सिर्फ आर्थिक मानदंड के आधार पर ‘क्रीमी लेयर’ का निर्धारण नहीं किया जा सकता है : न्यायालय

By भाषा | Updated: August 24, 2021 22:23 IST2021-08-24T22:23:37+5:302021-08-24T22:23:37+5:30

'Creamy layer' cannot be determined on the basis of economic criteria alone: SC | सिर्फ आर्थिक मानदंड के आधार पर ‘क्रीमी लेयर’ का निर्धारण नहीं किया जा सकता है : न्यायालय

सिर्फ आर्थिक मानदंड के आधार पर ‘क्रीमी लेयर’ का निर्धारण नहीं किया जा सकता है : न्यायालय

उच्चतम न्यायालय ने मंगलवार को कहा कि दाखिले और सरकारी नौकरियों में आरक्षण के लाभ से वंचित करने के लिए पिछड़े वर्गों में 'क्रीमी लेयर' का निर्धारण ‘‘केवल आर्थिक मानदंड के आधार पर’’ नहीं किया जा सकता है। शीर्ष अदालत ने पिछड़े वर्गों के भीतर 'क्रीमी लेयर' को हटाने के लिए मापदंड निर्धारित करने की हरियाणा सरकार की 17 अगस्त 2016 की अधिसूचना को खारिज करते हुए कहा यह ‘‘इंदिरा साहनी मामले में इस अदालत द्वारा जारी निर्देशों का सरासर उल्लंघन’’ है। इस मामले को मंडल फैसला के नाम से भी जाना जाता है। अधिसूचना के अनुसार, पिछड़े वर्ग के सदस्य ‘‘जिनकी सकल वार्षिक आय तीन लाख रुपये तक है उन्हें सबसे पहले सेवाओं में आरक्षण और शैक्षणिक संस्थानों में प्रवेश का लाभ मिलेगा।’’ इसमें यह भी प्रावधान था कि कोटा के शेष हिस्से में नागरिकों के पिछड़े वर्ग के उस तबके को लाभ मिलेगा जिनकी वार्षिक आमदनी तीन लाख रुपये से अधिक लेकिन छह लाख से कम है तथा सालाना छह लाख रुपये से अधिक आय वाले को राज्य के कानून के तहत ‘क्रीमी लेयर’ माना जाएगा। अधिसूचना को रद्द करते हुए न्यायमूर्ति एल नागेश्वर राव की अध्यक्षता वाली पीठ ने कहा कि ‘‘अधिसूचना के आधार पर शैक्षणिक संस्थानों में दाखिले और राज्य सेवाओं में नियुक्ति...में खलल नहीं डाला जाएगा।’’ पीठ में न्यायमूर्ति अनिरुद्ध बोस भी थे। पीठ ने कहा कि तथ्य यह है कि अधिसूचना केवल आर्थिक मानदंडों के आधार पर जारी की गई थी और इसे रद्द करने के लिए केवल यही पर्याप्त आधार है। शीर्ष अदालत ने राज्य सरकार को इंदिरा साहनी मामले में अदालत के फैसले के अनुरुप आज से तीन महीने की अवधि के भीतर एक नयी अधिसूचना जारी करने की स्वतंत्रता दी। मंडल फैसले का व्यापक जिक्र करते हुए निर्णय में कहा गया है कि पिछड़े वर्गों में ‘क्रीमी लेयर’ का निर्धारण ‘‘केवल आर्थिक मानदंड के आधार पर’’ नहीं किया जा सकता है और सामाजिक, आर्थिक तथा अन्य प्रासंगिक कारकों को भी ध्यान में रखना होगा। ‘पिछड़ा वर्ग कल्याण महासभा हरियाणा’ तथा अन्य द्वारा दाखिल याचिकाओं पर यह फैसला आया। इन याचिकाओं में 17 अगस्त 2016 और 28 अगस्त 2018 को राज्य सरकार द्वारा जारी दो अधिसूचनाओं को रद्द करने का अनुरोध किया गया था।

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Web Title: 'Creamy layer' cannot be determined on the basis of economic criteria alone: SC

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