1959 में भारत आने के तुरंत बाद दलाई लामा ने भारत में अपने गुरु खुनु लामा को कैसे ढूंढा?

By भाषा | Published: August 24, 2020 07:11 PM2020-08-24T19:11:52+5:302020-08-24T19:11:52+5:30

मैसाचुसेट्स इंस्टिट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी में ‘दलाई लामा सेंटर फॉर एथिक्स एंड ट्रांसफॉर्मेटिव वैल्यूज’ के अध्यक्ष एवं मुख्य कार्याधिकारी तेनजिन प्रियदर्शी द्वारा लिखी गई इस किताब का विमोचन सोमवार को हुआ।

Dalai Lama find his mentor Khunu Lama in India soon after coming to India in 1959 | 1959 में भारत आने के तुरंत बाद दलाई लामा ने भारत में अपने गुरु खुनु लामा को कैसे ढूंढा?

वाराणसी में एक शिव मंदिर में रह रहे थे और फिर वहां एक छोटे से कमरे में दोनों की मुलाकात हुई। 

Highlightsअंतत: एक दिन दलाई लामा अपने गुरु को ढ़ूंढने में सफल हो गए जो वाराणसी में एक शिव मंदिर में भेष बदलकर रह रहे थे। प्रियदर्शी इस किताब में अपने उन गुरुओं के बारे में बात करते हैं जिन्होंने उनके जीवन को प्रभावित किया।लोगों में दलाई लामा, केप टाउन के पूर्व आर्चबिशप डेसमंड टूटू और मदर टेरेसा जैसी हस्तियों के नाम शामिल हैं।

नई दिल्लीः वर्ष 1959 में भारत आने के तुरंत बाद दलाई लामा ने अपने गुरु खुनु लामा को ढूंढने के लिए कई प्रयास किए जिनके बारे में उस समय अटकलें थीं कि वह भारत में ही कहीं हैं।

लगातार प्रयासों के चलते अंतत: एक दिन दलाई लामा अपने गुरु को ढ़ूंढने में सफल हो गए जो वाराणसी में एक शिव मंदिर में भेष बदलकर रह रहे थे। यह जानकारी किताब ‘रनिंग टूवार्ड्स मिस्टरी: द एडवेंचर ऑफ एन अनकन्वेंशनल लाइफ’ में दी गई है। मैसाचुसेट्स इंस्टिट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी में ‘दलाई लामा सेंटर फॉर एथिक्स एंड ट्रांसफॉर्मेटिव वैल्यूज’ के अध्यक्ष एवं मुख्य कार्याधिकारी तेनजिन प्रियदर्शी द्वारा लिखी गई इस किताब का विमोचन सोमवार को हुआ।

ईरानी-अमेरिकी लेखिका जारा होशमंड इस किताब की सह-लेखिका हैं। प्रियदर्शी इस किताब में अपने उन गुरुओं के बारे में बात करते हैं जिन्होंने उनके जीवन को प्रभावित किया। इन लोगों में दलाई लामा, केप टाउन के पूर्व आर्चबिशप डेसमंड टूटू और मदर टेरेसा जैसी हस्तियों के नाम शामिल हैं।

पेंगुइन रैंडम हाउस द्वारा प्रकाशित किताब बताती है कि खुनु लामा को ढूंढने में दलाई लामा को काफी कठिनाइयों का सामना करना पड़ा क्योंकि खुनु की पहचान जैसे ही उजागर होती थी, वह अकसर लापता हो जाते थे।

किताब में कहा गया है कि दलाई लामा ने खुनु का पता लगाने के लिए भारत में उन सभी बौद्ध धर्मस्थलों में अपने दूतों को भेजा जहां वह हो सकते थे, लेकिन कोई सफलता नहीं मिली। अंतत: एक दिन संयोग से दलाई लामा को उनके बारे में तब पता चल गया जब वह वाराणसी में एक शिव मंदिर में रह रहे थे और फिर वहां एक छोटे से कमरे में दोनों की मुलाकात हुई। 

Web Title: Dalai Lama find his mentor Khunu Lama in India soon after coming to India in 1959

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