उमर अब्दुल्ला व महबूबा मुफ्ती पर PSA लगाने से खफा कांग्रेस, कहा- इस तरह आप कश्मीर पर शासन नहीं कर सकते
By लोकमत न्यूज़ डेस्क | Published: February 7, 2020 11:55 AM2020-02-07T11:55:21+5:302020-02-07T11:55:21+5:30
चौधरी ने कहा कि प्रधानमंत्री ने कल संसद में उमर अब्दुल्ला और महबूबा मुफ्ती के खिलाफ बात की और रात में उन पर सार्वजनिक सुरक्षा कानून (पीएसए) का आरोप लगाया गया।
जम्मू-कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्रियों उमर अब्दुल्ला और महबूबा मुफ्ती की छह महीने की ''ऐहतियातन हिरासत'' पूरी होने से महज कुछ घंटे पहले बृहस्पतिवार को उनके खिलाफ जन सुरक्षा कानून (पीएसए) के तहत मामला दर्ज किया गया। इसके बाद कांग्रेस नेताओं ने भाजपा सरकार पर हमला बोलना शुरू कर दिया। कांग्रेस नेता अधीर रंजन चौधरी ने कहा कि प्रधानमंत्री ने कल संसद में उमर अब्दुल्ला और महबूबा मुफ्ती के खिलाफ बात की और रात में उन पर सार्वजनिक सुरक्षा कानून (पीएसए) का आरोप लगाया गया। आप इस तरह से कश्मीर पर शासन नहीं कर सकते। इसके साथ ही उन्होंने कहा कि शारीरिक रूप से कश्मीर हमारे साथ है लेकिन भावनात्मक रूप से नहीं।
Adhir Ranjan Chowdhury, Congress: Prime Minister spoke against Omar Abdullah & Mehbooba Mufti in Parliament yesterday & they were charged with Public Safety Act (PSA) at night. You cannot govern Kashmir like this. Physically Kashmir is with us but not emotionally. pic.twitter.com/GF2pnqxIjP
— ANI (@ANI) February 7, 2020
इसके पहले पी. चिदंबरम ने ट्वीट कर मोदी सरकार पर हमला बोला। चिदंबरम ने कहा कि आरोपों के बिना पीएसए लगाकर किसी जन नेता को जेल में बंद करना एक तरह से लोकतंत्र में सबसे खराब व घृणा है। जब अन्यायपूर्ण कानून पारित किए जाते हैं या अन्यायपूर्ण कानून लागू किए जाते हैं, तो लोगों के पास शांति से विरोध करने के अलावा और क्या विकल्प होता है?
Detention without charges is the worst abomination in a democracy
— P. Chidambaram (@PChidambaram_IN) February 7, 2020
When unjust laws are passed or unjust laws are invoked, what option do the people have than to protest peacefully?
इससे पहले दिन में नेशनल कॉन्फ्रेंस के महासचिव तथा पूर्व मंत्री अली मोहम्मद सागर और पीडीपी के वरिष्ठ नेता सरताज मदनी पर भी पीएसए लगाया गया।
एक पुलिस अधिकारी के साथ एक मजिस्ट्रेट यहां हरि निवास पहुंचे, जहां 49 वर्षीय उमर पांच अगस्त से नजरबंद हैं। इसी दिन केन्द्र सरकार ने जम्मू-कश्मीर से विशेष दर्जा वापस लेकर उसे दो केन्द्र शासित प्रदेशों लद्दाख और जम्मू-कश्मीर में विभाजित कर दिया था।
उन्होंने पीएसए के तहत जारी वारंट उमर को सौंपा। उमर के दादा तथा पूर्व मुख्यमंत्री शेख मोहम्मद अब्दुल्ला के शासनकाल में 1978 में लकड़ी की तस्करी को रोकने के लिये यह कानून लाया गया था।
जन सुरक्षा कानून (पीएसए) के तहत दो प्रावधान हैं- लोक व्यवस्था और राज्य की सुरक्षा को खतरा। पहले प्रावधान के तहत किसी व्यक्ति को बिना मुकदमे के छह महीने तक और दूसरे प्रावधान के तहत किसी व्यक्ति को बिना मुकदमे के दो साल तक हिरासत में रखा जा सकता है।
साल 2000 में तत्कालीन अटल बिहारी वाजपेयी मंत्रिमंडल में विदेश राज्य मंत्री तथा वाणिज्य मंत्री रहे उमर को तीन पन्नों का एक डॉजियर सौंपा गया है, जिसमें उन पर अतीत में व्यवस्था के खिलाफ बयान देने का आरोप है।
उमर 2009 से 2014 तक राज्य के मुख्यमंत्री रहे। उमर के पिता फारूक अब्दुल्ला के खिलाफ भी पिछले साल सितंबर में पीएसए के तहत मामला दर्ज किया था, जिसकी दिसंबर में समीक्षा की गई थी।
इसी प्रकार, मजिस्ट्रेट और एक पुलिस अधिकारी ने महबूबा मुफ्ती के सरकारी आवास पर जाकर उन्हें 2010 में दिये गए बयानों को लेकर डॉजियर सौंपा जिसमें उन भाषणों को उन्हें हिरासत में रखने का कारण बताया।
महबूबा मुफ्ती की पार्टी पीडीपी 2014 से भाजपा की सहयोगी पार्टी थी। दोनों ने मिलकर 2018 तक जम्मू-कश्मीर में सरकार चलाई। भाजपा ने अचानक सरकार से समर्थन वापस ले लिया, जिसके बाद वहां राज्यपाल शासन लगा दिया गया।