अदालत ने आईटी नियमों को चुनौती देने वाली फेसबुक, व्हाट्सऐप की याचिकाओं पर केंद्र से जवाब मांगा

By भाषा | Updated: August 27, 2021 15:20 IST2021-08-27T15:20:40+5:302021-08-27T15:20:40+5:30

Court seeks response from Center on Facebook, WhatsApp's petitions challenging IT rules | अदालत ने आईटी नियमों को चुनौती देने वाली फेसबुक, व्हाट्सऐप की याचिकाओं पर केंद्र से जवाब मांगा

अदालत ने आईटी नियमों को चुनौती देने वाली फेसबुक, व्हाट्सऐप की याचिकाओं पर केंद्र से जवाब मांगा

दिल्ली उच्च न्यायालय ने सोशल मीडिया मध्यवर्ती संस्थानों के लिए सूचना प्रौद्योगिकी (आईटी) नियमों को चुनौती देते हुए फेसबुक और व्हाट्सऐप की ओर से दायर याचिकाओं पर शुक्रवार को केंद्र से जवाब मांगा जिसके तहत मेसेजिंग ऐप के लिए यह पता लगाना जरूरी है कि किसी संदेश की शुरुआत किसने की। इन याचिकाओं के जरिये नये नियमों को इस आधार पर चुनौती दी गई है कि वे निजता के अधिकार का उल्लंघन करते हैं और असंवैधानिक हैं। मुख्य न्यायाधीश डी एन पटेल और न्यायमूर्ति ज्योति सिंह की पीठ ने नोटिस जारी करके केंद्र को इलेक्ट्रॉनिक्स एवं सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय के माध्यम से याचिका के साथ ही नियमों के कार्यान्वयन पर रोक लगाने के लिए अर्जी पर भी जवाब दाखिल करने का निर्देश दिया। अदालत ने मामले को 22 अक्टूबर को आगे की सुनवाई के लिए सूचीबद्ध किया है। केंद्र के वकील ने मुख्य अधिवक्ता उपलब्ध नहीं होने के आधारपर सुनवाई स्थगित करने का अनुरोध किया जिसका वरिष्ठ अधिवक्ता हरीश साल्वे और मुकुल रोहतगी ने विरोध किया, जो क्रमशः व्हाट्सऐप और फेसबुक की ओर से पेश हुए थे। फेसबुक के स्वामित्व वाली कंपनी, व्हाट्सऐप ने अपनी याचिका में कहा कि मध्यवर्ती संस्थानों के वास्ते सरकार या अदालत के आदेश पर भारत में किसी संदेश की शुरुआत करने वाले की पहचान करने की आवश्यकता ‘एंड-टू-एंड एन्क्रिप्शन’ और इसके लाभों को "जोखिम में" डालती है। व्हाट्सऐप एलएलसी ने उच्च न्यायालय से मध्यवर्ती संस्थानों के लिए नियमों के नियम 4 (2) को असंवैधानिक, आईटी अधिनियम का अधिकारातीत और अवैध घोषित करने का आग्रह किया है और अनुरोध किया है कि नियम 4 (2) के किसी भी कथित गैर-अनुपालन के लिए उस पर कोई आपराधिक दायित्व नहीं लगाया जाए जिसके तहत संदेश की शुरुआत करने वाले की पहचान करने की आवश्यकता है। व्हाट्सऐप ने कहा कि संदेश की शुरुआत करने वाले का पता लगाने वाला प्रावधान असंवैधानिक है और निजता के मौलिक अधिकार के खिलाफ है।याचिका में कहा गया है कि संदेश की शुरुआत करने वाले का पता लगाने की आवश्यकता कंपनी को अपनी मैसेजिंग सेवा पर ‘एंड-टू-एंड एन्क्रिप्शन’ के साथ ही इसमें अंतर्निहित गोपनीयता सिद्धांत को तोड़ने के लिए मजबूर करती है और उन लाखों नागरिकों के गोपनीयता के मौलिक अधिकारों का उल्लंघन करती है जो निजी और सुरक्षित रूप से संवाद के लिए व्हाट्सऐप का इस्तेमाल करते हैं। इसमें कहा गया है कि व्हाट्सऐप सरकारी अधिकारियों, कानून प्रवर्तक प्राधिकारियों, पत्रकारों, जातीय या धार्मिक समूहों के सदस्यों, विद्वानों, शिक्षकों, छात्रों और इस तरह के लोगों को प्रतिशोध के डर के बिना अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के अपने अधिकार का प्रयोग करने में सक्षम बनाता है।