कोरोना वायरस संकट: कोविड-19 से पीड़ित बच्चों को आइसोलेशन वॉर्ड में ऐसे रखा जा रहा है व्यस्त

By भाषा | Updated: April 28, 2020 14:02 IST2020-04-28T14:00:13+5:302020-04-28T14:02:32+5:30

कोरोना वायरस संकट से संक्रमित हुए लोगों के बच्चे भी काफी मुसीबत से गुजर रहे हैं. जिन बच्चों के माता-पिता कोरोना वायरस से संक्रमित होते हैं, उन बच्चों को भी आइसोलेशन वॉर्ड में रखा जाता है. ऐसी स्थिति में छोटे बच्चे कभी रहे नहीं हैं, इसलिए डॉक्टर्स की टीम उन्हें सहज करने की पूरी कोशिश में लगी रहती है. इसके अलावा जो बच्चे कोरोना पीड़ित हैं, उनका विशेष ध्यान रखा जा रहा है.

Corona virus crisis: children suffering from Kovid-19 are being kept busy in isolation ward | कोरोना वायरस संकट: कोविड-19 से पीड़ित बच्चों को आइसोलेशन वॉर्ड में ऐसे रखा जा रहा है व्यस्त

लोकमत फाइल फोटो

Highlightsआइसोलेशन वॉर्ड में बच्चों को बिजी रखने के लिए कॉमिक्स की डिजिटल कॉपी भी व्हाट्सऐप पर उपलब्ध कराई जाती है.डॉक्टर्स का कहना है कि आइसोलेशन वॉर्ड में भर्ती कराए जाने के बाद वे अक्सर डर जाते हैं क्योंकि उन्होंने ऐसा माहौल कभी नहीं देखा था।

कोरोना वायरस से संक्रमित बच्चे अस्पताल के आइसोलेशन वॉर्ड और पीपीई पहने डॉक्टरों के साथ खुद को सहज कर पाने में बेचैनी से गुजर रहे हैं। पंजाब और चंडीगढ़ के स्वास्थ्य अधिकारी उन्हें खिलौनों, बोर्ड गेम और नियमित काउंसलिंग की मदद से व्यस्त रखने की कोशिश में जुटे हुए हैं। जालंधर सिविल अस्पताल में, कोरोना वायरस की जांच में संक्रमित पाई गई दो बहनों को व्यस्त रखने के लिए उन्हें खिलौने और कैरम बोर्ड दिया गया है जबकि चंडीगढ़ के पीजीआईएमईआर में वायरस से संक्रमित बच्चों को टीवी पर कार्टून दिखाकर या ड्राइंग सत्र चला कर व्यस्त रखा जा रहा है।

आइसोलेशन वार्ड में बच्चों को व्यस्त रखना स्वास्थ्य अधिकारियों के लिए अपने आप में एक बड़ी चुनौती है। जालंधर के वरिष्ठ चिकित्सा अधिकारी कश्मीरी लाल ने कहा, “ हमने उन्हें सहज महसूस कराने के लिए खेलने को कैरम बोर्ड और लूडो दिया है।” उन्होंने बताया कि वार्ड में टेलीविजन भी लगाया गया है। लाल ने बताया कि छह और सात साल की दो बहनें अपने दादा के बीमारी की चपेट में आने के बाद जांच में संक्रमित पाई गई।

उन्होंने कहा, “हमारे मनोचिकित्सक नियमित तौर पर उनकी काउंसलिंग करते हैं ताकि वे सहज रहें।” मनोचिकित्सकों का कहना है कि बच्चों को अस्पताल में रखने के लिए उनके माता-पिता को रजामंद करना सबसे बड़ी चुनौती है। पीजीआईएमईआर के मनोचिकित्सा विभाग के सहायक प्राध्यापक स्वपनजीत साहू ने कहा, “उन्हें बच्चों को यहां लाने के लिए तैयार करना बड़ी चुनौती है क्योंकि वे आने के लिए तैयार नहीं होते।”

उन्होंने बताया कि अस्पताल पहुंचने और आइसोलेशन वॉर्ड में भर्ती कराए जाने के बाद वे अक्सर डर जाते हैं क्योंकि उन्होंने ऐसा माहौल कभी नहीं देखा था। साहू ने बताया कि बच्चे डॉक्टरों को पीपीई किट में देखकर रोने लगते हैं। उन्होंने पीटीआई-भाषा से कहा, “हम वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए बात कर उनकी काउंसलिंग करते हैं ताकि उनकी बेचैनी कम हो।”

साहू ने कहा,“हम उन्हें बताने की कोशिश करते हैं कि उनके माता-पिता ठीक हैं और वे कुछ ही समय के लिए अस्पताल में हैं।” उन्होंने बताया कि बच्चों को कॉमिक्स की डिजिटल कॉपी भी व्हाट्सऐप पर उपलब्ध कराई जाती है। अस्पताल के अधिकारियों ने बताया कि यहां भर्ती बच्चों के परिवार का एक न एक सदस्य वायरस से जरूर संक्रमित है और इलाज के लिए भर्ती है। वर्तमान में यहां चार बच्चे - एक माह और छह माह का शिशु, डेढ़ साल का बच्चा और आठ साल का बच्चा भर्ती है। 

Web Title: Corona virus crisis: children suffering from Kovid-19 are being kept busy in isolation ward

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