परीक्षा में मुस्लिम छात्राओं को अलग बैठाने पर खड़ा हुआ विवाद, भेदभाव पर शिक्षा विभाग का इनकार

By भाषा | Updated: June 11, 2020 20:21 IST2020-06-11T20:21:55+5:302020-06-11T20:21:55+5:30

जहां एक ओर कोरोना वायरस के मामले देश में लगातार बढ़ते जा रहे हैं तो वहीं इंदौर में इस महामारी के कारण हंगामा हो गया। दरअसल, उच्च माध्यमिक परीक्षा के दौरान एक केंद्र पर इस महामारी के निषिद्ध क्षेत्र की करीब 40 मुस्लिम छात्राओं को अन्य परीक्षार्थियों से अलग बैठाये जाने पर विवाद पैदा हो गया है।

Controversy over Muslim girl students being seperated during examination, education department denies discrimination | परीक्षा में मुस्लिम छात्राओं को अलग बैठाने पर खड़ा हुआ विवाद, भेदभाव पर शिक्षा विभाग का इनकार

इस प्रक्रिया में किसी भी परीक्षार्थी से भेदभाव का कोई सवाल ही नहीं उठता। (प्रतीकात्मक तस्वीर)

Highlightsप्रदेश कांग्रेस प्रवक्ता अमीनुल खान सूरी ने मांग की कि प्रशासन को उच्च माध्यमिक परीक्षा में मुस्लिम छात्राओं के साथ भेदभाव के आरोपों की विस्तृत जांच करनी चाहिये और शिक्षा विभाग को उचित निर्देश देने चाहिये। शिक्षा विभाग ने उच्च माध्यमिक परीक्षा में मुस्लिम छात्राओं से किसी भी तरह के भेदभाव से साफ इंकार किया है। बंगाली हायर सेकंडरी स्कूल में भी ऐसे परीक्षार्थियों के लिये बुधवार को इसी आदेश के मुताबिक इंतजाम किये गये थे।

इंदौर: देश में कोविड-19 से सबसे ज्यादा प्रभावित जिलों में शामिल इंदौर में उच्च माध्यमिक परीक्षा के दौरान एक केंद्र पर इस महामारी के निषिद्ध क्षेत्र की करीब 40 मुस्लिम छात्राओं को अन्य परीक्षार्थियों से अलग बैठाये जाने पर विवाद खड़ा हो गया है। अधिकारियों ने बृहस्पतिवार को बताया कि शहर के नवलखा क्षेत्र के परीक्षा केंद्र बंगाली हायर सेकंडरी स्कूल में बुधवार को 12वीं की परीक्षा में बही-खाता (बुक कीपिंग) के पर्चे में करीब 40 छात्राओं को छत वाले एक पक्के मंच पर बैठाया गया था। 

अभिभावकों ने आरोप लगाते हुए किया हंगामा

इस पर उनके अभिभावकों ने यह आरोप लगाते हुए हंगामा किया कि इस परीक्षा केंद्र पर उनकी संतानों के साथ भेदभाव किया जा रहा है। इस बीच, मुस्लिम समुदाय की एक परमार्थ सोसायटी द्वारा संचालित इस्लामिया करीमिया गर्ल्स हायर सेकेंडरी स्कूल ने जिला प्रशासन को इस संबंध में पत्र लिखा है। इसी संस्थान की छात्राओं का परीक्षा केंद्र बंगाली हायर सेकंडरी स्कूल ही है। 

पत्र में दावा किया गया है कि इस संस्थान की छात्राओं को बंगाली हायर सेकेंडरी स्कूल में बुधवार को "तेज धूप में बैठाकर" परीक्षा ली गयी थी जिसके बाद उनके अभिभावकों ने रोष व्यक्त किया है। पत्र में मांग की गयी है कि 12वीं के आगामी पर्चों में इस्लामिया करीमिया गर्ल्स हायर सेकंडरी स्कूल की छात्राओं के लिये परीक्षा केंद्र में बैठने की उचित व्यवस्था की जानी चाहिये। 

भेदभाव से साफ किया इंकार

उधर, शिक्षा विभाग ने उच्च माध्यमिक परीक्षा में मुस्लिम छात्राओं से किसी भी तरह के भेदभाव से साफ इंकार किया है। जिला शिक्षा अधिकारी राजेंद्र मकवाना ने बताया, "कोविड-19 का संक्रमण रोकने के लिये प्रशासन ने जिले के सभी 131 परीक्षा केंद्रों और 14 उप केंद्रों के लिये पहले ही आदेश जारी कर रखा है कि उन परीक्षार्थियों के बैठने की अलग व्यवस्था की जाये जो निषिद्ध क्षेत्रों 'कंटेनमेंट जोन' में रहते हैं। बंगाली हायर सेकंडरी स्कूल में भी ऐसे परीक्षार्थियों के लिये बुधवार को इसी आदेश के मुताबिक इंतजाम किये गये थे।" 

उन्होंने कहा, "हमने करीब 40 छात्राओं को तेज धूप वाले किसी खुले स्थान पर नहीं, बल्कि बंगाली हायर सेकंडरी स्कूल के उस पक्के मंच पर बैठाया था जो सांस्कृतिक कार्यक्रमों के लिये इस्तेमाल किया जाता है। यह मंच तीन तरफ से बंद है। परीक्षा के दौरान मंच पर बैठायी गयीं 40 छात्राओं में एक हिन्दू छात्रा भी थी।" मकवाना ने कहा, "हम परीक्षा केंद्रों में परीक्षार्थियों को उनका नाम देखकर नहीं, बल्कि उनके रोल नंबर के मुताबिक बैठाते हैं। इसलिये इस प्रक्रिया में किसी भी परीक्षार्थी से भेदभाव का कोई सवाल ही नहीं उठता।" 

इंदौर में कोविड-19 के 3,922 मरीज मौजूद

जिला शिक्षा अधिकारी ने बताया, "बंगाली हायर सेकंडरी स्कूल के परीक्षा केंद्र में बुधवार को ही 54 मुस्लिम विद्यार्थियों ने अन्य धर्मों एवं सम्प्रदायों के छात्र-छात्राओं के साथ कमरों में बैठकर परीक्षा दी है। हालांकि, ये परीक्षार्थी निषिद्ध क्षेत्रों के नहीं थे।" इस बीच, प्रदेश कांग्रेस प्रवक्ता अमीनुल खान सूरी ने मांग की कि प्रशासन को उच्च माध्यमिक परीक्षा में मुस्लिम छात्राओं के साथ भेदभाव के आरोपों की विस्तृत जांच करनी चाहिये और शिक्षा विभाग को उचित निर्देश देने चाहिये। 

स्वास्थ्य विभाग के मुताबिक इंदौर जिले में अब तक कोविड-19 के 3,922 मरीज मिले हैं। इनमें से 163 मरीजों की इलाज के दौरान मौत हो चुकी है। जिले में फिलहाल 28 निषिद्ध क्षेत्र हैं। गौरतलब है निषिद्ध क्षेत्र उन इलाकों को कहा जाता है जहां किसी महामारी के मरीज मिलने के बाद इन्हें पूरी तरह सील कर दिया जाता है। ऐसे क्षेत्रों में लोगों की आवाजाही पर रोक लगा दी जाती है ताकि महामारी के प्रकोप पर काबू पाया जा सके और यह अन्य इलाकों में नहीं फैले।

Web Title: Controversy over Muslim girl students being seperated during examination, education department denies discrimination

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