नयी दिल्ली, 11 नवंबर दिल्ली की एक अदालत ने पुलिस आयुक्त को दुष्कर्म के एक मामले में आरोप पत्रों के दो अलग सेट दाखिल कर कथित तौर पर फर्जीवाड़ा करने के लिए पुलिस अधिकारियों के खिलाफ कानूनी कार्रवाई करने और एक मामला दर्ज करने का निर्देश दिया तथा इसे ‘‘पुलिस द्वारा सत्ता के दुरुपयोग का एक विशिष्ट उदाहरण’’ बताया।
अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश गौरव राव ने पुलिस को आड़े हाथों लिया। उन्होंने कहा कि अदालत में जो आरोप पत्र दिया गया और आरोपी के वकील को जो आरोप पत्र दिया गया है वह अभियोजक और शिकायकर्ता के वकील के पास उपलब्ध आरोपपत्र से अलग है।
न्यायाधीश ने कहा, ‘‘दोनों आरोपपत्र में आईओ/एसएचओ/एसीपी के हस्ताक्षर हैं और दोनों में एक जून 2021 की तारीख है। अदालत में दाखिल किए गए आरोपपत्र और आरोपी के साथ अतिरिक्त लोक अभियोजक तथा शिकायतकर्ता को दिए आरोपपत्र में से तथ्यागत सामग्री हटा दी गयी।’’
अदालत ने कहा कि दो अलग-अलग सेट के आरोपपत्र दाखिल करना झूठी गवाही, धोखाधड़ी और न्यायिक प्रक्रिया में हस्तक्षेप के समान है। अदालत ने कहा, ‘‘यह आला दर्जे का विश्वासघात है।’’
अदालत ने कहा, ‘‘आदेश की प्रति पुलिस आयुक्त को भेजी जाए, जिन्हें अदालत से फर्जीवाड़ा करने के लिए आईओ/एसएचओ/एसीपी के खिलाफ भारतीय दंड संहिता की उचित धाराओं के तहत मामला दर्ज करने, उचित जांच/कानूनी कार्रवाई करने का निर्देश दिया जाता है।’’
इसके साथ ही अदालत ने सुनवाई की अगली तारीख पर जामिया नगर के डीसीपी, आईओ, एसीपी और एचएचओ को पेश होने का निर्देश दिया है।
यह मामला 14 साल की लड़की के कथित दुष्कर्म और अपहरण का है। आरोपपत्र के अनुसार, आरोपी ने लड़की को छह दिनों तक बंधक बनाकर रखा और कई बार उससे दुष्कर्म किया।
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