श्रमिक स्पेशल ट्रेनः 83 ट्रेन चलीं, 80,000 से ज्यादा प्रवासी कामगार घर रवाना, सामाजिक दूरी के नियम का पालन
By भाषा | Published: May 6, 2020 01:37 PM2020-05-06T13:37:37+5:302020-05-06T13:37:37+5:30
स्पेशल ट्रेन को लेकर केंद्र सरकार पर कई आरोप लग रहे हैं। हालांकि रेल मंत्रालय ने कहा कि 85 प्रतिशत भारतीय रेलवे और 15 प्रतिशत राज्य सरकार वहन कर रही है। किसी मजदूर से किराया नहीं लिया जा रहा है।
नई दिल्लीः रेलवे ने बताया कि उसने एक मई से अबतक 83 श्रमिक स्पेशल ट्रेनें चलाई हैं, जिनमें 80,000 से ज्यादा फंसे हुए लोगों को ले जाया गया है।
रेलवे ने मंगलवार को बताया कि उसने कोरोना वायरस महामारी के मद्देनजर लागू किए गए लॉकडाउन के कारण कार्यस्थलों पर फंस गए प्रवासी कामगारों के लिए मंगलवार शाम तक 76 ट्रेनें चलाई। प्रत्येक विशेष ट्रेन में 24 डिब्बे हैं और हर डिब्बे में 72 बर्थ हैं।
सामाजिक दूरी के नियम का पालन हो, इसके लिए लेकिन रेलवे एक डिब्बे में 54 यात्रियों को ही जगह दे रहा है। कर्नाटक सरकार ने मंगलवार को अगले पांच दिनों में राज्य से चलने वाली 10 ट्रेनों को रद्द कर दिया। बहरहाल, राज्य सरकार ने कहा कि बेंगलुरु से बिहार के लिए तीन ट्रेने रवाना होंगी। मौजूद आंकड़ों के मुताबिक, 13 ट्रेनें बिहार गई हैं और 11 ट्रेनें रास्ते में हैं। आंकड़ों के मुताबिक, 10 ट्रेने उत्तर प्रदेश गई हैं और पांच ट्रेने रास्ते हैं।
राज्यों से श्रमिक स्पेशल ट्रेनों का किराया वसूलने के लिए कहने पर रेलवे की आलोचना
रेलवे ने देशभर में फंसे हुए लोगों को ले जाने के वास्ते विशेष श्रमिक रेलगाड़ियों के लिए दिशा-निर्देश जारी किये है। रेलवे ने कहा है कि क्षमता की 90 प्रतिशत मांग होने पर ही विशेष श्रमिक रेलगाड़ियां चलाई जानी चाहिए और राज्यों को टिकट का किराया लेना चाहिए।
किराया वसूलने के बयान पर रेलवे की तीखी आलोचना हो रही है। रेलवे ने कहा कि स्थानीय राज्य सरकार प्राधिकार टिकट का किराया एकत्र कर और पूरी राशि रेलवे को देकर यात्रा टिकट यात्रियों को सौंपेंगी। नेशनल कांफ्रेंस के नेता उमर अब्दुल्ला ने ट्वीट किया, ‘‘यदि आप कोविड-19 संकट के दौरान विदेश में फंसे हुए हैं तो यह सरकार आपको विमान से निशुल्क वापस लायेगी लेकिन यदि आप एक प्रवासी श्रमिक हैं और किसी अन्य राज्य में फंसे हैं तो आप यात्रा का किराया (सामाजिक दूरी की कीमत के साथ) चुकाने के लिए तैयार रहें। ‘पीएम केयर्स’ कहां गया? ’’
रेलवे ने दिशानिर्देशों में कहा कि फंसे हुए लोगों को भोजन, सुरक्षा, स्वास्थ्य की जांच और टिकट उपलब्ध कराने की जिम्मेदारी उस राज्य की होगी जहां से ट्रेन चल रही है। उसने हालांकि उन यात्रियों के एक समय के भोजन की जिम्मेदारी ली है जिनकी यात्रा 12 घंटे या इससे अधिक समय की होगी। किराए के संबंध में रेलवे ने कुछ भी बोलने से इनकार किया और कहा कि यह राज्य का मामला है। सूत्रों ने बताया कि झारखंड में अब तक दो ट्रेनें पहुंची हैं और उसने पूरा भुगतान किया है।
राजस्थान और तेलंगाना जैसे राज्य भी भुगतान कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि महाराष्ट्र प्रवासियों को किराए का कुछ हिस्सा देने के लिए कह रही है। रेलवे श्रमिक स्पेशल ट्रेन में स्लीपर श्रेणी के टिकट का किराया, 30 रुपए सुपर फास्ट शुल्क और 20 रुपए का अतिरिक्त शुल्क लगा रही है। माकपा के महासचिव सीताराम येचुरी ने राज्यों पर भार डालने के लिए केन्द्र सरकार पर निशाना साधते हुए कहा कि प्रवासी श्रमिकों की जो स्थिति हुई है, वह केन्द्र द्वारा लॉकडाउन की अचानक घोषणा करने के कारण हुई है।
येचुरी ने कहा, ‘‘यह बहुत ही अनुचित है कि पूरी जिम्मेदारी राज्य सरकारों पर डाल दी गई है। राज्यों के कारण यह समस्या खड़ी नहीं हुई है। संसद में सरकार ने कहा था कि विदेशों में फंसे हुए भारतीयों को स्वदेश वापस लाने की पूरी लागत वहन की जायेगी। इसी तरह प्रवासी श्रमिकों को भी वापस लाया जाना चाहिए।’’
रेलवे ने कहा, ‘‘प्रत्येक श्रमिक स्पेशल ट्रेन का केवल एक गंतव्य होगा और यह बीच में नहीं रुकेगी। सामान्य तौर पर, श्रमिक स्पेशल ट्रेन 500 किलोमीटर से अधिक की दूरी के लिए चलेंगी। ये ट्रेन गंतव्य से पहले बीच में किसी स्टेशन पर नहीं रुकेंगी। पूरी लंबाई वाली ट्रेन में यात्री भौतिक दूरी के नियम का पालन करते हुए बैठेंगे और बीच वाली सीट पर कोई नहीं बैठेगा। इस तरह की प्रत्येक ट्रेन लगभग 1,200 यात्रियों को ले जा सकती है।’’ दिशा-निर्देशों में कहा गया कि संबंधित राज्य यात्रियों के समूह को लेकर तदनुसार योजना तैयार करेगा। ट्रेन के लिए क्षमता के 90 प्रतिशत से कम मांग नहीं होनी चाहिए।