सुपरटेक पर न्यायालय का आदेश बिल्डरों और विकास प्राधिकरणों को गलत करने से रोकेगा : घर खरीददार संस्था

By भाषा | Published: August 31, 2021 07:02 PM2021-08-31T19:02:28+5:302021-08-31T19:02:28+5:30

Court order on Supertech will prevent builders and development authorities from doing wrong: Homebuying body | सुपरटेक पर न्यायालय का आदेश बिल्डरों और विकास प्राधिकरणों को गलत करने से रोकेगा : घर खरीददार संस्था

सुपरटेक पर न्यायालय का आदेश बिल्डरों और विकास प्राधिकरणों को गलत करने से रोकेगा : घर खरीददार संस्था

घर खरीददारों की संस्था एफपीसीए ने मंगलवार को नोएडा स्थित सुपरटेक के दो टॉवर को गिराने के उच्चतम न्यायालय के आदेश का स्वागत करते हुए कहा कि यह फैसला बिल्डरों और विकास प्राधिकरणों को कोई गलत कार्य करने से रोकेगा। फोरम फॉर पीपुल्स कलेक्टिव एफर्ट (एफपीसीई) ने रेरा कानून को पारित कराने और पूरे राज्य में लागू करने में अहम भूमिका निभाई है। एफपीसीई के अध्यक्ष अभय उपाध्याय ने ‘पीटीआई-भाषा’ से कहा, ‘‘ यह साबित हो गया है कि अधिकारियों की साठगांठ बिल्डरों और उनके भ्रष्टाचार में थी जिसका आरोप हम घर खरीददार लंबे समय से लगा रहे थे। हम उच्चतम न्यायालस के इस ऐतिहासिक फैसले का स्वागत करते हैं जो सही नजीर पेश करेगा और बिल्डरों और अधिकारियों को भी गलत करने से रोकेगा।’’ उच्चतम न्यायालय ने नोएडा में सुपरटेक की एमेराल्ड कोर्ट परियोजना के 40 मंजिला दो टावरों एपेक्स और सियेन को नियमों का उल्लंघन कर निर्माण करने के कारण गिराने के मंगलवार को निर्देश दिए। इसमें कुल 915 अपार्टमेंट और 21 दुकाने बनी हुई हैं। न्यायालय ने अपने आदेश में कहा कि घर खरीदारों का पूरा पैसा बुकिंग के वक्त से 12 प्रतिशत ब्याज के साथ लौटाया जाए। रेजिडेंट्स वेल्फेयर एसोसिएशन को दो टावरों के निर्माण से हुई परेशानी के लिए दो करोड़ रुपये दिए जाएं।उपाध्याय ने कहा कि यह सुनिश्चित किया जाना चाहिए कि फैसले के अनुसार घर खरीददारों को उनके रुपये ब्याज सहित मिले और उन्हें अपने रुपये वापस पाने के लिए भागदौड़ नहीं करना पड़े। उन्होंने कहा, ‘‘ रेजिडेंट्स वेल्फेयर एसोसिएशन को दो करोड़ रुपये का मुआवजा दिया जाना अभूतपूर्व है और यह अंतत: अन्य को बिल्डरों के साझा उपयोग क्षेत्र और अन्य सुविधाओं के संदर्भ में गलत कार्यों के खिलाफ कानूनी रास्ता अपनाने को प्रोत्साहित और प्रेरित करेगा।’’ एनरॉक के निदेशक और अनुसंधान प्रमुख प्रशांत ठाकुर ने फैसले पर टिप्पणी करते हुए कहा, ‘‘यह समय की तत्काल मांग है, नियामकीय वातावरण अब घर खरीददारों के पक्ष में बढ़ रहा है, खासतौर पर पीड़ित घर खरीददारों के जिनके पास विभिन्न स्तरों पर शिकायत करने का न्यायोचित आधार है।’’ एमडीपी ऐंड पार्टनर्स के प्रबंध साझेदार निशित ध्रुवा ने कहा कि फैसला न केवल उन बिल्डरों के लिए चेतावनी है जो अनुमति प्राप्त योजना पर काम नहीं करते या जिसपर संशय के बादल बने रहते हैं बल्कि यह आयोजन अधिकारियों के लिए भी सबक है कि वे अपने कार्यालय से जुड़ी पवित्रता को कायम रखे।

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