नई दिल्ली:बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री लालू प्रसाद यादव और उनकी पत्नी राबड़ी देवी समेत 14 अन्य लोगों को दिल्ली की अदालत ने बड़ी राहत देते हुए जमानत दे दी है। दरअसल, मामला बिहार में नौकरी के बदले जमीन घोटाले से जुड़ा हुआ है।
आज राउज एवेन्यू कोर्ट में लालू यादव और उनकी पत्नी की पेशी थी, इस दौरान कोर्ट ने सुनवाई करते हुए 50,000 का निजी जमानती मुचलका राशि जमा करने का आदेश देते हुए उन्हें जमानत दे दी है।
अदालत ने यह भी कहा कि केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) ने गिरफ्तारी के बिना आरोप पत्र दायर किया था। गौरतलब है कि सीबीआई ने अपनी चार्जशीट में दावा किया था कि भर्ती के लिए भारतीय रेलवे के निर्धारित मानदंडों और प्रक्रियाओं का उल्लंघन करते हुए रेलवे में अनियमित नियुक्तियां की गईं।
सीबीआई ने अपनी चार्जशीट में दावा किया कि जिन उम्मीदवारों को रेलवे में विकल्प के रूप में नौकरी मिली या तो सीधे या अपने परिवार के सदस्यों और रिश्तेदारों के माध्यम से लालू परिवार के सदस्यों को अत्यधिक रियायती दरों पर जमीने बेच दी।
क्या है मामला?
लालू यादव के रेल मंत्री रहते हुए बिहार में जमीन के बदले नौकरी का घोटाल हुआ था। इस मामले में रेलवे में कई उम्मीदवारों की जमीन के बदले भर्ती की गई थी। सीबीआई के अनुसार, लालू यादव ने दिल्ली भूमि और वित्त (डीएलएफ) को कई महत्वपूर्ण परियोजनाएं जारी की थीं, जब वह यूपीए-1 सरकार में रेल मंत्रालय का नेतृत्व कर रहे थे।
सीबीआई ने आरोप लगाया कि नेता ने कई रेलवे परियोजनाओं के बदले डीएलएफ समूह से दक्षिण दिल्ली में करोड़ों की संपत्ति प्राप्त की थी। मुंबई के बांद्रा में भूमि पट्टा परियोजनाएं और नई दिल्ली रेलवे स्टेशन का पुनर्विकास। लालू, राबड़ी और मीसा सहित 16 आरोपियों के खिलाफ आपराधिक साजिश और भ्रष्टाचार के अपराधों के लिए पिछले साल 10 अक्टूबर को आरोप पत्र दायर किया गया था।
इसके बाद 11 मार्च को प्रवर्तन निदेशालय ने रेलवे के नौकरी के लिए जमीन मनी लॉन्ड्रिंग मामले की जांच के सिलसिले में लालू परिवार और करीबियों के घरों में छापेमारी की थी। ईडी ने कहा था कि छापेमारी में उन्होंने 600 करोड़ की अपराध आय को जब्द किया है।