कोविड-19 महामारीः दहशत के कारण वहम भी बना रोग, ब्रीफ साइकोटिक एपिसोड मरीज करा रहे इलाज
By वसीम क़ुरैशी | Updated: July 22, 2020 15:33 IST2020-07-22T15:33:33+5:302020-07-22T15:33:33+5:30
चिकित्सकीय भाषा में इस मर्ज को ब्रीफ साइकोटिक एपिसोड या साइकोसिस कहते हैं. प्रादेशिक मनोरुग्णालय में इन दिनों कुछ मरीज इस शिकायत को लेकर आ रहे हैं. खुद को सामान्य सी छींक आने या किसी दूसरे के छींकने से ऐसे रोगी बेहद घबरा जाते हैं.

चिकित्सकों की मानें तो यह एक फोबिया अथवा वहम है जिसे लंबे वक्त तक पाले रखने के चलते यह समस्या आती है. (file photo)
नागपुरः कई लोग ऐसे हैं जिन्हें कोई बीमारी नहीं है लेकिन कोविड-19 महामारी को लेकर लगातार चली आ रही खबरों और समाज में इसे लेकर बढ़ती दहशत के चलते वे एक वहम के शिकार हो गए हैं.
चिकित्सकीय भाषा में इस मर्ज को ब्रीफ साइकोटिक एपिसोड या साइकोसिस कहते हैं. प्रादेशिक मनोरुग्णालय में इन दिनों कुछ मरीज इस शिकायत को लेकर आ रहे हैं. खुद को सामान्य सी छींक आने या किसी दूसरे के छींकने से ऐसे रोगी बेहद घबरा जाते हैं.
जरूरत से ज्यादा चिंता के चलते परिवार में भी लोग ऐसे व्यक्ति से बातचीत करने में परहेज करने लगते हैं जो तकलीफ को और बढ़ा देता है. इस रोग की भयावहता का अनुमान इस बात से भी लगाया जा सकता है कि ऐसे रोगी खुदकुशी या किसी दूसरे को हानि पहुंचाने तक का कदम उठा सकते हैं.
नकारात्मक भावना, बेचैनी, निराशा, चिड़चिड़ापन और क्रोध जैसे चरणों को पार करते हुए सोइकोसिस होता है
नकारात्मक भावना, बेचैनी, निराशा, चिड़चिड़ापन और क्रोध जैसे चरणों को पार करते हुए सोइकोसिस होता है. इस रोग के असर में आने वाले के विचार व बातचीत में अंतर दिखाई देने लगता है. चिकित्सकों की मानें तो यह एक फोबिया अथवा वहम है जिसे लंबे वक्त तक पाले रखने के चलते यह समस्या आती है.
वर्जन रोगी से बातचीत जरूरी है महामारी को लेकर हद से ज्यादा चिंतित होने के चलते साइकोसिस के कुछ मरीज आ रहे हैं. इस रोग से ग्रस्त व्यक्ति खुद को या दूसरे को हानि पहुंचा सकता है. अधिकांश मामलों में लोग ऐसे रोग को लेकर चिकित्सक से सलाह लेने से बचते हैं. वे खुद को किसी मानसिक तकलीफ में घिरा हुआ नहीं दिखाना चाहते.
इस परेशानी के चलते आसपास मौजूद लोग या परिवार के लोग भी उनसे वार्तालाप करने से बचते हैं. इंस्टीट्यूशनल क्वारंटाइन व होम क्वारंटाइन हुए लोगों के अलावा साइकोसिस के मरीजों से भी परिवार व दोस्तों का फोन या वीडियो कॉलिंग के जरिए जुड़ा रहना आवश्यक है. साइकोसिस पेशेंट के साथ बातचीत करते रहना भी इलाज का हिस्सा है. डॉ. आशीष कुथे, मनोरोग विशेषज्ञ