इसमें कहा गया है, ‘‘व्हाट्सऐप डॉक्टरों और रोगियों को पूरी गोपनीयता के साथ गोपनीय स्वास्थ्य को लेकर चर्चा करना सक्षम बनाता है, मुवक्किलों को इस आश्वासन के साथ अपने वकीलों के साथ संवाद करने में सक्षम बनाता है कि उनके संचार सुरक्षित हैं, साथ ही वित्तीय और सरकारी संस्थानों को यह विश्वास दिलाता है कि वे सुरक्षित रूप से संवाद कर सकते और उनकी बातचीत तक कोई और पहुंच नहीं बना सकता।’’याचिका में कहा गया है, ‘‘संदेश की शुरुआत करने वाले का पता लगाने के आदेश से यह अनुमान लगाना मुश्किल होगा कि कौन सा संदेश इसके दायरे में आ सकता है। इसलिए, याचिकाकर्ता को सरकार के अनुरोध पर भारत में उसे मंच पर भेजे गए प्रत्येक संदेश की शुरुआत करने वाले की पहचान करने की क्षमता का निर्माण करने के लिए मजबूर होना होगा। यह एंड-टू-एंड एन्क्रिप्शन और इसके अंतर्निहित गोपनीयता सिद्धांतों को तोड़ेगा और उपयोगकर्ताओं की निजता और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के मौलिक अधिकारों का उल्लंघन करेगा।’’इसमें दावा किया गया है कि नियम 4 (2) के. एस. पुट्टस्वामी मामले के फैसले में उच्चतम न्यायालय द्वारा निर्धारित तीन-भाग परीक्षण - वैधता, आवश्यकता और आनुपातिकता को संतुष्ट किए बिना निजता के मौलिक अधिकार का उल्लंघन करता है।इसमें कहा गया है कि यह नियम अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के मौलिक अधिकार का उल्लंघन करता है क्योंकि यह वैध भाषण को लेकर भी संशय में डालता है और नागरिक इस डर से स्वतंत्र रूप से नहीं बोलेंगे कि उनके निजी संचार का पता लगाया जाएगा और उनके खिलाफ इस्तेमाल किया जाएगा, जो एंड-टू-एंड एन्क्रिप्शन के उद्देश्य के विपरीत है। ग़ौरतलब है कि सूचना प्रौद्योगिकी (मध्यवर्ती दिशानिर्देश और डिजिटल मीडिया आचार संहिता) नियम, 2021 के नियम 4(2) में कहा गया है कि सोशल मीडिया मध्यस्थों को ये सुनिश्चित करना होगा कि किसी न्यायिक या सरकारी आदेश के तहत जरूरी होने पर किसी भी चैट या सन्देश की उत्पत्ति की पहचान हो सके। सरकार द्वारा उद्धृत आंकड़ों के अनुसार, भारत में 53 करोड़ व्हाट्सऐप उपयोगकर्ता, 44.8 करोड़ यूट्यूब उपयोगकर्ता, 41 करोड़ फेसबुक उपयोगकर्ता, 21 करोड़ इंस्टाग्राम उपयोगकर्ता हैं, जबकि 1.75 करोड़ खाताधारक माइक्रोब्लॉगिंग प्लेटफॉर्म ट्विटर पर हैं।फेसबुक, व्हाट्सऐप, ट्विटर और इंस्टाग्राम जैसे सोशल मीडिया प्लेटफॉर्मों को उनके प्लेटफॉर्म पर पोस्ट की गई सामग्री के लिए अधिक जवाबदेह और जिम्मेदार बनाने के लिए नए नियम पेश किए गए थे।सोशल मीडिया कंपनियों को शिकायत मिलने के 24 घंटे के भीतर नग्नता या छेड़छाड़ की गई तस्वीर वाली पोस्ट को हटाना होगा।ट्विटर और व्हाट्सऐप जैसी कंपनियों पर इसका बड़ा प्रभाव हो सकता है।

Disclaimer: लोकमत हिन्दी ने इस ख़बर को संपादित नहीं किया है। यह ख़बर पीटीआई-भाषा की फीड से प्रकाशित की गयी है।

Web Title: Court seeks response from Center on Facebook, WhatsApp's petitions challenging IT rules

भारत से जुड़ीहिंदी खबरोंऔर देश दुनिया खबरोंके लिए यहाँ क्लिक करे.यूट्यूब चैनल यहाँ इब करें और देखें हमारा एक्सक्लूसिव वीडियो कंटेंट. सोशल से जुड़ने के लिए हमारा Facebook Pageलाइक करे