चक्रवाती तूफान 'यास' ने बिहार में भी मचाई तबाही, भारी बारिश और तेज हवाओं के कारण जन-जीवन अस्त-व्यस्त, चेतावनी जारी
By एस पी सिन्हा | Published: May 28, 2021 06:43 PM2021-05-28T18:43:35+5:302021-05-28T18:50:25+5:30
यास तूफान के प्रभाव के कारण तेज हवा के साथ हो रही लगातार बारिश के कारण हुए कटाव से जयप्रभा सेतु के दक्षिणी मुहाने पर सडक ध्वस्त हो गई है। उत्तर प्रदेश और बिहार को जोड़ने वाला यह अति महत्वपूर्ण पुल है।
चक्रवाती तूफान यास का व्यापक असर बिहार में भी देखा जा रहा है। खासकर कोसी-सीमांचल व पूर्व बिहार में इसने भारी तबाही मचाई है। पिछले दो दिनों से राजधानी पटना सहित राज्य भर में तेज हवाएं चल रही हैं और तेज बारिश भी हो रही है। मौसम विभाग ने अगले 48 घटों में हल्की से मध्यम और तीव्र बारिश, एक-दो स्थानों पर भारी बारिश की चेतावनी जारी की है।
यास के कारण राजधानी सहित राज्य भर में जनजीवन अस्त व्यस्त हो गया है। यास का असर हवाई, रेल और सड़क मार्ग पर भी हुआ है। वहीं, कोरोना के संक्रमण काल में राज्य के सबसे बडे कोविड अस्पताल पटना के नालंदा मेडिकल कॉलेज एवं अस्पताल (एनएमसीएच) सहित राज्य के कई अस्पतालों में भी पानी घुस गया है। कई अस्पतालों में तो पानी भर जाने के कारण दवाएं तैरती नजर आने लगी हैं।
इस तूफान के कारण पेड आदि गिर गए हैं। पटना के कुछ ईलाकों सहित राज्य के कई जिलों में बिजली आपूर्ति भी बाधित हुई है। यहां तेज हवाओं के साथ बारिश हो रही है। बारिश का सबसे ज्यादा असर बिजली आपूर्ति पर पड़ा है। कहीं पर ट्रांसफॉमर में फॉल्ट आ गया है तो कहीं पर तेज हवाओं के चलते बिजली की तार टूट गए हैं। मौसम खराब होने के चलते बिजली विभाग काम नहीं कर पा रहा है।
कई इलाकों में पिछले 12 से लेकर 24 घंटे से बिजली की आपूर्ति ठप है। वहीं यह तूफान किसानों के लिए आफत की बारिश बनकर सामने आई है। खेत खलिहान डूब गए है, जिसके बजह से किसानों की खेती और फसल का नुकसान हुआ है। बेमौसम बरसात का सबसे ज्यादा असर प्याज की फसल पर पड़ा है। तेज हवा पानी के कारण प्याज, सब्जी, मकई समेत कई फसल बर्बाद हो गये हैं। उत्तर व पूर्व बिहार में केले के कई पेड आंधी के कारण गिर गए। जिससे किसानों को भारी नुकसान हुआ है।
उधर, तेज हवा के कारण विभिन्न जगहों पर पेड गिरने या पेड से गिरकर करीब आधा दर्जन लोगों की मौत होने की खबर है। इस दौरान वज्रपात से एक की जान चली गई। वैशाली के जंदाहा के महिसौर में ताड का पेड गिरने से 10 वर्षीय बालक की जान चली गई। दूसरी तरफ बांका के अमरपुर के लौगांय में सूखे ताड का पेड गिरने से छह वर्षीय साक्षी कुमारी की मौत हो गई। इधर गया के गुरुआ में ताड के पेड से गिरकर 25 साल के युवक की मौत हो गई। वहीं वजीरगंज के पुनावां में 50 वर्ष से अधिक का पुराना पीपल का पेड गिरा और दो लोगों की मौत हो गई। शेखपुरा जिले में आकाशीय बिजली गिरने से एक की मौत हो गई। मुजफ्फरपुर, मधुबनी और कटिहार जिलों से भी मौत की खबरें आ रही हैं।
इधर, राष्ट्रीय राजमार्ग संख्या 19 पर मांझी घाट के समीप यूपी-बिहार को सडक मार्ग से जोडने वाला जयप्रभा सेतु का दक्षिणी एप्रोच मार्ग अत्यधिक वर्षा की वजह से बुरी तरह कटकर ध्वस्त हो गया है। फिलहाल दोनों प्रदेशों की पुलिस ने सेतु होकर भारी वाहनों के आने जाने पर रोक लगा दी है।
इसबीच मौसम विभाग के अनुसार बिहार में तूफान कमजोर पड रहा है, जिससे जान-माल की अधिक क्षति की आशंका नहीं दिख रही है। तूफान कमजोर होकर धीरे-धीरे पूर्वी उत्तर प्रदेश की ओर आगे बढने के आसार हैं। हालांकि, राज्य के कई जिलों में लगातार लोगों को अनाउसमेंट कर यह सूचना दी जा रही है कि 30 मई तक यास तूफान का असर रहेगा। इसलिए सावधानी बरतें और बेबजह घर से नहीं निकले।
डॉ राजेंद्र प्रसाद केंद्रीय कृषि विश्वविद्यालय पूसा की ओर से जारी मौसम पुर्वानुमान में बताया गया है कि शनिवार तक मध्यम बारिश हो सकती है। आकाशीय बिजली गिरने की भी संभावना है। बिहार के पटना, वैशाली, नालंदा, मुजफ्फरपुर जिले के कुछ भागों में मेघगर्जन/ वज्रपात या ओलावृष्टि के साथ हल्की से मध्यम वर्षा होने और हवा चलने की संभावना है। मौसम विभाग ने लोगों को अपने घरों के अंदर सुरक्षित रहने की सलाह दी है।
इन सब के बीच तूफानी बारिश से गंगा नदी के जलस्तर में भी बढोतरी दर्ज की गई है। जबकि इंडो नेपाल सीमा पर स्थित ऐतिहासिक गंडक बराज से लगभग 56 हजार क्यूसेक पानी का डिस्चार्ज आज शुक्रवार को दोपहर तक किया गया। जिससे तटवर्ती वन क्षेत्र समेत पडोसी राज्य उत्तर प्रदेश के समीपवर्ती क्षेत्रों में पानी का जमाव होने की संभावना बढ गई है। ग्रामीणों में दहशत व्याप्त होने लगी है।
गंडक बराज के अधिकारियों की माने तो नेपाल में हो रहे लगातार मूसलाधार बारिश से तराई और पहाडी क्षेत्रों में जनजीवन अस्त व्यस्त हो गया है। बीते दो से तीन दिनों से नेपाल के पहाडी और तराई क्षेत्रों में हो रही लगातार रुक-रुक कर बारिश के कारण नेपाल के नारायण घाट से छूटे पानी का प्रवाह गंडक बराज के रास्ते प्रवाहित होने के कारण निचले इलाकों में रहने वाले लोगों के लिए खतरा बनना शुरू हो गया है।