CWC बैठक में सोनिया गांधी ने की थी अध्यक्ष पद छोड़ने की पेशकश! फिर गुलाम नबी आजाद ने नेतृत्व को लेकर कही ये बात
By शीलेष शर्मा | Published: March 14, 2022 09:57 AM2022-03-14T09:57:36+5:302022-03-14T10:01:04+5:30
कांग्रेस कार्य समिति (CWC) की बैठक रविवार शाम हुई। साढ़े चार घंटे से भी ज्यादा चली इस बैठक में कांग्रेस पार्टी से जुड़े कई मुद्दों पर चर्चा हुई। इसमें पार्टी के नेतृत्व को लेकर भी बातें हुईं।
नई दिल्ली: कांग्रेस के संगठनात्मक चुनाव होने तक सोनिया गांधी कांग्रेस अध्यक्ष बनी रहेंगी, यह बात उस समय सामने आयी जब रविवार को कार्य समिति (CWC) बैठक प्रारम्भ होते ही सोनिया गांधी ने एक बड़ी बात कही। सोनिया गांधी न दो टूक शब्दों में कहा कि यदि कार्यसमिति को मेरे नेतृत्व से कोई शिकायत है तो वे तत्काल पद छोड़ने के लिए तैयार हैं।
सूत्रों के अनुसार सोनिया की इस भावुक अपील पर सभी ने एक स्वर से साफ किया कि उनके नेतृत्व से किसी को कोई शिकायत नहीं है लेकिन संगठन को मजबूत करने के लिए नए सिरे से काम करने की जरुरत है।
पार्टी सूत्रों के अनुसार नए अध्यक्ष और कार्यसमिति के सदस्यों का चुनाव जुलाई तक संपन्न कराने की पार्टी तैयारी कर रही है, लेकिन इससे पहले संसद का बजट सत्र समाप्त होते ही पार्टी की रणनीति तैयार करने के लिए वरिष्ठ नेताओं का चिंतिन शिवर आयोजित किया जाएगा।
CWC की लगभग चार घंटे 45 मिनट चली लंबी बैठक में यह भी फैसला लिया गया कि मार्च में ही कार्यसमिति की दूसरी बैठक बुलाई जाए जिसमें गहराई से इस बात पर चिंतन हो कि पार्टी चुनाव क्यों हारी और पार्टी की अगली रणनीति क्या हो? पार्टी के महासचिव के सी वेणुगोपाल ने जानकारी दी कि 2022, 2023, और 2024 के लोकसभा तथा राज्यों के चुनाव के लिए पार्टी अभी से तैयारी करेगी ताकि चुनौतियों से निपटा जा सके।
G-23 ग्रुप के गुलाम नबी आजाद और आनंद शर्मा ने क्या कहा
गुलाम नबी आजाद ने बैठक में कहा कि उन्होंने इंदिरा गांधी से लेकर राहुल गांधी तक पार्टी के लिए काम किया है, उनका कभी कोई विरोध नेतृत्व को लेकर नहीं रहा लेकिन वफादार कांग्रेसी होने के नाते संगठन कैसे मजबूत हो यह बताना जरूरी है।
वहीं, आनंद शर्मा का कहना था कि वे हमेशा कांग्रेस के साथ रहे हैं और किसी भी हालत में पार्टी छोड़ कर बाहर नहीं जाने वाले हैं। उनकी शिकायत थी संगठन में चापलूसों का बोलबाला है जिनके चंगुल से पार्टी को बाहर निकलकर एक मजबूत रणनीति बनानी होगी ताकि भाजपा से मुकाबला किया जा सके।
कुछ अन्य सदस्यों की राय थी कि कांग्रेस और भाजपा के बीच विचारधारा की लड़ाई है जिसे जीतने के लिए कड़ी मेहनत और समय लगता है, इसलिए हताश होने की जरुरत नहीं है।
हरीश चौधरी, अजय माकन ने पंजाब की तो देवेंद्र यादव और हरीश रावत ने उत्तराखंड की और दिनेश बुंडू राव और पी चिदंबरम ने गोवा की रिपोर्ट पेश की। इसके अलावा भक्त चरण दास, जयराम रमेश ने मणिपुर की तथा प्रियंका गांधी और भूपेश बघेल ने उत्तर प्रदेश की चुनावी रिपोर्ट पेश की। इन रिपोर्टों में पार्टी की आंतरिक गुटबाजी के साथ साथ चुनाव की पराजय के कारण गिनाए गए थे।