Coronavirus Update: दिल्ली हाईकोर्ट की समिति ने दिए जेलों में कैदियों की संख्या घटाने में निर्देश
By भाषा | Published: March 30, 2020 06:37 PM2020-03-30T18:37:46+5:302020-03-30T18:37:46+5:30
शीर्ष अदालत के 23 मार्च के आदेश के मद्देनजर इस समिति की बैठक हुई। बैठक में यह तय किया गया कि कारागार नियमों में जोड़े गए नए प्रावधान के तहत करीब 1,500 कैदियों को आठ सप्ताह की पैरोल देने की प्रक्रिया तेजी से पूरी की जाये।
नई दिल्ली: दिल्ली उच्च न्यायालय के न्यायाधीश की अध्यक्षता वाली उच्चाधिकार प्राप्त समिति ने राजधानी की जेलों में कैदियों की संख्या कम करने के लिये कदम उठाने का निर्देश प्राधिकारियों को दिया है ताकि कोरोना वायरस महामारी वहां अपने पांव नहीं पसार सके। इस महामारी से अब तक 29 व्यक्तियों की मृत्यु हो चुकी है और 1071 व्यक्ति संक्रमित हो चुके हैं। उच्चतम न्यायालय के आदेश पर गठित इस समिति ने जेलों में कैदियों के बीच दूरी बनाये रखने का लक्ष्य हासिल करने और नये कैदियों, जो विदेशी हैं, को अलग रखने के विभिन्न उपायों पर विचार किया।
इसी तरह, फ्लू या बुखार जैसे लक्षण वाले कैदियों को भी अलग रखने और जेल में नियमित रूप से उनकी जांच सुनिश्चित करने तथा पैरोल की पात्रता रखने वाले कैदियों की रिहाई के बारे में भी विचार किया गया। न्यायमूर्ति हिमा कोहली की अध्यक्षता में गठित इस समिति ने उन कैदियों को विशेष छूट देकर रिहा करने पर भी विचार किया जिनकी सजा पूरी होने में छह महीने या इससे कम का समय बचा है।
समिति ने वीडियो कांफ्रेन्सिग के जरिए जेल महानिदेशालय, दिल्ली राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण और दिल्ली सरकार के गृह विभाग के अधिकारियों के साथ बैठक की। शीर्ष अदालत के 23 मार्च के आदेश के मद्देनजर इस समिति की बैठक हुई। बैठक में यह तय किया गया कि कारागार नियमों में जोड़े गए नए प्रावधान के तहत करीब 1,500 कैदियों को आठ सप्ताह की पैरोल देने की प्रक्रिया तेजी से पूरी की जाये। बैठक की कार्यवाही के विवरण के अनुसार इसमें यह प्रस्ताव भी पारित किया गया कि जेल में कैदियों की संख्या कम करने के लिये ऐसे विचाराधीन कैदियों की श्रेणी में दी जाये जिन्हें अंतरिम जमानत पर रिहा किया जा सकता है।
हालांकि, समिति ने यह प्रस्ताव भी पारित किया कि मादक पदार्थों से संबंधित ऐसे मामले, जिनमें बहुत अधिक मात्रा में प्रतिबंधित नशीले पदार्थ बरामद हुये हैं, बच्चों के यौन शोषण, बलात्कार और तेजाब हमले, विदेशी नागरिकों, भ्रष्टाचार और धन शोधन के मामलों के साथ ही आतंक, राष्ट्र विरोधी गतिविधियां या गैरकानून गतिविधियां कानून के तहत बंद विचाराधीन कैदियों के मामलों में अंतरिम जमानत के लिये विचार नहीं किया जायेगा। समिति ने यह भी तय किया कि जेलों में व्यक्तिगत रूप से मुलाकात की व्यवस्था फिलहाल नहीं होगी और कैदियों को अपने परिजनों से टेलीफोन पर बात करने की इजाजत दी जायेगी।
जेल महानिदेशक के अनुसार, दिल्ली की 16 जेलों की क्षमता 10,026 कैदियों की है लेकिन इनमें इस समय 17,440कैदी हैं। इनमें 14,355 विचाराधीन कैदी शामिल हैं। समिति की 28 मार्च को हुयी बैठक में जेल प्राधिकारियों ने बताया कि अभी तक कैदियों में कोविड-19 का कोई मामला सामने नहीं आया है और कारागार में हर जगह विषाणुनाशक दवाओं का नियमित रूप से छिड़काव किया जा रहा है। इसके आलवा, जेल स्टाफ को मास्क और दस्ताने दिये गये हैं। जेलों में कैदियों और सांस्कृतिक समूहों की गतिविधियां रद्द कर दी गयी हैं ताकि बड़ी संख्या में लोग एक जगह एकत्र नहीं हो सकें।