न्यायालय ने लखीमपुर हत्याकांड को बताया 'दुर्भाग्यपूर्ण'; उप्र से एफआईआर में नामजद लोगों, उनकी गिरफ्तारी के बारे में पूछा

By भाषा | Updated: October 7, 2021 16:39 IST2021-10-07T16:39:59+5:302021-10-07T16:39:59+5:30

Court terms Lakhimpur massacre 'unfortunate'; People named in FIR from UP, asked about their arrest | न्यायालय ने लखीमपुर हत्याकांड को बताया 'दुर्भाग्यपूर्ण'; उप्र से एफआईआर में नामजद लोगों, उनकी गिरफ्तारी के बारे में पूछा

न्यायालय ने लखीमपुर हत्याकांड को बताया 'दुर्भाग्यपूर्ण'; उप्र से एफआईआर में नामजद लोगों, उनकी गिरफ्तारी के बारे में पूछा

नयी दिल्ली, सात अक्टूबर उच्चतम न्यायालय ने तीन अक्टूबर को लखीमपुर खीरी कांड में चार किसानों सहित आठ लोगों की हत्या को बृहस्पतिवार को "दुर्भाग्यपूर्ण" बताते हुए उत्तर प्रदेश सरकार को शुक्रवार तक स्थिति रिपोर्ट पेश करने का निर्देश दिया। इस स्थिति रिपोर्ट में राज्य सरकार को प्राथमिकी में नामित आरोपियों के विवरण के साथ ही यह भी बताना है कि क्या उन्हें गिरफ्तार किया गया है।

शीर्ष अदालत ने राज्य सरकार द्वारा गठित विशेष जांच दल (एसआईटी) और न्यायिक जांच आयोग का विवरण भी मांगा है।

सियासी तूफान खड़ा करने वाली इस घटना पर प्रधान न्यायाधीश एन वी रमण, न्यायमूर्ति सूर्य कांत और न्यायमूर्ति हिमा कोहली की तीन सदस्यीय ने स्वत: संज्ञान के मामले के रूप में सुनवाई की। विपक्षी दलों ने उत्तर प्रदेश की भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) की सरकार पर दोषियों को बचाने का आरोप लगाया है।

पीठ ने कहा, “आपने खुद कहा है, खबरों में भी बताया गया है और हमें जो पत्र याचिका प्राप्त हुई है, उसमें भी कि आठ व्यक्ति, जिनमें से कुछ किसान हैं और एक पत्रकार है और अन्य व्यक्ति भी मारे गए हैं। ये सभी दुर्भाग्यपूर्ण घटनाएं हैं जिनमें अलग-अलग लोगों की हत्या की गई है।”

पीठ ने कहा, “हम यह जानना चाहते हैं कि वे आरोपी व्यक्ति कौन हैं जिनके खिलाफ आपने प्राथमिकी दर्ज की है और उन्हें गिरफ्तार किया गया है या नहीं। कृपया इसे अपनी स्थिति रिपोर्ट में स्पष्ट करें।”

पीठ ने यह कहते हुए इस मामले की सुनवाई शुरुआत की, “शिकायत यह है कि आप इसे (घटना) ठीक से नहीं देख रहे हैं और एफआईआर ठीक से दर्ज नहीं की गई है।”

राज्य सरकार की ओर से पेश वकील गरिमा प्रसाद ने भी इस घटना को दुर्भाग्यपूर्ण करार दिया और कहा कि सरकार ने विशेष जांच दल और न्यायिक जांच आयोग का गठन किया है और वह स्थिति रिपोर्ट में इसका विवरण देंगी।

उन्होंने कहा, “ मैं कल तक विवरण प्राप्त कर सकती हूं... न्यायिक जांच आयोग की अध्यक्षता इलाहाबाद उच्च न्यायालय के एक पूर्व न्यायाधीश कर रहे हैं।” साथ ही उस पत्र की एक प्रति मांगी जिसका संज्ञान पीठ ने लिया है।

पीठ ने सुनवाई शुक्रवार के लिए तय करते हुए मौखिक तौर पर कहा, “आप हमें इस मामले में इलाहाबाद उच्च न्यायालय के समक्ष जनहित याचिका की स्थिति के बारे में भी बताएं...इसे कल के लिए सूचीबद्ध कर रहे हैं। सभी निर्देश प्राप्त करें।’’

संक्षिप्त सुनवाई के दौरान, प्रधान न्यायाधीश ने न्यायालय को मिले एक संदेश के बारे में बताया।

