तरह राजनीतिक है, जिसका मकसद आगामी महीनों में उत्तर प्रदेश और पंजाब में चुनाव जीतना है।’’
उन्होंने कहा कि कृषि कानूनों को निरस्त करने के फैसले ने ‘‘खेती और उसके विपणन क्षेत्र में सभी तरह के सुधारों का दरवाजा बंद कर दिया है। भाजपा के राजनीतिक हितों पर किसानों के हित त्याग दिए गए हैं।’’
घनवट ने कहा कि केंद्रीय कृषि मंत्री रहते हुए राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी के प्रमुख शरद पवार ने ऐसे ही सुधारों पर जोर दिया था लेकिन राजनीतिक वजहों से उन्होंने बाद में इन कानूनों का विरोध किया। उन्होंने कहा, ‘‘किसान संगठन होने के नाते हम इस मुद्दे पर लोगों को जागरूक करते रहेंगे।
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