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Coronavirus Outbreak Updates: बाल संरक्षण गृहों की स्थिति, सुप्रीम कोर्ट ने लिया संज्ञान, मध्यान्ह भोजन सहित कई मुद्दों पर कल सुनवाई

By लोकमत न्यूज़ डेस्क | Updated: April 2, 2020 14:36 IST

शीर्ष अदालत ने 16 मार्च को देश की जेलों में क्षमता से अधिक कैदी होने का संज्ञान लिया था और कहा था कि इसमें कोरोनावायरस को फैलने से रोकने के लिये कैदियों के बीच दूरी बनाना कठिन है।

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ठळक मुद्देन्यायालय ने बाल सुधार गृहों और बाल संरक्षण गृहों में भी कोविड-19 के संक्रमण की रोकथाम के पहलू पर विचार किया था। विचाराधीन कैदियों को पेरोल और अंतरिम जमानत पर रिहा करने पर विचार करने के लिये कहा था जिनके अपराधों के लिये सात साल तक की सजा है।

नई दिल्लीः उच्चतम न्यायालय ने कोरोना वायरस महामारी को देखते हुये देश में बाल संरक्षण गृहों की स्थिति का स्वत: संज्ञान लिया है और वह शुक्रवार को इस मामले पर विचार करेगा।

न्यायमूर्ति एल नागेश्वर राव और न्यायमूर्ति दीपक गुप्ता की पीठ बाल संरक्षण गृहों में कोविड-19 संक्रमण के खतरे पर शुक्रवार को वीडियो कांफ्रेंस के माध्यम से सुनवाई करेगी। शीर्ष अदालत ने 16 मार्च को देश की जेलों में क्षमता से अधिक कैदी होने का संज्ञान लिया था और कहा था कि इसमें कोरोनावायरस को फैलने से रोकने के लिये कैदियों के बीच दूरी बनाना कठिन है।

न्यायालय ने बाल सुधार गृहों और बाल संरक्षण गृहों में भी कोविड-19 के संक्रमण की रोकथाम के पहलू पर विचार किया था। प्रधान न्यायाधीश एस ए बोबडे की अध्यक्षता वाली पीठ ने 23 मार्च को सभी राज्य सरकारों और केन्द्र शासित प्रदेशों को उच्च स्तरीय समिति गठित करके ऐसे दोषियों और विचाराधीन कैदियों को पेरोल और अंतरिम जमानत पर रिहा करने पर विचार करने के लिये कहा था जिनके अपराधों के लिये सात साल तक की सजा है।

यही नहीं, न्यायालय ने कोरोनावायरस की वजह से देश भर में स्कूल बंद होने की वजह से बच्चों को मध्यान्ह भोजन नहीं मिलने के मुद्दे पर भी विचार किया था। न्यायालय ने इस मामले में सभी राज्यों और केन्द्र शासित प्रदेशों को नोटिस जारी करके पूछा था कि स्कूली बच्चों को किस तरह से मध्यान्ह भोजन उपलब्ध कराया जा रहा है।

टॅग्स :सुप्रीम कोर्टकोरोना वायरसदिल्ली में कोरोनामिड डे मील
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