दत्तात्रेय होसबले: आरएसएस में दूसरे नंबर पर रहकर भाजपा-संघ संबंध को और मजबूत करेंगे
By भाषा | Updated: March 20, 2021 23:47 IST2021-03-20T23:47:33+5:302021-03-20T23:47:33+5:30

दत्तात्रेय होसबले: आरएसएस में दूसरे नंबर पर रहकर भाजपा-संघ संबंध को और मजबूत करेंगे
बेंगलुरु/नयी दिल्ली, 20 मार्च राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के मिलनसार प्रचारक दत्तात्रेय होसबले को शनिवार को आरएसएस का नया सरकार्यवाह चुन लिया गया। होसबोले को उनके व्यावहारिक दृष्टिकोण के लिए जाना जाता है और कई लोगों का मानना है कि संगठन में उनके पदोन्नति से संगठन को आगे बढ़ाने एवं विस्तारित करने में मदद मिलेगी।
लोगों का कहना है कि उनकी पदोन्नति से भाजपा और उसके वैचारिक संरक्षक आरएसएस के बीच संबंध को और मजबूत करने में मदद मिलेगी।
होसबले, 2009 से संघ के सह-सरकार्यवाह (संयुक्त महासचिव) के दायित्व का निर्वहन कर रहे थे। संघ की दो दिवसीय अखिल भारतीय प्रतिनिधि सभा (एबीपीएस) में उन्हें सरकार्यवाह चुना गया। यह सभा संघ की निर्णय लेने वाली सर्वोच्च इकाई है, जिसकी बैठक शुक्रवार से यहां शुरू हुई।
संघ के गलियारों में होसबले को दत्ताजी के नाम से जाना जाता है। वह संघ के शीर्ष पदाधिकारियों में पहले थे जिन्होंने प्रौद्योगिकी अपनायी और ट्विटर और फेसबुक जैसे सोशल मीडिया मंचों पर आये।
वह संघ में 1968 में शामिल हुए थे और फिर चार वर्ष बाद अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद (एबीवीपी) में शामिल हुए थे। वह एबीवीपी में विभिन्न पदों पर रहे और संगठन सचिव बने और मुंबई से 15 वर्षों तक इस पद पर रहे।
सूत्रों के मुताबिक होसबले के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह सहित भाजपा के शीर्ष नेताओं के साथ अच्छे संबंध हैं।
सूत्रों ने यह भी कहा कि एबीवीपी और पूर्वोत्तर में उनके व्यापक अनुभव से संगठन को बढ़ाने में मदद मिलेगी।
भाजपा अध्यक्ष जे पी नड्डा, केंद्रीय मंत्री धर्मेंद्र प्रधान, प्रह्लाद जोशी और मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान जैसे भाजपा के शीर्ष नेताओं ने एबीवीपी में रहने के दौरान उनके साथ काम किया है।
संघ के सूत्रों ने कहा कि हिमाचल प्रदेश के मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर, भाजपा की मध्य प्रदेश इकाई के प्रमुख वी डी शर्मा और भाजपा के महासचिव दिलीप साकिया ने अपने करियर की शुरुआत एबीवीपी से की थी और होसबले ने इन सभी नेताओं को कई गुर सिखाये थे।
दत्तात्रेय होसबले संघ सरकार्यवाह पद पर आसीन होने वाले दूसरे कन्नड़ भाषी बन गये हैं। उनसे पहले, एच वी शेषाद्रि पहले कन्नड़ भाषी थे, जो 1987 से नौ साल तक सरकार्यवाह के पद पर रहे थे।
होसबले का जन्म 1 दिसंबर 1954 को कर्नाटक के शिवमोगा जिले में सोरबा तालुक के एक छोटे से गांव होसबले में आरएसएस कार्यकर्ताओं के एक परिवार से हुआ था।
उनकी प्रारंभिक स्कूली शिक्षा उनके जन्म स्थान होसबले और सागर में भी हुई। बाद में वह अपनी कॉलेज की पढ़ाई करने के लिए बेंगलुरु चले गए और नेशनल कॉलेज में दाखिला लिया।
होसबले ने साहित्य का विषय लिया और बेंगलुरु विश्वविद्यालय से अंग्रेजी साहित्य में स्नातकोत्तर की पढ़ायी की।
होसबले आपातकाल के दौरान एक साल से अधिक समय तक जेल में रहे थे।
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