उन्होंने कहा, “हमें सुनवाई के दौरान एक व्यक्ति अमृत पाल सिंह खालसा से संदेश प्राप्त हुआ है कि है कि मृतक लवप्रीत सिंह की मां अपने बेटे को खोने के कारण सदमे से गंभीर हालत में है। उसे तत्काल चिकित्सा सहायता की आवश्यकता है। इसमें कहा गया है कि अदालत उत्तर प्रदेश राज्य को उसे चिकित्सा सुविधाएं देने का निर्देश दे सकती है...।”

पीठ ने कहा, “आप (राज्य के वकील) कृपया, अपनी राज्य सरकार को तुरंत बताएं ताकि वह मृतक की मां की देखभाल कर सके...सभी चिकित्सा सुविधाएं दें। आप उसे नजदीकी सरकारी मेडिकल कॉलेज में भर्ती करवा सकते हैं।”

इससे पहले, दोपहर में शीर्ष अदालत ने कहा था कि वह उन दोनों वकीलों का पक्ष जानना चाहती है जिन्होंने लखीमपुर खीरी घटना में सीबीआई को शामिल करते हुए उच्च स्तरीय जांच का अनुरोध किया था।

पीठ ने कहा कि पत्र को जनहित याचिका (पीआईएल) के तौर पर पंजीकृत किया जाना था और कुछ “गलतफहमी” की वजह से इसे स्वत: संज्ञान के मामले के तौर पर सूचीबद्ध कर दिया गया।

पीठ ने कहा, “कोई फर्क नहीं पड़ता, हम तब भी इस पर सुनवाई करेंगे।”

पीठ ने अदालत के अधिकारियों से कहा कि वे दो वकीलों - शिव कुमार त्रिपाठी और सी एस पांडा को पेश होने के लिए सूचित करें और मामले में बाद में सुनवाई तय की।

प्रधान न्यायाधीश ने कहा, “यह पत्र दो वकीलों द्वारा लिखा गया था। हमने रजिस्ट्री को इसे पीआईएल के तौर पर पंजीकृत करने को कहा था लेकिन किसी गलतफहमी की वजह से यह स्वत: संज्ञान वाले मामले के रूप में पंजीकृत हो गया....पत्र लिखने वाले दोनों वकीलों को मौजूद रहने के लिए सूचित करें।”

मामले में फिर से सुनवाई हुई और पीठ ने राज्य सरकार को मौखिक निर्देश देने के बाद इसे कल तक के लिए स्थगित कर दिया।

केंद्र के तीन नये कृषि कानूनों के खिलाफ आंदोलन कर रहा किसानों का एक समूह उत्तर प्रदेश के उपमुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य की यात्रा के खिलाफ तीन अक्टूबर को प्रदर्शन कर रहा था जब लखीनपुर खीरी में एक एसयूवी ने चार किसानों को कुचल दिया था।

इससे गुस्साए प्रदर्शनकारियों ने भाजपा के दो कार्यकर्ताओं और एक ड्राइवर की कथित तौर पर पीट-पीट कर हत्या कर दी, जबकि हिंसा में एक स्थानीय पत्रकार की भी मौत हो गई थी।

तिकोनिया थानाक्षेत्र में हुई घटना में केंद्रीय गृह राज्य मंत्री अजय मिश्रा के बेटे आशीष मिश्रा और अन्य के खिलाफ भारतीय दंड संहिता (भादंसं) की धारा 302 (हत्या) के तहत प्राथमिकी दर्ज की गई है लेकिन अभी तक किसी की गिरफ्तारी नहीं हुई है।

किसान नेताओं ने दावा किया है कि एक गाड़ी में आशीष भी थे, जिसने कथित तौर पर प्रदर्शनकारियों को कुचला था, लेकिन मंत्री ने आरोपों से इनकार किया है।

अनेक किसान संगठन तीन कृषि कानूनों -- कृषक (सशक्तिकरण एवं संरक्षण) कीमत आश्वासन और कृषि सेवा करार, कानून, 2020, कृषक उत्पाद व्यापार एवं वाणिज्य (संवर्धन एवं सरलीकरण) कानून, 2020 और आवश्यक वस्तु (संशोधन) कानून को वापस लेने की मांग को लेकर पिछले साल नवंबर से आन्दोलन कर रहे हैं। पंजाब से शुरू हुआ यह आंदोलन धीरे धीरे दिल्ली, हरियाणा और उत्तर प्रदेश में भी फैल गया।

शीर्ष अदालत ने इस साल जनवरी में इन कानूनों के अमल पर रोक लगा दी थी।

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