बिलकिस बानो केस के दोषियों की रिहाई का फैसला गलत मिसाल कायम करता है- असदुद्दीन ओवैसी

By शिवेंद्र राय | Updated: August 16, 2022 16:55 IST2022-08-16T16:53:40+5:302022-08-16T16:55:21+5:30

बिलकिस बानो सामूहिक बलात्कार मामले में उम्रकैद की सजा पाए सभी दोषियों को गुजरात सरकार की माफी योजना के तहत रिहा किया गया है। 15 साल की सजा पूरी हो जाने के बाद इन 11 में से एक ने अपने वकील के माध्यम से समयपूर्व रिहाई के लिए सर्वोच्च न्यायालय का दरवाजा भी खटखटाया था।

Decision to release the convicts of Bilkis Bano case sets a wrong precedent Asaduddin Owaisi | बिलकिस बानो केस के दोषियों की रिहाई का फैसला गलत मिसाल कायम करता है- असदुद्दीन ओवैसी

एआईएमआईएम प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी (फाइल फोटो)

Highlightsबिलकिस बानो केस के दोषियों की रिहाई से ओवैसी नाराजकहा, यह फैसला एक गलत मिसाल कायम करता हैकहा, बिलकिस बानो को नए घाव दिए गए हैं

नई दिल्ली: साल 2002 में हुए गुजरात दंगों के दौरान हुए बिलकिस बानो सामूहिक बलात्कार मामले में उम्रकैद की सजा पाए सभी 11 दोषी को रिहा कर दिया गया है। सभी दोषियों को गुजरात सरकार की माफी योजना के तहत रिहा किया गया। रिहा किए गए सभी 11 दोषियों ने जेल में 15 साल की सजा काट ली थी। इन सभी 11 दोषियों को रिहा करने पर एआईएमआईएम प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी ने नाराजगी जताई है। 

असदुद्दीन ओवैसी ने कहा, "यह अधिक दुर्भाग्यपूर्ण है क्योंकि प्रधान मंत्री ने स्वतंत्रता दिवस पर लाल किले से महिलाओं को अधिक शक्ति देने की बात की थी। इस फैसले से मुस्लिम समुदाय को एक गलत संदेश जा रहा है और यह फैसला एक गलत मिसाल कायम करता है। यह फिर से बिलकिस बानो के खिलाफ किया गया अपराध है। बिलकिस बानो को नए घाव दिए गए हैं। मुझे उम्मीद है कि भाजपा इसे अच्छी तरह से समझ रही होगी।" 

असदुद्दीन ओवैसी ने आगे कहा, "भाजपा एक खास धर्म का पालन करने वालों के प्रति पूरी तरह से पक्षपाती है। लोग गोधरा के लिए जेल में क्यों हैं? भाजपा को कानून के शासन की परवाह नहीं है। वे फिर से अपराध कर रहे हैं। भाजपा को कोई पछतावा नहीं है।"

क्या था बिलकिस बानो केस

2002 के गुजरात दंगो के दौरान अहमदाबाद के रंधिकपुर में रहने वाली 19 साल की बिलकिस बानो के साथ सामूहिक बलात्कार किया गया था। बिलकिस उस समय पांच माह की गर्भवती थीं। हमले में बिलकिस बानो के परिवार के सात लोगों की हत्या भी कर दी गई थी। दंगों के दौरान  बिलकिस बानो के सामूहिक बलात्कार और उनके परिवार के सात सदस्यों की हत्या के आरोप में मुंबई में एक स्पेशल सीबीआई कोर्ट ने 21 जनवरी 2008 को सभी दोषियों को उम्रकैद की सजा सुनाई थी। सजा के खिलाफ बॉम्बे हाईकोर्ट में अपील करने पहुंचे दोषियों को राहत नहीं मिली और बॉम्बे हाईकोर्ट ने भी उनकी सजा बरकरार रखी। 15 साल की सजा काटने के बाद जब एक दोषी ने सर्वोच्च न्यायालय में समय पूर्व रिहाई की याचिका दायर की तब शीर्ष अदालत के निर्देश पर गुजरात सरकार ने पंचमहल के कलेक्टर सूजल माएत्रा की अगुवाई में एक समिति का गठन किया था।

Web Title: Decision to release the convicts of Bilkis Bano case sets a wrong precedent Asaduddin Owaisi

भारत से जुड़ीहिंदी खबरोंऔर देश दुनिया खबरोंके लिए यहाँ क्लिक करे.यूट्यूब चैनल यहाँ इब करें और देखें हमारा एक्सक्लूसिव वीडियो कंटेंट. सोशल से जुड़ने के लिए हमारा Facebook Pageलाइक करे