न्यायालय ने कहा: वायु गुणवत्ता प्रबंधन आयोग के काम से संतुष्ट नहीं
By भाषा | Published: December 17, 2020 08:36 PM2020-12-17T20:36:26+5:302020-12-17T20:36:26+5:30
नयी दिल्ली, 17 दिसंबर उच्चतम न्यायालय ने बृहस्पतिवार को कहा कि वह राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र और आसपास के इलाकों में वायु गुणवत्ता प्रबंधन आयोग के कामकाज से संतुष्ट नहीं है। केन्द्र ने वायु प्रदूषण की समस्या से निबटने के लिये इस आयोग का गठन किया है।
प्रधान न्यायाधीश एस ए बोबडे, न्यायमूर्ति ए एस बोपन्ना और न्यायमूर्ति वी रामासुब्रमणियन की पीठ ने कहा कि प्रदूषण के मामले में आयोग के काम से दिल्ली के लोग भी संतुष्ट नहीं हैं।
पीठ ने कहा, ‘‘हम नहीं जानते कि आपका आयोग क्या कर रहा है। आपके काम से दिल्ली की जनता संतुष्ट नहीं है। हम भी संतुष्ट नहीं हैं।’’
केन्द्र की ओर से सालिसीटर जनरल तुषार मेहता ने कहा कि आयोग युद्ध स्तर पर काम कर रहा है और उसने प्रदूषण की समस्या से निबटने के लिये कई कदम उठाये हैं।
केन्द्र की ओर से ही अतिरिक्त सालिसीटर जनरल ऐश्वर्या भाटी ने पीठ को बताया कि उन्होंने न्यायालय के पहले के निर्देशानुसार विस्तृत हलफनामा दाखिल किया है।
शीर्ष अदालत ने कहा कि दिल्ली के पड़ोसी राज्यों में पराली जलाये जाने की वजह से हो रहे प्रदूषण को लेकर दायर आदित्य दुबे की याचिका पर अब जनवरी के दूसरे सप्ताह में सुनवाई की जायेगी।
न्यायालय ने सोमवार को केन्द्र से कहा था कि वायु प्रदूषण की समस्या पर काबू पाने के लिये आयोग द्वारा अब तक किये गये कार्यो से उसे अवगत कराया जाये।
केन्द्र ने पीठ को सूचित किया था कि सरकार एक विस्तृत हलफनामा तैयार कर रही है जिसे इस मामले में दाखिल किया जायेगा।
न्यायालय ने छह नवंबर को केन्द्र को यह सुनिश्चित करने का निर्देश दिया था कि दिल्ली-एनसीआर में स्मॉग नहीं हो। इससे पहले, न्यायालय को सूचित किया गया था कि वायु गुणवत्ता प्रबंधन आयोग आज से ही काम शुरू कर देगा।
न्यायालय ने कहा था कि प्रदूषण की समस्या से कार्यपालिका को ही निबटना होगा क्योंकि उसके पास धन, शक्ति और संसाधन है।
केन्द्र ने दिल्ली के पूर्व मुख्य सचिव एम एम कुट्टी को राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र और इससे सटे इलाकों में वायु गुणवत्ता प्रबंधन आयोग का अध्यक्ष नियुक्त किया है। सरकार ने यह भी कहा था कि नव सृजित आयोग में गैर सरकारी संगठनों के सदस्यों के अलावा इस क्षेत्र के विशेषज्ञ भी इसमे हैं।
सरकार ने 29 अक्टूबर को न्यायालय को सूचित किया था कि प्रदूषण पर काबू पाने के लिये एक अध्यादेश लाया गया है और उसे लागू भी कर दिया गया है।
इससे पहले, न्यायालय ने 26 अक्टूबर को दिल्ली-एनसीआर में वायु प्रदूषण के प्रमुख कारक पराली जलाये जाने की रोकथाम के लिये पड़ोसी राज्यों द्वारा उठाए गए कदमों की निगरानी के वास्ते शीर्ष अदालत के पूर्व न्यायाधीश मदन बी लोकुर की अध्यक्षता में एक सदस्यीय समिति नियुक्त करने का अपना 16 अक्टूबर का आदेश निलंबित कर दिया था।
शीर्ष अदालत के न्यायाधीश के रूप में न्यायमूर्ति लोकूर सामाजिक न्याय पीठ की अध्यक्षता कर रहे थे और उन्होंने पराली जलाने से उत्पन्न समस्या सहित प्रदूषण के मामलों पर भी सुनवाई करके कई महत्वपूर्ण निर्देश भी दिये थे।
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