बेंगलुरु:सड़क दुर्घटना के पीड़ित परिवार को 2.82 करोड़ रुपये का मुआवजा देने में विफल रहने के बाद पहली बार कर्नाटक की एक निचली अदालत ने राज्य द्वारा संचालित निगम से संबंधित एक बस को जब्त कर लिया है.
इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के अनुसार, अदालत ने उत्तर पश्चिमी कर्नाटक सड़क परिवहन निगम (एनडब्ल्यूकेआरटीसी) को 2013 में एक सड़क दुर्घटना में मारे गए एक सॉफ्टवेयर डेवलपर के परिवार को राशि का भुगतान करने का आदेश दिया था.
39 वर्षीय पीड़ित संजीव एम. पाटिल को राज्य परिवहन की बस ने टक्कर मार दी थी, जब वह बेंगलुरु-पुणे राजमार्ग के जल टोलगेट पर सुबह करीब 6 बजे सड़क पार कर रहे थे.
परिवार इस आधार पर मुआवजे की मांग करने के लिए अदालत गया कि दुर्घटना के समय संजीव सिर्फ 39 वर्ष के थे और आईबीएम में प्रति माह 2.10 लाख रुपये कमा रहे थे. परिवार ने ब्याज सहित 3.55 करोड़ रुपये के मुआवजे का दावा किया था.
एनडब्ल्यूकेआरटीसी ने दावा किया कि संजीव की लापरवाही के कारण यह दुर्घटना हुई. हालांकि, अदालत ने माना कि दुर्घटना बस चालक द्वारा तेज गति से और लापरवाही से वाहन चलाने के कारण हुई.
अदालत ने यह भी देखा कि एक स्वतंत्र गवाह ने ड्राइवर को दोषी ठहराया और एनडब्ल्यूकेएसआरटीसी के पास यह साबित करने के लिए कोई सबूत नहीं था कि पाटिल की लापरवाही के कारण उनकी मौत हुई.
अदालत ने माना कि दावेदार एनडब्ल्यूकेएसआरटीसी द्वारा भुगतान किए जाने वाले 8 फीसदी सालाना की ब्याज दर के साथ 2.15 करोड़ रुपये के मुआवजे के हकदार हैं.
मामले में पहले प्रतिवादी एनडब्ल्यूकेएसआरटीसी के हावेरी डिवीजन के डिवीजनल कंट्रोलर जगदीश वीएस ने कहा कि हमने 1.52 करोड़ रुपये मुआवजे का भुगतान किया है और मामले को हाईकोर्ट में ले गए थे. हालांकि, कोई स्टे ऑर्डर नहीं था जिससे अदालत के अधिकारियों ने बस को जब्त कर लिया. हम अदालत से पैसे का भुगतान करने के लिए हमें और समय देने के लिए कह रहे हैं क्योंकि कोविड -19 स्थिति के कारण निगम को भी भारी नुकसान हुआ है.
उन्होंने कहा कि एक बस की कीमत लगभग 29 लाख रुपये है और जो बस जब्त की गई है वह दो साल पुरानी है और महामारी की स्थिति के कारण ज्यादा नहीं चल सकी.