भारत में कोविड-19ः लगातार तीसरे दिन 90 हजार से अधिक मरीज ठीक, दर 80 प्रतिशत के पार
By भाषा | Published: September 21, 2020 03:53 PM2020-09-21T15:53:30+5:302020-09-21T15:53:30+5:30
केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने सोमवार को यह जानकारी दी। मंत्रालय की ओर से जारी एक वक्तव्य में कहा गया कि पिछले चौबीस घंटे में 93,356 मरीज ठीक हुए हैं। वक्तव्य के अनुसार, “भारत में राष्ट्रीय स्तर पर कोविड-19 के मरीजों के ठीक होने की दर 80 प्रतिशत से अधिक हो गई है।
नई दिल्लीः भारत में लगातार तीसरे दिन कोविड-19 के 90 हजार से अधिक मरीज ठीक हुए और इसके साथ ही इस महामारी से ठीक होने की दर 80 प्रतिशत से अधिक हो गई है।
केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने सोमवार को यह जानकारी दी। मंत्रालय की ओर से जारी एक वक्तव्य में कहा गया कि पिछले चौबीस घंटे में 93,356 मरीज ठीक हुए हैं। वक्तव्य के अनुसार, “भारत में राष्ट्रीय स्तर पर कोविड-19 के मरीजों के ठीक होने की दर 80 प्रतिशत से अधिक हो गई है।
लगातार तीसरे दिन भारत में 90 हजार से अधिक मरीज ठीक हुए हैं।” बारह राज्यों और संघ शासित प्रदेशों में ठीक होने की दर राष्ट्रीय औसत से ज्यादा है। कोविड-19 के मरीजों के ठीक होने के नए मामलों की संख्या का 79 प्रतिशत, दस राज्यों और संघ शासित प्रदेशों से है।
वक्तव्य में कहा गया, “ठीक होने वाले मरीजों की कुल संख्या अब 43,96,399 हो गई है और इस मामले में भारत वैश्विक स्तर पर शीर्ष पर है। यह आंकड़ा विश्व में कोविड-19 के ठीक होने वाले मरीजों की संख्या का 19 प्रतिशत से अधिक है।”
असम में इस साल 350 बंदियों को रिहा किया गया : सरकार
सरकार ने सोमवार को कहा कि पिछले दो साल के दौरान असम के विभिन्न हिरासत केंद्रों में बंद कम से कम 350 बंदियों को जमानत पर रिहा किया जा चुका है जबकि बीमारियों की वजह से 15 अन्य बंदियों की मौत हो गई।
केंद्रीय गृह राज्य मंत्री नित्यानंद राय ने सोमवार को एक प्रश्न के लिखित उत्तर में बताया कि उच्चतम न्यायालय ने 13 अप्रैल को व्यवस्था दी थी कि विभिन्न हिरासत केंद्रों में दो साल से बंद लोगों को, कोविड-19 महामारी के खतरे को देखते हुए पांच हजार रुपये के मुचलके और इतनी ही राशि की दो जमानतों सहित अन्य शर्तों पर रिहा किया जा सकता है।
राय ने बताया कि उच्चतम न्यायालय की व्यवस्था का पालन करते हुए असम के विभिन्न हिरासत केंद्रों में निरूद्ध 350 बंदियों को जमानत पर रिहा किया जा चुका है। उन्होंने बताया कि पिछले दो साल में 16 सितंबर तक, राज्य के विभिन्न हिरासत केंद्रों में बंद 15 बंदियों की बीमारियों की वजह से मौत हो गई। इन बंदियों का राज्य के विभिन्न अस्पतालों में इलाज चल रहा था।