एक मरीनर का खत्म न होने वाला समुद्री सफर, कहा- आज मुझे अपनी इस यात्रा से कोलंबस जैसा अनुभव हो रहा है
By अनुभा जैन | Updated: July 13, 2020 05:19 IST2020-07-13T05:19:24+5:302020-07-13T05:19:24+5:30
कैप्टन ने आगे बताया कि ‘25 अप्रैल को रमजान शुरू होने को था सभी मरीनर्स अपने घर जाने को बेताब थे पर जहां भी मुमकिन पोर्टस थे कोरोना के चलते विमानों की आवाजाही बंद होने की वजह से कहीं भी कू्र चेंज संभव नहीं हो पा रहा था। इस मुश्किल घड़ी में कैप्टन भी 103 डिग्री तेज बुखार और पेट के इन्फेक्शन से ग्रस्त हो गए।

कोरोना महामारी से खड़े हुए संकट की कैप्टन नाजिम ए. दिन्गनकर ने आपबीती सुनाई है।
नई दिल्लीः कैप्टन नाजिम ए. दिन्गनकर और उनके क्रू को यह आभास भी नहीं था कि जिस यात्रा को वे शुरू कर रहे हैं वह एक नहीं खत्म होने वाली यात्रा है। कोरोना महामारी के भयावह प्रभाव से आज जहां संसार का कोई वर्ग अछूता नहीं है वहीं मरीनर्स या जलसैनिकों को भी प्रत्यक्ष अप्रत्यक्ष रूप में इस महामारी ने अपने जाल में जकड़ लिया है।
इस वर्ष जनवरी 2020 में खत्म होने की उम्मीद थी। वैरी लार्ज क्रूड कैरियर वीएलसीसी आयल टैंकर जो करीब 2 मिलियन बैरल क्रूड ऑयल, तेल उत्पादक देशों जैसे अरेबियन गल्फ, वैस्ट कोस्ट ऑफ अफ्रीका से चीन, जापान और साउथ कोरिया आदि में लाने ले जाने का कार्य करता है। इस बार भी चीन की तरफ एक लंबी यात्रा तय करते हुये इस जहाज ने जनवरी 2020 में वैस्ट कोस्ट ऑफ अफ्रीका से कार्गो लोड किया।
मेरे लिये एक अनूठा अनुभव
कै. नाजिम ने अपने अनुभव साझा किये और कहा कि वैसे तो समुद्र पर मैंने 45 से भी अधिक दिनों की यात्रा तय की है पर इस बार यह नहीं खत्म होने वाली सी यात्रा लग रही है। यह पूरी तरह से मेरे लिये एक अनूठा अनुभव है। हम चीन की इस यात्रा में सिंगापुर में क्रू चेंज की आशा कर रहे थे पर तकनीकी कारणों से ऐसा नहीं हो सका। जब तक जहाज चीन पहुंचा महामारी ने भयावह रूप ले लिया था और क्रू ने जहाज को अनलोड कर सिंगापुर की ओर वापिसी की इस उम्मीद में की उसे वहां क्रू चेंज की अनुमति मिल जायेगी। पर र्दुभाग्यवष सिंगापुर ने चीन से आने वाले जहाजों के लिये पोर्ट बंद कर दिये थे।
श्रीलंका में क्रू चेंज को शिड्युल किया गया पर वह भी मुमकिन नहीं हो पाया। अब जहाज कार्गो के लिये नोर्वे के लिये शिड्युल किया गया। इस दौरान 20 मार्च के आसपास इजिप्ट के बहुत ही सुंदर कोस्टल शहर सुएज में क्रू चेंज को निर्धारित किया गया। पर कोरोना के चलते सुरक्षा के मापदंडों को अपनाते हुये क्रू चेंज वहां भी सस्पेंड कर दिया गया। चीन में कार्गो देने के बाद दो महीनों की एक लंबी यात्रा तय करते हुये जहाज ने नोर्वे में लंगर डाला।
सभी मरीनर्स अपने घर जाने को बेताब थे
कैप्टन ने आगे बताया कि ‘25 अप्रैल को रमजान शुरू होने को था सभी मरीनर्स अपने घर जाने को बेताब थे पर जहां भी मुमकिन पोर्टस थे कोरोना के चलते विमानों की आवाजाही बंद होने की वजह से कहीं भी कू्र चेंज संभव नहीं हो पा रहा था। इस मुश्किल घड़ी में कैप्टन भी 103 डिग्री तेज बुखार और पेट के इन्फेक्शन से ग्रस्त हो गए। सब कुछ इतना भयानक लग रहा था, कहीं जा नहीं सकते, कुछ पता नहीं था कि क्या कुछ हो रहा है मेरे आसपास। पर ईश्वर का शुक्र था कि यह सब सिर्फ तीन दिन तक रहा और मजबूती से मैंने इस मुश्किल घड़ी को निकाला।’
सिंगापुर में क्रू एक्सचेंज के प्रयास किए
इसी दौरान इन मरीनर्स ने मारिशस और उसके बाद सिंगापुर में क्रू एक्सचेंज के प्रयास किए। 10 जून के आसपास चीन में अनलोडिंग के बाद वापिसी में सिंगापुर में उतरने की उम्मीद की। पर अंतर्राष्टीय विमानों पर रोक होने की वजह से यह संभव नहीं हो सका। उसके बाद एक बार फिर से श्रीलंका में किये अपने प्रयास में ये मरीनर्स विफल रहे। अब कैप्टन अपने क्रू के साथ अरेबियन गल्फ से साउथ कोरिया की यात्रा पर इस उम्मीद में जा रहे हैं कि उन्हें जल्द ही राहत मिलेगी।
क्रू के सदस्यों को विभिन्न गतिविधियों में मशगूल रखते हैं
क्रू के सदस्यों के हतोत्साहित होते मनोबल केा बनाये रखने के प्रयास में कैप्टन सभी को जहां विभिन्न गतिविधियों में मशगूल रखते हैं वहीं उनसे वार्तालाप कर उन्ने मोटिवेटिड भी रखते हैं। कैप्टन कहते हैं आज अथोरिटी के रूप में इस तरह के चैलेंज का सामना करना मेरे लिए बड़ा चुनौतीपूर्ण है। क्योंकि अगर किसी भी जवान का मनोबल टूटा तो समुद्र के बीच में कुछ भी कर पाना नामुमकिन हो जायेगा।
अपने परिवारों को बेहद मिस कर रहे हैं
अंत में थोड़ा भावुक होते हुए कैप्टन कहते हैं कि करीब-करीब एक वर्ष होने को आ रहा है पर आज भी हम समुद्र में हैं और अपनी ड्यूटी पूरी कर रहे है। इस बार पूरी उम्मीद है कि बहुत जल्द हमें भारत में कोच्ची में क्रू एक्सचेंज की अनुमति मिल जायेगी और हम अपने परिवार के साथ् होंगें। आज हम अपने परिवारों को बेहद मिस कर रहे हैं। पर मैं यह माानता हूं कि हर मुश्किल घडी के पीछे कुछ ना कुछ सीख छुपी होती है। मुझे लगता है हमारी यह यात्रा तब तक चलेगी जब तक मेरी यह सीख पूरी नहीं हो जाती। हंसते हुये कैप्टन नाजिम कहते हैं कि आज मुझे अपनी इस यात्रा से कुछ कोलंबस जैसा अनुभव हो रहा है।

