न्यायालय ने कोविड के दौरान अंतरिम जमानत पाए 2,318 विचाराधीन कैदियों को आत्मसमर्पण के लिए कहा
By भाषा | Published: March 1, 2021 07:49 PM2021-03-01T19:49:15+5:302021-03-01T19:49:15+5:30
नयी दिल्ली, एक मार्च उच्चतम न्यायालय ने सोमवार को 2,318 ऐसे विचाराधीन कैदियों को 15 दिनों के भीतर जेल में आत्मसमर्पण करने का निर्देश दिया जिन्हें कोविड-19 महामारी के दौरान यहां सुनवाई अदालत से अंतरिम जमानत मिली थी।
न्यायालय ने कहा कि 356 कैदी भी 15 दिनों के भीतर जेल में आत्मसमर्पण करेंगे जिन्हें महामारी के मद्देनजर दिल्ली उच्च न्यायालय ने अंतरिम जमानत दी थी।
न्यायमूर्ति एल नागेश्वर राव और न्यायमूर्ति एस रवींद्र भट की पीठ ने विभिन्न याचिकाओं की सुनवाई करते हुए यह निर्देश पारित किया। इन याचिका में दिल्ली उच्च न्यायालय के पिछले साल 20 अक्टूबर के निर्देश के खिलाफ 'नेशनल फोरम ऑन प्रिज़न रिफॉर्म्स' (एनएफपीआर) द्वारा दायर अपील भी शामिल थी।
जेलों में अमानवीय स्थितियों से संबंधित एक अलग मामले में न्याय मित्र (एमिक्स क्यूरी) और गौरव अग्रवाल ने पीठ से कहा कि वह जेलों में भीड़भाड़ के विषय पर एक रिपोर्ट पेश करेंगे।
मामले में पेश हुए वकीलों में से एक ने कहा कि दिल्ली में करीब 17,000 कैदी जेल में बंद हैं, जबकि उसकी क्षमता केवल 10,000 की है।
मामले में आगे की सुनवाई अप्रैल में होगी।
उच्चतम न्यायालय ने 29 अक्टूबर, 2020 को उच्च न्यायालय के उस निर्देश पर रोक लगा दी थी जिसमें सभी ऐसे विचाराधीन कैदियों, जिनकी जमानत अवधि महामारी के कारण बढ़ायी गयी थी, को पिछले साल दो से 13 नवंबर के बीच चरणबद्ध तरीके से आत्मसमर्पण करने के लिए कहा गया था।
न्यायालय ने दिल्ली सरकार और अन्य को भी नोटिस जारी किया था तथा एनएफपीआर द्वारा दायर याचिका पर उनसे जवाब मांगा था।
एनएफपीआर ने दावा किया है कि उच्च न्यायालय का निर्देश 23 मार्च, 2020 के न्यायालय के आदेश की भावना के पूरी तरह से खिलाफ है।
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