अदालत ने बीमा राशि का भुगतान न करने पर दिल्ली सरकार, इरडा से मांगा जवाब
By भाषा | Updated: August 7, 2021 15:03 IST2021-08-07T15:03:29+5:302021-08-07T15:03:29+5:30

अदालत ने बीमा राशि का भुगतान न करने पर दिल्ली सरकार, इरडा से मांगा जवाब
नयी दिल्ली, सात अगस्त दिल्ली उच्च न्यायालय ने एक महिला और उसके दो नाबालिग बच्चों की उस याचिका पर दिल्ली सरकार तथा इरडा से जवाब मांगे हैं जिसमें उसके पति की कोविड-19 के संपर्क में आने के बाद मौत होने पर पूरी बीमा राशि का भुगतान न करने संबंधी एक बीमा कंपनी के फैसले को चुनौती दी गयी है।
न्यायमूर्ति रेखा पल्ली ने दिल्ली सरकार, बीमा नियामक एवं विकास प्राधिकरण (इरडा), नेशनल इंश्योरेंस कंपनी लिमिटेड और शालीमार बाग स्थित फोर्टिस अस्पताल को नोटिस जारी किया है। फोर्टिस अस्पताल में ही पिछले साल महिला के पति की इलाज के दौरान मौत हो गयी थी।
अदालत ने प्राधिकरणों से चार हफ्तों के भीतर जवाब दाखिल करने को कहा और मामले पर अगली सुनवाई के लिए 12 दिसंबर की तारीख तय की।
दिल्ली निवासी सुनीता गोयल और उनके दो नाबालिग बच्चों द्वारा दाखिल याचिका में कहा गया है कि उनके पति ने बीमा कंपनी की एक मेडिक्लेम पॉलिसी ‘परिवार मेडिक्लेम पॉलिसी’ ली थी और इसमें बीमा राशि पांच लाख रुपये थी।
अनुपम द्विवेदी के जरिए दाखिल याचिका में कहा गया है कि महिला के पति गुलशन कुमार गोयल जून 2020 के अंतिम हफ्ते में कोरोना वायरस से संक्रमित हो गए थे और उन्हें 30 जून को शालीमार बाग स्थित फोर्टिस अस्पताल में भर्ती कराया गया था तथा सात जुलाई, 2020 को उनकी मौत हो गयी थी।
याचिका में दावा किया गया है कि अस्पताल ने इलाज का 5.33 लाख रुपये का बिल बनाया जिसे महिला को देना पड़ा क्योंकि बीमा कंपनी ने पॉलिसी की शर्तों का उल्लंघन किया और निर्धारित बीमा राशि तक अस्पताल का खर्च देने की जिम्मेदारी उठाने से इनकार कर दिया। अस्पताल ने बाद में 1.95 लाख रुपये इस आधार पर लौटा दिए कि ये अतिरिक्त राशि थी।
इसमें कहा गया है कि बाद में बीमा कंपनी के केवल 1.31 लाख रुपये देते हुए कहा कि दिल्ली सरकार द्वारा तय की गयी दरों के अनुसार कुल बिल 1.44 लाख रुपये होना चाहिए था। याचिकाकर्ताओं ने बीमा कंपनी और अस्पताल से 25 लाख रुपये का मुआवजा भी मांगा है।
परिवार ने बीमा कंपनी को अस्पताल का बिल भरने का निर्देश देने या एक विकल्प के तौर पर अस्पताल से उनका पैसा लौटाने का निर्देश देने का अनुरोध किया है।
Disclaimer: लोकमत हिन्दी ने इस ख़बर को संपादित नहीं किया है। यह ख़बर पीटीआई-भाषा की फीड से प्रकाशित की गयी है।