कोविड-19 महामारीः पूर्व केंद्रीय मंत्री भरत सिंह सोलंकी ने 101 दिन बाद कोरोना को दी मात, अस्पताल से छुट्टी
By लोकमत न्यूज़ डेस्क | Published: October 1, 2020 02:45 PM2020-10-01T14:45:35+5:302020-10-01T14:45:35+5:30
कांग्रेस नेता सोलंकी (66) ने छुट्टी मिलने के बाद यहां पत्रकारों से बात करते हुए निजी अस्पताल के कर्मियों को अच्छा उपचार प्रदान कर जान बचाने के लिए धन्यवाद दिया। गुजरात के आणंद जिले के बोरसाड निवासी सोलंकी को 22 जून को पहले वड़ोदरा के एक अस्पताल में भर्ती कराया गया था।
अहमदाबादः कोरोना वायरस से जून में संक्रमित हुए पूर्व केंद्रीय मंत्री भरत सिंह सोलंकी को 101 दिन बाद बृहस्पतिवार को अस्पताल से छुट्टी दे गई।
कांग्रेस नेता सोलंकी (66) ने छुट्टी मिलने के बाद यहां पत्रकारों से बात करते हुए निजी अस्पताल के कर्मियों को अच्छा उपचार प्रदान कर जान बचाने के लिए धन्यवाद दिया। गुजरात के आणंद जिले के बोरसाड निवासी सोलंकी को 22 जून को पहले वड़ोदरा के एक अस्पताल में भर्ती कराया गया था।
स्थिति बिगड़ने पर उन्हें 30 जून को अहमदाबाद स्थित सीआईएमएस अस्पताल में भर्ती कराया गया। सोलंकी ने कहा कि मैं अति आत्मविश्वास में आ गया था कि मुझे कुछ नहीं होगा और बिना एहतियात बरते लोगों से मिलता रहा। उन्होंने लोगों से अपील की कि कोरोना वायरस को हल्के में न ले और मास्क पहनें। उन्होंने कहा कि अस्पताल में भर्ती होने से बेहतर है कि मास्क लगाएं।
न्यायालय ने कोविड-19 महामारी के ‘कुप्रबंधन’ की स्वतंत्र जांच के आग्रह वाली याचिका खारिज की
उच्चतम न्यायालय ने सेवानिवृत्त नौकरशाहों की उस एक जनहित याचिका पर विचार करने से बृहस्पतिवार को इनकार कर दिया जिसमें सरकार पर देश में कोविड-19 महामारी के कुप्रबंधन का आरोप लगाया गया था। न्यायमूर्ति एलएन राव की अध्यक्षता वाली पीठ से अधिवक्ता प्रशांत भूषण ने कहा कि गृह मंत्रालय ने चार फरवरी को एक परामर्श जारी किया था, उसके बावजूद चार मार्च से पहले तक विदेशों से आने वाले यात्रियों की जांच शुरू नहीं की गई।
भूषण ने कहा कि मंत्रालय के परामर्श में भीड़भाड़ से बचने को कहा गया था, फिर भी 24 फरवरी को ‘नमस्ते ट्रंप’ कार्यक्रम के आयोजन की इजाजत दी गई जिसमें एक लाख लोग एक स्टेडियम में एकत्रित हुए। भूषण के मुताबिक विशेषज्ञों ने कहा था कि संपूर्ण लॉकडाउन नहीं लगाना चाहिए।
उन्होंने कहा कि लॉकडाउन के कारण जीडीपी में अभूतपूर्व 23 फीसदी की गिरावट आई, करोड़ों लोगों की नौकरियां चली गई और अर्थव्यवस्था बरबाद हो गई। पीठ ने कहा कि यह सार्वजनिक बहस का मामला है और अदालत इसमें ‘दखल देने की इच्छुक नहीं है’।
शीर्ष अदालत ने कहा कि इन मामलों को सरकार को देखना चाहिए। याचिका में यह आरोप भी लगाया गया था कि केंद्र वायरस को फैलने से रोकने के लिए समय रहते प्रभावी उपाय करने में विफल रहा। इसमें यह भी कहा गया कि खामियों की एक आयोग द्वारा स्वतंत्र जांच करने की आवश्यकता है।