न्यायालय ने इडुक्की में न्यायिक परिसर निर्माण के संबंध में 'कुछ नहीं' करने के लिए केरल सरकार की खिंचाई की
By भाषा | Updated: November 11, 2021 18:57 IST2021-11-11T18:57:47+5:302021-11-11T18:57:47+5:30

न्यायालय ने इडुक्की में न्यायिक परिसर निर्माण के संबंध में 'कुछ नहीं' करने के लिए केरल सरकार की खिंचाई की
कोच्चि, 11 नवंबर केरल उच्च न्यायालय ने इडुक्की में एक न्यायिक परिसर के निर्माण के संबंध में ‘‘कुछ नहीं’’ करने के लिए बृहस्पतिवार को राज्य सरकार की खिंचाई की।
न्यायालय ने कहा कि परियोजना को पहली बार प्रस्तावित किए हुए 25 वर्ष बीत जाने के बावजूद न्यायिक परिसर के निर्माण के संबंध में कुछ भी नहीं किया गया। उच्च न्यायालय सरकार के इस रुख से भी नाखुश था कि 1997 में आवंटन एक स्थानीय स्व-सरकारी संस्थान (एलएसजीआई) द्वारा नहीं किया जा सकता था क्योंकि विचाराधीन भूमि राजस्व विभाग के पास थी।
न्यायमूर्ति पी वी कुन्हीकृष्णन ने कहा, ‘‘आप (राज्य) इस प्रस्ताव के 25 साल बाद जाग रहे हैं? जहां तक न्यायपालिका का सवाल है तो यह दुखद दिन है।’’
न्यायमूर्ति कुन्हीकृष्णन ने न्यायिक परिसर के निर्माण के लिए निर्धारित दो एकड़ भूमि के आवंटन को रद्द करने के आदेश को चुनौती देने वाली इडुक्की बार एसोसिएशन की याचिका पर सुनवाई के दौरान यह टिप्पणी की।
अधिवक्ता जॉर्ज मैथ्यू ने एसोसिएशन का प्रतिनिधित्व किया। एसोसिएशन ने अपनी याचिका में कहा है कि यौन अपराधों से बच्चों का संरक्षण करने संबंधी (पॉक्सो) अधिनियम के तहत विशेष न्यायालय, न्यायिक प्रथम श्रेणी मजिस्ट्रेट की अदालत और मुंसिफ अदालत और इन अदालतों से जुड़े सरकारी वकीलों और अभियोजकों से संबंधित कार्यालय इडुक्की में जिला मुख्यालय के बाहर कामकाज कर रहे हैं।
याचिका में कहा गया है, ‘‘उपरोक्त सभी कार्यालय इडुक्की के कुयलीमाला में सिविल स्टेशन में प्रदान की गई सीमित सुविधाओं के तहत काम कर रहे हैं। जिला मुख्यालयों में अदालतों के लिए और अधिक सुविधाओं और भवनों की आवश्यकता है।’’ इसमें कहा गया है कि 1997 में इस मामले को इडुक्की विकास प्राधिकरण (आईडीए) के समक्ष उठाया गया था।
आईडीए ने परिसर के निर्माण के लिए दो एकड़ जमीन आवंटित की थी। जमीन का कब्जा लेने सहित पूरी प्रक्रिया सितंबर 2019 तक पूरी कर ली गई थी और ‘‘संपत्ति को विकसित करने और निर्माण शुरू करने के लिए कदम उठाए जा रहे है।’’
याचिका में कहा गया है कि हालांकि, इस साल जून में, सरकार ने भूमि के आवंटन को रद्द कर दिया और परिसर के निर्माण के संबंध में एक नया संशोधित प्रस्ताव मांगा है।
अदालत ने मामले को सुनवाई के लिए शुक्रवार को सूचीबद्ध किया और संकेत दिया कि वह परिसर के निर्माण के लिए समय सीमा निर्धारित करने संबंधी आदेश दे सकता है।
Disclaimer: लोकमत हिन्दी ने इस ख़बर को संपादित नहीं किया है। यह ख़बर पीटीआई-भाषा की फीड से प्रकाशित की गयी है।